मिर्गी के दौरे का नाम सुनते ही आपके मन में एक ऐसी पिक्चर सामने आती है कि मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति जमीन पर अचानक से गिर गया और तड़प रहा है। मिर्गी के दौरे पड़ने पर कुछ ऐसा ही होता है, लेकिन क्या कभी जहन में एक सवाल आया है कि मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण किसी की मौत हो सकती है? सवाल अजीब है, शायद आपका जवाब होगा कि नहीं मिर्गी के दौरे पड़ने से किसी की मौत नहीं हो सकती है, लेकिन आपका जवाब गलत है। मिर्गी के दौरे पड़ने से मौत हो सकती है।
मिर्गी के दौरे पड़ने से होने वाली मौत को सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी (sudden unexpected death in epilepsy) कहते हैं। जिसका संक्षिप्त रूप SUDEP है।
यह भी पढ़ें : डिसेबिलिटी क्या है? जानें कितने प्रकार की होती है
सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी (SUDEP) क्या है?
मिर्गी से ग्रसित व्यक्ति को सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी यानी की मिर्गी के दौरे के कारण होने वाली मौत का रिस्क रहता है, लेकिन अध्ययन के आधार पर यह पाया गया है कि 1000 लोगों में से किसी एक व्यक्ति की मौत मिर्गी के दौरे के कारण होती है। सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी एक इस तरह की मौत है जिसमें मिर्गी की मौत के कारणों का पता नहीं चलता है। दूसरे शब्दों में आप समझ सकते हैं कि मिर्गी में अक्सर मौत का कारण चोट लगना, डूबना और अन्य वजहें होती हैं, लेकिन सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी में मिर्गी में मौत का कारण पता नहीं चलता है। सभी मामलों में तो नहीं, पर कुछेक में मिर्गी के दौरे पड़ने के दौरान या तुरंत ही पीड़ित व्यक्ति की मौत हो जाती है।
यह भी पढ़ें : Birthday Special : इस बीमारी में दर्द से परेशान हो गए थे सलमान खान, जानिए इसके लक्षण और इलाज
सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी (SUDEP) के क्या कारण हैं?
सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी (SUDEP) यानी कि मिर्गी के दौरे के कारण होने वाली मौत का सटीक कारण अभी तक नहीं पता है, लेकिन कुछ वैज्ञानिक मिर्गी में मौत होने का कारण निम्न फैक्टर्स को मानते हैं :
- सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी में मिर्गी के दौरे पड़ने पर व्यक्ति सही तरह से सांस नहीं ले पाता है या तो उसकी सांसें रुक जाती हैं। कभी-कभी कुछ मामलों में सांस ज्यादा समय तक रुक जाती है, जिसके वजह से पीड़ित व्यक्ति की दम घुटने के कारण मौत हो जाती है।
- सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी में बहुत रेयर मामलों में ऐसा पाया गया है कि मिर्गी के दौरे पड़ने पर हार्ट फेलियर या घातक हार्ट रिदम के कारण मौत हो जाती है।
सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी (SUDEP) के रिस्क फैक्टर क्या हैं?
सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी (SUDEP) में मुख्य रिस्क फैक्टर हैं :
- सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी में अनियंत्रित या लगातार मिर्गी के दौरे आते हैं।
- सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी में सामान्यतः ऐंठन के साथ दौरे आते हैं।
- मिर्गी का दौरा बचपन से ही पड़ना सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी का कारण बन सकता है।
- लंबे समय से मिर्गी के साथ जीना सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी का कारण बन सकता है।
- मिर्गी के लिए चल रही दवाओं के डोज को छोड़ने से भी सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी हो सकता है।
- ज्यादा मात्रा में शराब पीने से भी सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी की समस्या हो सकती है।
यह भी पढ़ें : पार्किंसंस रोग के लिए फायदेमंद है डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS)
सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी (SUDEP) के रिस्क को कैसे कम कर सकते हैं?
- अगर आपको मिर्गी या एपिलेप्सी की समस्या है तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी के रिस्क की जानकारी लें।
- SUDEP को रोकने का सबसे पहला कदम है कि आप डॉक्टर द्वारा दी गई मिर्गी की दवाओं को नियमित रूप से लेते रहें।
- अगर आप दौरे पड़ने की दवा ले रहे हैं और फिर भी आपको दौरे पड़ रहे हैं तो अपने डॉक्टर को अपनी समस्या के बारे में बताएं और दवाओं में बदलाव के बारे में पूछें।
इसके अलावा आप कुछ अन्य बातों को ध्यान में रख के SUDEP के रिस्क को कम कर सकते हैं :
- मिर्गी के दौरे को बढ़ावा देने वाली चीजों को कम करें।
- शराब का सेवन न करें।
- पर्याप्त नींद लें
- दौरे पड़ने पर फर्स्ट एड की जानकारी घर के सदस्यों को पहले दे कर रखें।
यह भी पढ़ें : क्या आपको भी परेशान करता है नसों का दर्द?
मिर्गी के दौरे आने पर फर्स्ट एड कैसे करें?
मिर्गी के दौरे कई प्रकार के होते हैं, ज्यादातर दौरे कुछ मिनट में खत्म हो जाते हैं। कुछ आसान से तरीकों को अपना कर आप दौरे का फर्स्ट एड कर सकते हैं :
- मिर्गी के दौरे पड़ने पर आपको पीड़ित व्यक्ति के साथ तब तक रहना चाहिए, जब तक वह पूरी तरह से होश में न आ जाए। अंत में उस व्यक्ति को आप सुरक्षित स्थान पर बैठाएं और उससे बात करने की कोशिश करें। उससे पूछे कि उसे हुआ क्या था? मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को दौरे पड़ने के बाद शांत होने के लिए कहें और उससे शांति से बात करें।
- मिर्गी का दौरा पड़ने के दौरान आप पीड़ित व्यक्ति के हाथ में चेक करें कि क्या उसने कोई मेडिकल ब्रेसलेट या इमरजेंसी इंफॉर्मेशन डिवाइस पहना है क्या?
- किसी टैक्सी या व्यक्ति की मदद से पीड़ित व्यक्ति को घर पहुंचाएं।
मिर्गी के दौरे के दौरान क्या ना करें?
जब किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़े तो आप निम्न चीजें तो कत्तई न करें :
- मिर्गी का दौरा पड़ने के दौरान व्यक्ति की गतिविधियों को रोके नहीं, ना ही उसे दबाने की कोशिश करें।
- जब किसी को दौरा पड़े तो उस दौरान आप उसके मुंह में कुछ भी डालने का प्रयास न करें। इससे व्यक्ति के दांतों और जबड़ों को चोट लग सकती है। क्योंकि मिर्गी का दौरा जब पड़ता है तो व्यक्ति किसी भी चीज को निगलने में असमर्थ होता है।
- मिर्गी का दौरा पड़ने के दौरान आप सीपीआर यानी कि मुंह से मुंह में सांस देने का प्रयास न करें। दौरे के बाद व्यक्ति खुद ही सांस लेने लगेगा।
क्या मिर्गी से ग्रसित व्यक्ति की मौत जल्दी हो जाती है?
अभी तक बात हुई कि मिर्गी के दौरे पड़ने से व्यक्ति की मौत हो सकती है। अब बात करते हैं कि क्या एपिलेप्सी से ग्रसित व्यक्ति की उम्र सामान्य व्यक्ति से कम होती है, यानी कि उसकी मौत जल्दी हो सकती है। इस बात का जबाव यही है कि हां, जिन्हें मिर्गी होती है उनकी मौत होने का रिस्क बढ़ जाता है। जिन्हें मिर्गी आती है उनकी मृत्यु होने का रिस्क डेढ़ से तीन गुना ज्यादा होता है, उनकी तुलना में जिन्हें मिर्गी नहीं आती है। बच्चों में मिर्गी के कारण मौत होने की संभावना थोड़ी ज्यादा होती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि हर मिर्गी के मरीज की मौत जल्द ही हो जाए। कुछ बातों का ध्यान रखकर मिर्गी के साथ भी अच्छा जीवन जी सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
और पढ़ें:
भागदौड़ भरी जिंदगी ने उड़ा दी रातों की नींद? जानें इंसोम्निया का आसान इलाज
कैसे स्ट्रेस लेना बन सकता है इनफर्टिलिटी की वजह?
डिप्रेशन का हैं शिकार तो ऐसे ढूंढ़ें डेटिंग पार्टनर
ये 6 सुपर फूड्स निकाल सकते हैं डिप्रेशन से बाहर