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आखिर क्यों कुछ लोग बात-बात पर कसम खाते हैं?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/03/2021

    आखिर क्यों कुछ लोग बात-बात पर कसम खाते हैं?

    “अरे..कसम से, मैंने कल उसे किसी और के साथ देखा था।’, “कसम खाती हूं मम्मी, अगली बार से ऐसा नहीं करूंगी।’ या “मैं गीता की कसम खाता हूं, जो भी कहूंगा सच कहूंगा।’

    ये वे शब्द हैं जो आप अक्सर बोलते भी हैं और सुनते भी हैं। चलिए एक बार को मान लेते हैं कि कोर्ट में गवाह से लेकर मुल्जिम तक हर किसी को उसके धर्मग्रंथ की कसम खानी पड़ती है क्योंकि यह कानून का कोई एक नियम हो सकता है। लेकिन, आम बोल-चाल के दौरान कसम क्यों खाते हैं? अब कसम खाने के मामले में कई तरह के लोग हो सकते हैं। पहले वो, जो कभी-कभी ही कसम खाते हैं। दूसरे वो, जो सिर्फ अपने किसी खास के लिए ही कसम खाते हैं और तीसरे वो, जो हर बात पर कसम खाते हैं। लेकिन ऐसा क्यों?

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    यहां सवाल यह है कि आखिर क्यों कुछ लोग बहुत ज्यादा या हर बात पर कसम खाने के लिए तैयार रहते हैं?

    क्यों बहुत ज्यादा कसम खाते हैं लोग?

    क्या कसम खाना कोई कानूनी और धार्मिक नियम है? क्या कसम खाकर उसे तोड़ने वाले को किसी तरह की सजा मिलती है? अगर ऐसा है भी, तो इसके पीछे की वजह क्या है? जानकर हैरानी होगी कि आप और हम अपने जीवनकाल में औसतन 0.3% से 0.7% तक कसम खाते हैं।

    दरअसल, कसम खाना उसी तरह है, जैसे आप हर बात पर किसी से माफी मांगते हैं या किसी का धन्यवाद करते हैं। यह पूरी तरह से भावनात्मक स्थिति पर निर्भर करता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, कभी-कभी स्थितियों के परिणामस्वरूप लोग भावनात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं, जो आमतौर पर हमें कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकती है। हालांकि, लोग बात-बात पर कसम क्यों खाते हैं, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।

    क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

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    1.सामने वाले व्यक्ति को यकीन दिलाने के लिए

    सामान्य बातचीत में कई लोग कसम सिर्फ इसलिए खाते हैं, ताकि वो सामने वाले व्यक्ति को यह यकीन दिला सकें कि वो सच बोल रहे हैं।

    2.मजबूत भावना दर्शाने के लिए

    कसम खाने की आदत भावनात्मक तौर पर कैसे जुड़ी है? इसे जानने के लिए एक रोचक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन को लिए कुछ लोगों के समूह को दो भागों में बांटा गया। दोनों समूह को बर्फ के पानी में अपने हाथ डालने के लिए कहा गया, जिसमें से एक समूह को पानी में हाथ डालने से पहले कसम खाने के लिए कहा गया, तो दूसरे समूह को बिना किसी कसम के पानी में हाथ डालना था।

    इस अध्ययन में पाया गया कि कसम खाने वाले समूह में लगभग दो तिहाई लोगों ने कसम न खाने वाले लोगों की तुलना में अधिक समय तक पानी में अपना हाथ रखा था, जो यह दावा करता है कि कसम खाने की आदत भावनात्मक इच्छा को मजबूत करता है। यह दर्द सहने की क्षमता को भी बढ़ाता है।

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    3.खुद का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए

    ऐसे लोग जो तनाव में रहते हैं, वो अपने हर काम को लेकर असमंजस में रहते हैं। उन्हें खुद को और दूसरों को यह यकीन दिलाना रहता है कि हां वो इस काम को कर सकते हैं। इसलिए, भी लोग हर बात पर कसम खाते हैं।

    4.खुद पर लगे आरोप हटाने के लिए

    कुछ लोग सही होते हुए भी कभी-कभार गलत ठहरा दिए जाते हैं। जब उनके पास खुद को सही साबित करने के लिए किसी तरह का कोई प्रूफ नहीं होता है, तो उस समय उनके पास कसम खाने का आखिरी विकल्प होता है। क्योंकि, कसम खाए हुए व्यक्ति की बातों पर लोग यकीन करना ज्यादा पसंद करते हैं।

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    क्या कसम खाना अच्छी बात है?

    इस सवाल का मत हां और नहीं दोनों ही हो सकता है। अगर कसम खाना आपकी भावनाओं को मजबूत बनाने में मददगार है, तो यह एक अच्छी आदत हो सकती है। लेकिन, अगर कसम खाना अपनी कमजोरी को छिपाने या किसी को यकीन दिलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो यह अच्छी आदत नहीं भी हो सकती है।

    बहुत ज्यादा कसम खाने वाले लोग होते हैं अधिक भावुक

    एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बहुत ज्यादा कसम खाने वाले लोग होते हैं अधिक भावुक होते हैं। ऐसे लोग अक्सर अपने प्रियजनों से छूट भी कम बोलते हैं। सामने वाला उनकी बात पर यकीन कर लें, इसलिए ऐसे लोग हर बात पर कमस खाते हैं।

    क्यों खाते हैं कसम, जानिए लोगों की राय

    दोस्तों से बहाने बनाने के लिए : अमन चौरसिया, दिल्ली

    “जब भी मुझे अपने किसी दोस्त से कोई बहाना बनाना होता है, तो मैं अक्सर कसम खाता हूं। जैसे, किसी दोस्त का फोन आता है और वो मुझे कहीं बाहर घूमने के लिए बुलाता है, तो उसको मना करने के लिए मैं कोई बहाना बता दूंगा। अगर वो फिर भी न माने, तो उसको अपने बहाने पर भरोसा दिलाने के लिए मैं अक्सर कसम खा लेता हूं। लेकिन, मैं कभी भी कसम खाने की बात को गंभीर तौर पर नहीं लेता हूं।’

    हालात को समझाने के लिए : राज कुमार, पटना

    “कई बार ऐसा हालात बन जाते हैं, जिस पर यकीन करना सामने वाले के लिए मुश्किल हो सकता है, तो ऐसी स्थिति में मैं कसम खा सकता हूं। जैसे, मेरे किसी दोस्तों को किसी काम के लिए मेरी मदद चाहिए। लेकिन, इस समय मैं उसकी मदद चाह कर भी नहीं करता हूं, तो ऐसे स्थिति में उसे मदद से मना करने और उसकी वजह को समझाने के लिए मैं अपने दोस्त से कसम खा सकता हूं।’

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