के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
डबल मार्कर टेस्ट (Double Marker Test) मां के पेट में पल रहे भ्रूण पर किया जाता है। यह टेस्ट प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों के दौरान किया जाता है। अगर भ्रूण में किसी तरह की क्रोमोसोमल असामान्यताएं होती है तो उसकी पहचान करने में यह मददगार होता है। प्रति 700 बच्चों के जन्म में 1 बच्चा इससे पीड़िता होता है। यह परीक्षण आपको यह पता लगाने में मदद करता है कि क्या आपके बच्चे को डाउन सिंड्रोम, ट्राइसॉमी 18 और 21 जैसे मानसिक विकार का खतरा है या नहीं। ये विकार क्रोमोसोमल दोष के कारण होते हैं। जो जन्म के बाद बच्चे के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं। यह परीक्षण मूल रूप से खून में दो प्रकार के मार्करों की जांच करता है।
अगर भ्रूण में विकार का उच्च स्तर पाया जाता है तो यह डाउन सिंड्रोम के जोखिम को दर्शाता है और ट्राइसॉमी 18 और 21 का भी निम्न स्तर बताने में मददगार होता है।
यह भ्रूण के खून में निम्न स्तर में प्लाज्मा प्रोटीन की उपस्थिति में डाउंस सिंड्रोम के जोखिमों का पता लगाती है।
यह परीक्षण जरूरी सावधानियों को बरतने में मदद करता है, ताकि बच्चे का जन्म बिना किसी असामान्यता के हो सके। अगर आपकी उम्र 35 से अधिक है और आप बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह टेस्ट आपके लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि बढ़ती उम्र के मां-पिता के बच्चों में क्रोमोसोमल असंतुलन होने का खतरा अधिक बना रहता है।
डबल मार्कर टेस्ट से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
इस टेस्ट के लिए किसी भी तरह की तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। अगर आपका इस टेस्ट से जुड़ा कोई सवाल है तो आप अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।
इस टेस्ट के लिए प्रेग्नेंट महिला का अल्ट्रा साउंड टेस्ट औऱ ब्लड टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट बड़ी प्रयोगशालाओं में किया जाता है। एक बार खून के नमूने प्राप्त करने के बाद दो और मुख्य टेस्ट किए जाते हैं। जिसमें डॉक्टर महिला के शऱीर में हार्मोन और प्रोटीन की जांच करते हैं। हार्मोन फ्री बीटा ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रॉफ़िन है। यह ग्लाइकोप्रोटीन हार्मोन प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ के नाल द्वारा विकसित किया जाता है। दूसरे टेस्ट, प्रोटीन को PAPP-A या गर्भावस्था-संबद्ध प्लाज्मा प्रोटीन-A के रूप में किया जाता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण प्रोटीन होता है।
इस टेस्ट के बाद किसी विशेष प्रकार की देखभाल की जरूरत नहीं होती है। आप अपने डॉक्टर द्वारा निर्देशित तरीके पर अपनी दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं।
अगर आपके मन में डबल मार्कर टेस्ट के बारे में जुड़ा कोई सवाल है, तो कृपया अपने निर्देशों को बेहतर ढंग से समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम आमतौर पर दो श्रेणियों में आते हैं: स्क्रीन सकारात्मक और स्क्रीन नकारात्मक। ये परिणाम न केवल ब्लड टेस्ट बल्कि महिला की उम्र, अल्ट्रासाउंड के दौरान भ्रूण की उम्र पर निर्भर करता है। ये सभी कारक टेस्ट के परिणाम को विकसित करने में सबसे अहम होते हैं। क्योंकि 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में युवा महिलाओं की तुलना में उनके भ्रूण के तंत्रिका संबंधी विकार विकसित होने की संभावना अधिक हो सकती है।
टेस्ट के परिणाम अनुपात के रूप में बताए जाते हैं। जिसके तहत 1:10 से 1: 250 के अनुपात को “स्क्रीन पॉजिटिव” परिणाम माना जाता है। जो भ्रूण के लिए उच्च जोखिम वाला माना जाता है। जबकि, 1:1000 या उससे अधिक के अनुपात को “स्क्रीन नेगेटिव” कहा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप भ्रूण अधिक सुरक्षित होता है।
ये अनुपात विकार से पीड़ित बच्चे की संभावना को समझने का संकेत देते हैं। प्रत्येक अनुपात में गर्भधारण की संख्या से अधिक बच्चे में विकार होने की संभावना को दर्शाया जाता है। 1:10 अनुपात का मतलब है कि 10 गर्भधारण में से 1 बच्चे में विकार की संभावना हो सकती है, जिसका खतरा भी अधिक रहता है। वहीं, 1:1000 अनुपात का मतलब है कि 1000 गर्भधारण में से 1 बच्चे में यह विकार हो सकता है। जिसकी संभावना बहुत ही कम होती है।
अनुपात के आधार पर, डॉक्टर आपको आगे के डायग्नोस्टिक्स, मुख्य रूप से एमनियोसेंटेसिस या कोरियोनिक विलस सैंपलिंग करने की सलाह दे सकते हैं। अगक आपके डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम सकारात्मक आते हैं तो।
प्रयोगशाला और अस्पताल के आधार पर, डबल मार्कर टेस्ट के लिए लागत अलग-अलग हो सकती है। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में डबल मार्कर टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आप प्रेग्नेंसी के पहले फेज में हैं तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट लिख सकता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि प्रेग्नेंसी में मां को एक्सट्रा केयर की जरूरत होती है। इस दौरान उन्हें अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे का भी ध्यान रख रखना होता है। डबल मार्कर टेस्ट से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।
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