के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar
ग्लॉकोमा सर्जरी को मेडिकल भाषा में ट्रेबैक्यूलेक्टमी कहते हैं। ये ऑप्टिक नर्व के डैमेज होने के खतरे को कम करने के लिए किया जाता है। अगर बात करें ऑप्टिक नर्व की तो ये एक ऐसी नर्व है जो हमारी रेटिना से किसी वस्तु के चित्र को दिमाग तक पहुंचाती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो ऑप्टिक नर्व के कारण ही हम दुनिया को देख पाते हैं।
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अब जानते हैं ग्लॉकोमा के बारे में, इस बीमारी में आंखों में फ्लूइड्स अनियमित रूप से स्रावित होते रहते हैं, जिस वजह से आंखों में प्रेशर बढ़ जाता है। आगे चल कर फ्लूइड्स की अनियमितता के कारण ऑप्टिक नर्व इंजरी हो जाती है। जिससे सही तरह से चीजें दिखाई नहीं देती है। ग्लॉकोमा 40 साल से ऊपर के लोगों में होता है और 50 में से किसी 1 इंसान को होता है। वहीं, अगर ग्लॉकोमा का समय से इलाज नहीं किया गया तो आगे चल कर ये अंधापन (Blindness) में बदल जाता है। दूसरी तरफ कुछ केस में देखा गया है कि आंखों में बनने वाला तरल की स्थिति सामान्य होते हुए भी ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाती है।
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इस बीमारी के कारण आंखों में होने वाले दर्द को कम करने के लिए ये सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी का मुख्य उद्देश्य ऑप्टिक नर्व को डैमेज होने से बचाना है। साथ ही आंखों में स्रावित होने वाले तरल को नियंत्रित करना भी है।
ग्लॉकोमा सर्जरी को करने से पहले कोशिश की जाती है कि मरीज दवाओं से ही ठीक हो जाए। लेकिन, यदि दवाओं से भी ठीक होने की स्थिति नहीं होती है तो मरीज की सर्जरी की जाती है। पहले तो डॉक्टर लेजर सर्जरी (Laser surgery) को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन, जब लेजर सर्जरी सफल नहीं होती है तो कनवेंशनल सर्जरी (conventional surgery) की जाती है। इस सर्जरी में आंखों से मोतियाबिंद भी निकाला जा सकता है।
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ग्लॉकोमा के कनवेंशनल सर्जरी के बाद जहां पर काटा जाता है वहां पर पपड़ी (Scars) जमने लगती है। जिसके कारण आंखों के अंदर का तरल इकट्ठा हो जाता है और छाले (Bleb) जैसी संरचना दिखाई देने लगती है। अगर छाले आंखों में दिक्कत करते हैं तो और सर्जरी की जरूरत रहती है। ऐसी स्थिति में माइटोमाइसिन नामक दवा पपड़ी को ठीक करने के लिए दी जाती है। वहीं, कुछ डॉक्टर्स 5-फ्लूरोरासिल देते हैं। लेकिन, इस दवा को सर्जरी के बाद नहीं लेना चाहिए। 5-फ्लूरोरासिल को सर्जरी के दौरान आंखों में इंजेक्ट किया जाता है, ताकि सर्जरी के बाद आंखों में पपड़ी न बन सके।
इसके अलावाख, सर्जरी के तुरंत बाद अन्य समस्याएं भी सामने आती हैं:
सर्जरी के बहुत देर बाद ये समस्याएं भी सामने आती हैं:
सर्जरी के बाद के साइड इफेक्ट्स के बारे में आपको पता होना चाहिए। लेकिन, ये जरूरी नहीं है कि ये सभी लक्षण आपकी सर्जरी के बाद सामने ही आए। इसलिए, अगर आपकी आंखों में किसी भी तरह का साइड इफेक्ट सामने आ रहा है तो अपने डॉक्टर या सर्जन से जरूर मिलें।
ऑपरेशन कराने से पहले अपने डॉक्टर से अपनी सेहत, दवाओं (जो पहले से चल रही हैं), एलर्जी आदि के बारे में पहले ही बात कर लें। इसके अलावा, अपने एनेस्थेटिस्ट (Anaesthetist) से भी बात कर लें, ताकि आपको सर्जरी के पहले जब बेहोश किया जाए तो दिक्कत न हो। इससे भी जरूरी काम है सर्जरी के पहले आपका खाना। अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें कि आपको सर्जरी से पहले क्या खाना या पीना है? डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों को परिजनों (Family Members) को जरूर बता दें। ताकि परिवार के लोग आपके खाने-पीने का ध्यान रख सके।
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आपके एनेस्थेटिस्ट ने आपको एनेस्थेटिक (सुन्न या बेहोश) करने के कई तरीके बताए होंगे। सर्जरी को करने में लगभग 45 से 75 मिनट का समय लगता है। क्योंकि, सर्जन ऑपरेशन के दौरान आंखों में इकट्ठा तरल (Fluid) को निकालता है। अगर आपके मन में सर्जरी के दौरान भी कोई भ्रम या सवाल हो तो सर्जन से जरूर पूछ लें।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। ग्लॉकोमा सर्जरी कराने के पहले या बाद में अपने डॉक्टर/सर्जन के निर्देशों का ही पालन करें।
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