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Pacemaker Implantation : पेसमेकर इम्प्लांटेशन कैसे होता है?

Pacemaker Implantation : पेसमेकर इम्प्लांटेशन कैसे होता है?

परिचय

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) क्या हैं? 

पेसमेकर एक छोटा सा उपकरण होता है। जो दो भागों से बना होता है- एक जेनरेटर और वायर। पेसमेकर को सीने की त्वचा में लगाया जाता है, ताकि हार्टबीट को नियंत्रित किया जा सके। पेसमेकर इम्प्लांटेशन(Pacemaker-implantation) की जरूरत कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को पड़ती है। जिन्हें एरिदमियस (Arrhythmias) यानी कि दिल की धड़कनों का असामान्य होना, उनका पेसमेकर इम्प्लांटेशन किया जाता है।

वहीं, हार्ट अटैक के कारण भी दिल की धड़कने असामान्य हो जाती हैं। तो भी डॉक्टर पेसमेकर को ही विकल्प के रूप में बताते हैं। कुछ दवाएं भी दिल की धड़कनों को प्रभावित करती हैं। वहीं, कुछ मामलों में आनुवंशिकता जिम्मेदार होती है। पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) एक छोटी सी सर्जरी के द्वारा किया जाता है। पेसमेकर को परमानेंट रूप से इम्प्लांट कर के हार्ट फेलियर जैसे जोखिमों को कम किया जाता है। 

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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) सर्जरी की जरूरत कब होती है?

पेसमेकर के इम्प्लांट की जरूरत अक्सर ब्राडिकार्डिया (Bradycardia) और हार्ट ब्लॉक के मामलों में किया जाता है। बार्डीकार्डिया में दिल की धड़कन सामान्य से कम हो जाती है। हार्ट ब्लॉक एक प्रकार का डिसऑर्डर है, जिसमें दिल द्वारा दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक सिग्नल कम हो जाते हैं या दिल तक पहुंच नहीं पाते हैं। 

हार्ट ब्लॉक की स्थिति उम्र ढलने के साथ होती है। जिसमें हार्ट डेमेज या हर्ट अटैक होता है। कुछ नर्व और मांसपेशियां भी हार्ट ब्लॉक, मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी के लिए जिम्मेदार होती हैं। 

निम्न परिस्थितियों में पेसमेकर के लिए डॉक्टर कहते हैं : 

  • दिल की बीमारी के कारण साइनस नोड्स डैमेज हो जाते हैं। जिससे हार्टबीट अनियमित हो जाते हैं और धीरे-धीरे हार्टबीट कम होने लगती है। इसे साइनस सिंड्रोम कहते हैं। 
  • अरिदमियस (arrhythmias) यानी कि दिल की धड़कनों के असामान्य होने पर भी पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) किया जाता है।
  • बीटा ब्लॉकर दवाएं लेने से भी आपके दिल की धड़कनें बहुत धीमी हो जाती हैं।
  • दिल की धड़कनें धीमी होने से आप बेहोश भी हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपके गले से जाने वाली धमनी ब्रेन तक खून को पहुंचाती है और वह काफी धीमी गति से ब्रेन तक पहुंचता है तो आपको थकान और चक्कर सा महसूस होने लगेगा। 
  • अगर दिल के इलेक्ट्रिक सिग्नल के धीमे होने के कारण आपको हार्ट मसल्स प्रॉबल्म होती है तो पेसमेकर कार्डियक रिसिंक्रोनाइजेशन थेरिपी (CRT) देने काम करता है।
  • इसके अलावा अगर आपको दिल की जन्मजात बीमारी है तो भी पेसमेकर बहुत हद कर सामान्य जीवन जीने में मददगार होता है। पेसमेकर बच्चे, टीनएजर्स या बड़े कोई भी इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) सर्जरी करने से पहले अरिदमियस (arrhythmias) के लक्षणों को जानते हैं। जैसे- चक्कर आना, सांस लेने में परेशानी आदि।  इसके साथ ही दिल से संबंधित कुछ टेस्ट भी करते हैं। 

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जोखिम

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) को टेम्पररी कराने वाले लोग ए-वी कंडक्शन फेलियर होने के हाई रिस्क में रहते हैं। निम्न लोगों स्थायी पेसमेकर लगाया जाता है: 

  • जिनका ए-वी ब्लॉक (A-V block) परमानेंट या अनिरंतर हो
  • एक्सरसाइज करने से ए-वी ब्लॉक हो जाना
  • साइनस नोड संबंधी समस्या
  • एट्रियल फाइब्रिलेशन, एट्रियल फ्लटर, टैकीकार्डिया की मेडिकल या पारिवारिक हिस्ट्री होना। इसके अलावा हार्ट फेलियर के साथ ब्राडिकार्डिया का भी रिस्क जिनमें हो।
  • बेहोश होने के साथ असिस्टोल (दिल की धड़कनों की कमी) होना
  • बार-बार बेहोश होना

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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) सर्जरी के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) सर्जरी के कुछ दिनों के बाद पेसमेकर लगाए गए स्थान पर दर्द, सूजन हो सकती है। इसे कम करने के लिए सर्जरी के बाद आपको दवाएं देते हैं।

इसके अलावा पेसमेकर इम्प्लांट के बाद कुछ अन्य समस्या हो सकती हैं :

  • जहां पर पेसमेकर इम्प्लांट किया गया है वहां पर संक्रमण हो जाना
  • एनिस्थिसिया देने पर एलर्जिक रिएक्शन होना
  • सूजन, घाव या ब्लीडिंग होना, ऐसा तब होता है जब आप खून को पतला करने की दवाएं लेते हैं
  • पेसमेकर के आसपास खून की नसों का डैमेज होना
  • फेफड़ों में समस्या होना
  • पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के कारण मौत भी हो सकती है, लेकिन ये बहुत रेयर है। 

जरूरी नहीं की ये समस्याएं सभी के साथ हो, लेकिन फिर भी आपको सभी तरह के जोखिम के बारे में जान लेना चाहिए। 

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प्रक्रिया

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) सर्जरी करने से पहले आप निम्न तरीके से तैयार रहें :

  • पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) करने से पहले डॉक्टर आपके कुछ टेस्ट करते हैं। जिसके लिए आपको टेस्ट से पहले सभी तरह के निर्देशों के बारे में पूछ लेना चाहिए।
  • अगर आप सेंसटिव हैं या किसी तरह की एलर्जी है तो आप अपने डॉक्टर को जरूर बताएं।
  • सर्जरी कराने से कितने समय पहले से आपको खाना-पीना बंद करना है। इसके लिए अपने डॉक्टर से पूछ लें।
  • अगर आप गर्भवती हैं तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
  • अगर पहले से आप कोई दवा ले रहे हैं को उसके बारे में डॉक्टर को जानकारी दें।
  • अगर आपको हार्ट वाल्व डिजीज है तो आपको सर्जरी से पहले एंटीबायोटिक लेने के लिए कहा जा सकता है।
  • खून को पतला करने वाली दवाएं जैसे एस्पिरीन अगर आप ले रहे हैं तो डॉक्टर को जरूर बताएं। ताकि, जरूरत के हिसाब से डॉक्टर दवा को बंद कर सकें।
  • डॉक्टर सर्जरी के पहले ब्लड टेस्ट कर सकते हैं, ताकि ये जान सके कि आपका खून जमने में कितना वक्त लगता है।
  • नॉनइन्वेसिव टेस्ट करते हैं, जिसमें सेंसर पैड से वायर जुड़े रहते हैं, इसे इलेक्ट्रोड कहते हैं। इलेक्ट्रोड्स को आपके सीने और हाथों पर लगा कर दिल की इलेक्ट्रिक इम्पल्स को मापा जाता है। 
  • हॉल्टर मॉनिटरिंग की जाती है, जिसे एम्बुलेट्री मॉनिटर भी कहते है। इस टेस्ट में 24 घंटे तक आपके दिल की धड़कनों को मापा जाता है। हॉल्टर मॉनिटरिंग एक प्रकार की मशीन होती है जो बेल्ट की तरह होती है। इसे कंधे से होते हुए सीने पर पहना जाता है। जो बैट्री के द्वारा संचालित होता है। जिसमें आपके दिल की धड़कनें रिकॉर्ड होती हैं। 
  • पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के पहले डॉक्टर इको भी करते हैं। जिससे दिल की धड़कनों से लेकर उसकी मोटाई, आकार आदि की तस्वीरें ली जाती है। 
  • जब सिर्फ एक्सरसाइज के दौरान आपको समस्या होती है तो स्ट्रेस टेस्ट करने के लिए कहा जाता है। इसके लिए आपका इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम किया जाता है। जिसे आपके एक्सरसाइज, साइकलिंग के बाद किया जाता है। जिससे दिल के साथ ही यह भी मापा आपके खून में ऑक्सीजन की कितनी मात्रा जा रही है। 

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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) में होने वाली प्रक्रिया क्या है?

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) को करने में एक घंटे का समय लगता है। सर्जरी के दौरान ही तीन लीड वाला बाइवेंट्रिकल पेसमेकर लगाना होता है तो सर्जरी का समय एक घंटे से ज्यादा हो जाता है। सर्जरी कराने के बाद आपको ह़स्पिटल में एक या दो दिन तक रुकना पड़ सकता है। 

सर्जरी के पहले आपको एक विशेष कमरे में ले के जाया जाता है। जहां पर आपको सलाइन चढ़ाया जाता है। इसके बाद आपके सीने को एंटीसेप्टिक साबुन से धुला जाता है। जिसके बाद आपके सीने के उस हिस्से से को सुन्न किया जाएगा। इसके बाद कॉलरबोन के नीचे एक छोटा सा कट लगाते हैं। जिसमें एक या एक से ज्यादा इलेक्ट्रोड को डाला जाता है। इसके साथ ही एक्स-रे लगा कर देखा जाता है कि पेसमेकर सही से फिट हुआ है या नहीं। पेसमेकर के इलेक्ट्रोड में लगा हुआ वायर दिल से जोड़ा जाता है। वहीं, उसका दूसरा सिरा पल्स जेनरेटर से जुड़ा हुआ होता है। इससे ही दिल की धड़कनों को नियंत्रित किया जाता है। 

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पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के बाद क्या होता है?

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) कराने के बाद आप एक या दो दिन में घर जा सकते हैं। इसके बाद भी आपको हॉस्पिटल आना पड़ेगा। आपको इम्प्लांट हुए पेसमेकर की जांच करानी पड़ेगी। जिससे ये पता चल सके कि पेसमेकर सही से लगा है या नहीं। 

वहीं, वायरलेस तकनीक से बना पेसमेकर रिमोट द्वारा जांचा जाता है कि वह सही से दिल की धड़कनों को नियंत्रित कर रहा है या नहीं। वहीं, आपके दिल की धड़कनों को रिकॉर्ड भी करता है, जिसे समय-समय पर डॉक्टर देखते रहते हैं। वहीं, पेसमेकर में बैट्री लगी होती है जिसकी मदद से वह काम करता है। बैट्री खत्म होने पर पेसमेकर को फिर से लगवाना पड़ता है। पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के बाद आपको भारी एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए। वहीं, अगर आपको सर्जरी वाले स्थान पर दर्द होता है तो आप पेनकीलर ले सकते हैं। वैसे भी सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको पेनकीलर देते हैं।

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रिकवरी

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के बाद मुझे खुद का ख्याल कैसे रखना चाहिए?

पेसमेकर इम्प्लांटेशन (Pacemaker-implantation) के बाद आपको भारी एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए। एक महीने बाद आप धीरे-धीरे रिकवर कर जाएंगे। पेसमेकर कैसे लगाया जाता है, आप इस बारे में डॉक्टर से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Pacemaker Implantation. https://www.heart.org/en/health-topics/arrhythmia/prevention–treatment-of-arrhythmia/living-with-your-pacemaker. Accessed November 21, 2019.

Pacemaker Insertion. https://www.hopkinsmedicine.org/healthlibrary/test_procedures/cardiovascular/pacemaker_insertion_92,P07980. Accessed November 21, 2019.

Pacemaker implantation. https://www.nhs.uk/conditions/pacemaker-implantation/#how-is-a-pacemaker-fitted. Accessed November 21, 2019.

Pacemaker. https://www.mayoclinic.org/tests-procedures/pacemaker/about/pac-20384689. Accessed November 21, 2019.

Pacemakers. https://www.nhlbi.nih.gov/health-topics/pacemakers. Accessed November 21, 2019.

Pacemaker implantation. https://www.nhs.uk/conditions/pacemaker-implantation/what-happens/. Accessed November 21, 2019.

 

Current Version

26/08/2021

Shayali Rekha द्वारा लिखित

Updated by: Bhawana Awasthi


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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/08/2021

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