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एथेरोमा (Atheroma) : आर्टरीज में जमा प्लाक बन सकता है इस बीमारी की वजह!

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    एथेरोमा (Atheroma) : आर्टरीज में जमा प्लाक बन सकता है इस बीमारी की वजह!

    एथेरोमा (Atheroma) ब्लड वेसल्स यानी आर्टरीज में विकसित फैटी लम्पस को कहा जाता है। यह लम्पस प्लाक के रूप में होते हैं और आर्टरीज के सख्त होने के कारण बनती हैं। इस स्थिति को एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) कहा  जाता है। हालांकि, यह समस्या रातोंरात विकसित नहीं होती बल्कि इन्हें बड़े और थिक होने में महीनों या साल लग सकते हैं। समय के साथ एथेरोमा (Atheroma) के पैच आर्टरी को तंग कर देते हैं। जिससे ब्लड फ्लो होने में समस्या होती है। इस बिल्डअप को एथेरोस्क्लोरोटिक प्लाक (Atherosclerotic Plaque) के रूप में भी जाना जाता है। यह बिल्डअप आर्टरीज को तंग करता है, जिसे ब्लड फ्लो में समस्या होती है या इससे यह धमनियां ब्लॉक भी हो सकती है। समय के साथ यह समस्या और बड़ी हो सकती है और कई गंभीर हेल्थ इशूज का कारण बन सकती हैं, जिसमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक शामिल है। आइए जानते हैं एथेरोमा (Atheroma) के बारे में विस्तार से। सबसे पहले जानते हैं एथेरोमा के कारणों (Causes of Atheroma) के बारे में।

    एथेरोमा के कारण क्या हैं? (Causes of Atheroma)

    आर्टरीज एक फ्लेक्सिबल ब्लड वेसल हैं, जो ऑक्सीजन रिच ब्लड को हार्ट से शरीर के अन्य टिश्यूज और ऑर्गन्स तक ले जाते हैं। इसमें एक चिकनी आंतरिक परत होती है जिसे एंडोथेलियम (Endothelium) कहा जाता है।  इससे खून बिना किसी समस्या के प्रवाहित हो सकता है। हालांकि, एथेरोमा(Atheroma) या प्लाक बिल्डअप (Plaque Buildup) के कारण ब्लड फ्लो में बाधा आ सकती है। एथेरोस्क्लेरोसिस और एथेरोमा (Atheroma) के कारण कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। एथेरोमा की समस्या किसी भी आर्टरी में हो सकती है। लेकिन अगर यह बाजू, दिल, पेल्विस और किडनी की मध्यम से लार्ज आर्टरीज में होती है, तो इसे बेहद खतरनाक माना जाता है।

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    नेशनल हार्ट, लंग, और ब्लड इंस्टीट्यूट (National Heart, Lung, and Blood Institute) के अनुसार इस समस्या के सही कारणों की जानकारी नहीं है। लेकिन, शोधकर्ता ऐसा मानते हैं कि यह एंडोथेलियम (Endothelium) में बार-बार चोट लगने के बाद यह हो सकती है। जिससे इन्फ्लेमेशन होती है। यह चोट जेनेटिक और लाइफस्टाइल दोनों फैक्टर्स के कारण हो सकती है। इस चोट के रिस्पांस के कारण शरीर वाइट ब्लड सेल्स को प्रभावित एरिया तक भेजता है। ये सेल्स फोम सेल्स (Foam cells) के रूप में जाने जाते हैं। ये सेल्स वसा और कोलेस्ट्रॉल को आकर्षित करते हैं और इस तरह एथेरोमा (Atheroma) के बढ़ने का कारण बनते हैं। आर्टरीज की वॉल्स में लगने वाली चोट के कारण इस प्रकार है:

    • हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
    • डायबिटीज (Diabetes)
    • मोटापा (Obesity)
    • हाय कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol)
    • स्मोकिंग (Smoking)
    • इंफ्लेमेटरी डिजीज जैसे ल्यूपस (Lupus) और रयूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis)
    • उम्र (Age)
    • लिंग (Sex)

    यह तो थे इस समस्या के कारण, अब जानते हैं कि एथेरोमा (Atheroma) के लक्षण क्या हैं?

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    एथेरोमा के लक्षण (Symptoms of Atheroma)

    एथेरोमा (Atheroma) कई सालों में धीरे धीरे विकसित हो सकती है और कई लोगों को इस बारे में पता भी नहीं होता कि उन्हें यह समस्या है। इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि इस समस्या के कारण कौन सी आर्टरीज प्रभावित हुई हैं और यह एथेरोमा (Atheroma) कितना ब्लड फ्लो ब्लॉक कर रहा है? इस बीमारी के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

    • छाती में दर्द  (chest pain)
    • सांस का फूलना (Breathlessness)
    • हार्ट अटैक (Heart attack)
    • स्ट्रोक (Stroke)
    • ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक  (Transient ischemic attack)
    • पेरीफेरल वैस्कुलर डिसऑर्डर (Peripheral vascular disorder)
    •  वैस्क्युलर डिमेंशिया (Vascular dementia)
    • पेट में दर्द (Abdominal pain)
    • जी मचलना (Nausea)

    यह बीमारी कई जटिलताओं का कारण बन सकती है। जिससे यह समस्या गंभीर हो सकती हैं। जानिए इससे सम्बन्धित जटिलताओं के बारे में।

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    एथेरोमा से संबंधित जटिलताएं (Complications of Atheroma)

    एथेरोमा (Atheroma) और आर्टरीज के तंग या पूरी तरह से ब्लॉक होने के कारण कई जटिलताएं हो सकती हैं। जब प्लाक को कवर करने वाली फाइब्रस कैप टूट जाती है तो ब्लड क्लॉट्स बनाने वाले प्लेटलेट्स एक्टिवेट हो जाते हैं। जब पर्याप्त प्लेटलेट प्लाक की जगह पर पहुंच जाते हैं तो ब्लड क्लॉट बनते हैं। जो इस्किमिया (Ischemia) और इंफार्कशन (Infarction) का कारण बनते हैं।

    इसके साथ ही अगर एथेरोमेटिज प्लाक (Atheromatous Plaque) कैल्सीफाइड हो जाता है तो यह आर्टरीज को भंगुर और कठोर बना देती है। इसके परिणामस्वरूप आर्टरी टूट सकती है , जिससे हेमोरेज (Hemorrhage) या अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। ब्लड वेसल टिश्यू के बीच में विकसित होने वाले प्लाक के कारण आर्टेरियल वॉल्स (Arterial Walls) कमजोर हो सकती हैं जो इससे संबंधित एक और कॉम्प्लेक्शन है। इसके साथ ही इसकी अन्य जटिलताएं इस प्रकार हैं:

    • हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक (Heart Disease and Heart Attack)
    • सेरेब्रोवैस्क्युलर डिजीज (Cerebrovascular Disease) जैसे स्ट्रोक जिसके कारण ब्रेन डैमेज (Brain Damage) हो सकता है।  
    • पेरीफेरल आर्टेरियल डिजीज (Peripheral Arterial Disease), जो टांग की आर्टरीज के नैरो होने के कारण होती है।  इसके कारण क्रैम्प्स या मसल्स पेन हो सकती है।  
    • वैस्कुलर डिमेंशिया (Vascular dementia)

    यह तो थी इस समस्या से जुड़ी जटिलताएं। लेकिन इस बीमारी का सही समय पर निदान होना भी बेहद जरूरी है। इसका निदान कैसे किया जाता है, जानिए।

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    एथेरोमा का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of Atheroma)

    एथेरोमा (Atheroma) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से उसके लक्षणों के बारे में जानते हैं।  उसके बाद रोगी के मेडिकल हिस्ट्री पूछी जाती है और शारीरिक जांच भी की जाती है। इसके निदान के लिए डॉक्टर रोगी को कई टेस्ट्स कराने की सलाह भी दे सकते हैं। यह टेस्ट्स इस प्रकार हैं :

    डॉपलर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound)

    डॉपलर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound) एक नॉन इनवेसिव टेस्ट है। यह एक इमेजिंग टेस्ट (Imaging Test) है जिसमें साउंड वेव का प्रयोग किया जाता है ताकि ब्लड वेसल्स के माध्यम से ब्लड की मूवमेंट को दिखाया जा सकता है। सामान्य अल्ट्रासाउंड से भी शरीर के अंदर के स्ट्रक्चर की तस्वीर ली जा सकती है। लेकिन, यह ब्लड फ्लो नहीं दिखा सकता है। इस टेस्ट से पता चलता है कि ब्लड कैसे फ्लो कर रहा है और कहीं कोई ब्लॉकेज तो नहीं है।

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    इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)

    इकोकार्डियोग्राम हार्ट के अल्ट्रासाउंड (Heart Ultrasound) के समान ही होता है। लेकिन, यह ब्लड कैसे फ्लो कर रहा है इसकी तस्वीर बना सकता है।

    सीटी स्कैन (CT Scan)

    सीटी स्कैन (CT Scan) से आर्टरीज के नैरो होने के बारे में भी पता चल सकता है।

    एंजियोग्राफी (Angiography)

    एंजियोग्राफी में डाई और एक्स-रेज (X-Rays) का प्रयोग कर के नसों की तस्वीर ली जाती है यह टेस्ट डॉक्टर को पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral artery disease )के निदान में मदद करता है।

    रोगी की स्थिति के अनुसार डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट करने की सलाह भी दे सकते हैं। ताकि इस समस्या का निदान हो सके। अब निदान के बाद रोगी का इलाज किस तरह से होता है जानिए इसके बारे में।

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    एथेरोमा का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Atheroma)

    इस समस्या को रोकने या रिवर्स करने के लिए कोई उपचार मौजूद नहीं है। लेकिन, कुछ दवाइयों और उपचारों से इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है और साथ ही इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावनाओं को भी कम किया जा सकता है। इसके उपचार में दवाइयां और सर्जरी शामिल है। एथेरोमा (Atheroma) का उपचार इस तरह से संभव है:

    दवाइयां (Medications)

    इस समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर इसके रिस्क फैक्टर्स को कम करने के लिए भी कार्य करेंगे।  इसके लिए इन दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है :

    सर्जरी (Surgery)

    • अगर आर्टरी ब्लॉकेज बहुत गंभीर है, तो डॉक्टर उसे क्लियर करने के लिए सर्जरी के लिए भी कह सकते हैं जिसमें एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) शामिल है।  
    • अन्य विकल्पों में आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (Artery Bypass Grafting) भी शामिल है। ऐसा तब किया जाता है। जब ब्लड फ्लो को रीडायरेक्ट करने के लिए एक हेल्दी वेन को ब्लॉकेज के ऊपर या नीचे की आर्टरी में लगाया जाता है।
    • कैरोटिड एंडारटेरेक्टॉमी (Carotid Endarterectomy) के प्रयोग से गर्दन में उस कैरोटिड आर्टरी (Carotid Artery) से प्लाक को हटाया जाता है, जो मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करती है। अब जानते हैं इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है?

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    एथेरोमा से बचाव (Prevention of Atheroma)

    एथेरोमा (Atheroma) से बचाव संभव नहीं है लेकिन कुछ ऐसे फैक्टर्स हैं जिनसे आर्टरीज में प्लाक को बनने से रोका जा सकता है। यह फैक्टर्स इस प्रकार हैं:

    स्मोकिंग (Smoking) : वैस्कुलर डिजीज का एक बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर है स्मोकिंग। स्मोकिंग करने से ब्लड वेसल्स तंग हो सकते हैं, ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। यही नहीं यह आदत और भी कई बीमारियों का कारण बन सकती है। ऐसे में अगर आपको एथेरोमा (Atheroma) या अन्य बीमारियों से बचना है तो स्मोकिंग की आदत छोड़ दें।

    डायट और व्यायाम (Diet and Exercise) : सही से आहार का सेवन और व्यायाम न करने से मोटापा हो सकता है जो हाय ब्लड प्रेशर का भी कारण बन सकता है। इससे भी एथेरोमा (Atheroma) की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए, पौष्टिक और संतुलित आहार का सेवन करें और रोजाना दिन में केवल तीस मिनट व्यायाम के लिए निकालना न भूलें। डिसलिपिडेमिया खून में लिपिड्स की असामान्य मात्रा होती है। यह आमतौर पर जेनेटिक और डायटरी फैक्टर्स के कारण होती है। कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary Heart Disease) की कमी को लो टोटल प्लाज्मा कोलेस्ट्रॉल कंसंट्रेशन (Low Total Plasma Cholesterol Concentration) के साथ जोड़ा गया है। मरीज को आमतौर पर सेचुरेटेड वसा का कम सेवन करने और मोटापा कम करने की तरफ ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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    एथेरोमा (Atheroma) के जोखिम को बढ़ाने वाले फैक्टर्स भी वहीं हैं जो अन्य हार्ट और सर्कुलेटरी डिजीज (Heart and Circulatory Diseases) को बढ़ाते हैं। इनसे बचने के अन्य उपाय इस प्रकार हैं:

    • अपने वजन को संतुलित बनाए रखें (Maintain Right Weight)
    • शराब की मात्रा को सीमित रखें (Limit Alcohol)
    • हाय ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें (Control High Blood Pressure)
    • अपने शरीर के कोलेस्ट्रॉल लेवल और शुगर लेवल को भी कंट्रोल करें (Control Cholesterol and Sugar level)
    • तनाव से बचें (Avoid Depression)
    • पर्याप्त नींद लें (Enough Sleep)

    यही नहीं, एथेरोमा (Atheroma) या अन्य किसी भी बीमारी से बचाव के लिए आपको नियमित चेकअप (Regular Checkup) कराना चाहिए, डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों को सही तरीके से खाना चाहिए। इसके साथ ही सकारात्मक रहें। अगर आप एक स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो इन हेल्दी आदतों को अवश्य अपनाएं।

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    ऐसा माना जाता है कि उम्र के बढ़ने पर हर व्यक्ति में कुछ डिग्री एथेरोमा (Atheroma) की समस्या होती ही है। अधिकतर लोगों को इससे कोई समस्या नहीं होती है। लेकिन जब एथेरोमाज (Atheroma) बहुत बड़े हो जाते हैं तो यह ब्लड फ्लो को प्रभावित करते हैं जिससे गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसा होने की संभावना तब अधिक होती है जब रोगी का वजन अधिक होता है, रोगी डायबिटीज या अन्य किसी बीमारी से पीड़ित होता है या उसे धूम्रपान की आदत हो। अगर आपको कोई भी ऐसी हेल्दी प्रॉब्लम है जिसके कारण आपको यह बीमारी या प्लाक फार्मेशन होने की संभावना अधिक है, तो पहले ही इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। इसके साथ ही इसके लक्षणों को पहचानें ताकि सही समय पर उपचार हो सके। इस समस्या का उपचार संभव है लेकिन इसके लिए आपको सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

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    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

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