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आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis)
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस एक गंभीर समस्या है। जिसके कारण रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे में तुरंत इसका उपचार जरूरी है। आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के तीन प्रकार हैं एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis), आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Arteriolosclerosis) और मोंकबर्ग मीडियल कैल्सिफिक स्क्लेरोसिस (Monckeberg medial calcific sclerosis.)। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से। शुरुआत करते हैं एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) से।
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार में एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis)
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) वो रोग है, जिसमें आर्टरीज में प्लाक जमा हो जाता है। यह प्लाक फैट्स, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य चीजों से बनता है, जो खून में पाई जाती हैं। समय के साथ प्लाक सख्त हो जाते हैं, जिसके कारण आर्टरीज तंग हो जाती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन रिच खून की सीमित मात्रा शरीर में प्रवाहित हो पाती है। एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के कारण कई गंभीर समस्याएं होने की संभावना भी रहती है, जैसे:
इस आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) के लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते हैं, जब तक आर्टरीज बहुत अधिक तंग या पूरी तरह से बंद न हो जाएं। अधिकतर लोगों को तब तक इस बात का पता भी नहीं होता कि उन्हें यह समस्या है जब तक की उन्हें किसी मेडिकल एमरजेंसी का सामना न करना पड़े। अब जानिए इसके निदान और उपचार के बारे में।
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एथेरोस्क्लेरोसिस का निदान (Diagnosis of Atherosclerosis)
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के निदान के लिए डॉक्टर रोगी से सबसे पहले लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके बाद शारीरिक जांच भी की जाती है। इसके निदान के लिए रोगी की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी जाना जाएगा। इसके अलावा इमेजिंग और अन्य डायग्नोस्टिक टेस्ट्स (Other Diagnostic Tests) के माध्यम से भी यह पता चल सकता है कि आपको यह समस्या है या नहीं। जैसे सीटी स्कैन (CT Scan),इकोकार्डियोग्राम (echocardiogram), इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) आदि। रोगी को ब्लड टेस्ट (Blood Test) कराने की सलाह भी दी जा सकती है।
एथेरोस्क्लेरोसिस का उपचार (Treatment of Atherosclerosis)
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के उपचार में दवाईयां सर्जरी और जीवनशैली में बदलाव आदि शामिल है। दवाईयां प्लाक को बनने से रोक सकती हैं। इसके साथ ही डॉक्टर आर्टरीज को ओपन करने के लिए एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) के लिए कह सकते हैं। कोरोनरी या कैरोटिड आर्टरीज (Coronary or Carotid Arteries) के लिए सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। इस समस्या के उपचार के लिए जीवनशैली में बदलाव भी जरूरी है। इनमें हेल्दी डायट (Healthy Diet), नियमित व्यायाम (Regular Exercise), हेल्दी वेट को बनाए रखना (Maintain Healthy Weight), स्ट्रेस को मैनेज करना (Manage Stress) और स्मोकिंग से दूर रहना (Avoid Smoking) आदि शामिल हैं। अब जानते हैं दूसरे आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) के बारे में।
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आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार में आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Arteriolosclerosis)
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) में दूसरा है आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Arteriolosclerosis)। आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Arteriolosclerosis) को भी आर्टेरियल्स (arterioles) और स्मॉल आर्टरीज के असामान्य रूप से सख्त होने को कहा जाता है। ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि वॉल में आने वाले यह छोटे-छोटे बदलाव अक्सर गंभीर स्थिति का कारण बनते हैं। इस समस्या के रिस्क फैक्टर्स में उम्र का बढ़ना, डायबिटीज, हायपरटेंशन आदि शामिल है। आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस के भी दो प्रकार हैं जिन्हें हायलिन आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) और हायपरप्लास्टिक आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Hyperplastic arteriolosclerosis) के नाम से जाना जाता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं: