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डाइयुरेटिक्स ड्रग्स : कंजेनिटल हार्ट डिजीज में किस तरह से फायदेमंद है यह दवाईयां!

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/11/2021

    डाइयुरेटिक्स ड्रग्स : कंजेनिटल हार्ट डिजीज में किस तरह से फायदेमंद है यह दवाईयां!

    कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease), हार्ट के स्ट्रक्चर से जुड़ी समस्याएं हैं। यह डिफेक्ट्स या डिजीज जन्म के समय मौजूद हो सकती है। कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स यानी जन्मजात हृदय दोष सबसे सामान्य तरह का बर्थ डिफेक्ट (Birth Defect) है। यह डिफेक्ट हार्ट की वॉल्स, वॉल्व्स और हार्ट के नजदीक की आर्टरीज व नसों में हो सकते हैं। इन डिफेक्ट्स के कारण हार्ट के माध्यम से बहने वाले खून के नार्मल फ्लो में बाधा बन सकते हैं। इसकी वजह से ब्लड फ्लो कम हो सकता है, ब्लड गलत दिशा या गलत जगह पर जा सकता है या पूरी तरह से ब्लॉक हो सकता है। कुछ काम्प्लेक्स डिफेक्ट्स जान के लिए जोखिम भरे भी हो सकते हैं। आज हम बात करने वाले हैं कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) के बारे में। लेकिन, उससे पहले आइए जानते हैं कंजेनिटल हार्ट डिजीज के बारे में विस्तार से।

    कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) के बारे में जानकारी

    कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) से पहले कंजेनिटल हार्ट डिजीज के बारे में जान लेते हैं। जैसा की आपको पता ही है कि कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) जन्म के दौरान ही शिशु में होती हैं। इसके निदान के लिए डॉक्टर शारीरिक जांच और खास हार्ट टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं। महिला की गर्भावस्था के समय या शिशु के जन्म के बाद भी डॉक्टर इन डिफेक्ट्स का निदान कर सकते हैं। नवजात शिशु में इसके लक्षण इस प्रकार होते हैं।

    • तेजी से सांस लेना (Rapid Breathing)
    • सायनोसिस (Cyanosis) यानी त्वचा, होंठों या उंगलियों के नाखूनों का नीला होना
    • थकावट (Fatigue)
    • पुअर ब्लड सर्कुलेशन (Poor Blood Circulation)

    बहुत सी कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) का कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। यही नहीं, कई मामलों में इनका निदान तब तक नहीं हो पाता है जब तक बच्चा बड़ा न हो जाए। इन बीमारियों से पीड़ित अधिकतर बच्चों को उपचार की भी जरूरत नहीं होती। लेकिन कई बच्चों के लिए इसका उपचार जरूरी है। इसके उपचार में दवाईयां, सर्जरी और हार्ट ट्रांसप्लांट शामिल है। यह उपचार बच्चे की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। अब जानिए कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) के बारे में।

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    कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स कौन सी प्रयोग होती हैं? (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease)

    अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के अनुसार हार्ट की समस्याओं के प्रभावित व्यक्ति को मल्टीपल दवाईयों की आवश्यकता हो सकती है। यह हर एक दवाई विभिन्न लक्षणों का उपचार करती है। अगर आपको हार्ट संबंधी कोई समस्या है, तो आपके डॉक्टर आपके लिए सही दवाई के बारे में आपको सलाह दे सकते हैं। इन्हीं में से एक है डाइयुरेटिक्स ड्रग्स। डाइयुरेटिक्स ड्रग्स को वाटर पिल्स के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि, यह दवाईयां शरीर से अतिरिक्त फ्लूइड को बाहर निकालने का काम करती हैं। जिससे हमें अच्छे से सांस ले पाते हैं। अगर आपको डाइयुरेटिक्स ड्रग्स लेने की सलाह दी गयी है, तो इसे सुबह लें। क्योंकि रात को इन्हें लेने से आपको रात को बार -बार बाथरूम जाना पड़ सकता है। जानिए कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) कौन सी हैं?

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    बुमेटेनाइड (Bumetanide)

    यह डाइयुरेटिक्स ड्रग ओरल और इंजेक्शन दोनों तरह से बाजार में मौजूद है। इस दवा की सलाह उन लोगों को दी जाती है, जिन्हें कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) हों। इसके साथ ही लिवर और किडनी से संबंधित समस्याओं में भी इस दवाई का प्रयोग किया जा सकता है। अगर आप किसी अन्य दवाई का प्रयोग कर रहे हैं, तो इस डाइयुरेटिक्स को लेने से पहले अपने डॉक्टर को अवश्य बताएं। क्योंकि, अन्य कुछ दवाईयों के साथ इसे लेना नुकसानदायक हो सकता है। यही नहीं, इस दवाई के कई साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं जैसे एलर्जिक रिएक्शन, सांस लेने में समस्या , कमजोरी, सीज़र्स आदि। इसलिए कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) का सेवन न करें।

    क्लोरोथायजाइड (Chlorothiazide)

    कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) में से एक है क्लोरोथायजाइड। यह भी ओरल और इंजेक्शन दोनों तरह से बाजार में उपलब्ध है। इस वाटर पिल का प्रयोग कंजेनिटल हार्ट फेलियर की स्थिति में फ्लूइड रिटेंशन के उपचार में किया जाता है। इसके अलावा इस दवाई का प्रयोग लिवर और किडनी की समस्याओं या स्टेरॉइड्स व एस्ट्रोजन लेने से होने वाली सूजन को दूर करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि, क्लोरोथायजाइड को हाय ब्लड प्रेशर के उपचार में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन, इस दवा को अपनी मर्जी से लेने की सलाह नहीं दी जाती है। क्योंकि, इसके कई दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं जैसे गंभीर स्किन रिएक्शन (Severe Skin Reaction), हाइव्स (Hives), बेहोशी, मूत्र त्याग में समस्या आदि।

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    फ्यूरोसमायड (Furosemide)

    फ्यूरोसमायड एक लूप डाइयुरेटिक है, जो शरीर को अधिक नमक सोखने से रोकती है और यह नमक को यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकलने में मदद करती है। इसके साथ ही जन्मजात हार्ट समस्याओं से पीड़ित लोगों में इसका प्रयोग फ्लूइड रिटेंशन के उपचार के लिए भी किया जा सकता है। हालांकि अन्य स्थितियों में भी डॉक्टर इन्हें लेने की सलाह दे सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति को मूत्र संबंधी समस्याएं हों, तो वो इनका प्रयोग न करें। डॉक्टर की सलाह और निर्धारित डोज में ही इन दवाईयों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि इसके कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं जैसे एलर्जिक रिएक्शन, स्किन रिएक्शन आदि।

    हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड (Hydrochlorothiazide)

    कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) में अगली ड्रग है हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड। जो एक थियाजाइड डाइयुरेटिक है। अन्य वाटर पिल्स की तरह यह दवाई भी शरीर को अधिक मात्रा में नमक को एब्सॉर्ब करने से रोकती है, जिससे फ्लूइड रिटेंशन हो सकती है। इसका प्रयोग कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) में फ्लूइड रिटेंशन के उपचार के लिए किया जाता है। हालांकि अन्य स्थितियों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। जैसे हाय ब्लड प्रेशर, किडनी और लिवर डिसऑर्डर आदि। इसके साइड इफेक्ट्स में बुखार, गले में खराश, सांस लेने में समस्या, त्वचा का पीला होना आदि शामिल है। इसलिए, इन साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए बिना डॉक्टर से पूछे इस दवाई को न लें।

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    स्पाइरोनोलेकटोन (Spironolactone)

    स्पाइरोनोलेकटोन एक पोटैशियम-स्पेयरिंग डाइयुरेटिक (Potassium-Sparing Diuretic) है। जो शरीर को अधिक नमक सोखने से रोकती है। जिससे शरीर में पोटैशियम का लेवल लो रहता है। इस वाटर पिल का प्रयोग हार्ट फेलियर, हाय ब्लड प्रेशर और हायपोकलीमिया (Hypokalemia) के उपचार के लिए किया जाता है। इस दवाई का इस्तेमाल जन्मजात हार्ट दोषों से पीड़ित लोगों में फ्लूइड रिटेंशन, लिवर और किडनी डिसऑर्डर के उपचार के लिए भी किया जाता है। इनके सेवन से भी कई साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं जैसे हायव्स, सांस लेने में समस्या, मूत्र त्याग में समस्या, बेहोशी , छाती में दर्द, कमजोरी आदि।

    ऐसे में कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) तभी लें, अगर डॉक्टर ने इन्हें लेने की सलाह दी हो। यह आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है। हम किसी भी दवाई का प्रचार नहीं कर रहे हैं, न ही अपनी इच्छा से किसी दवाई को लेने की सलाह देते हैं। यह तो थी कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) के बारे में पूरी जानकारी। इन दवाईयों को लेने से कुछ खास साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। जानिए इनके साइड इफेक्ट्स के बारे में।

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    डाइयुरेटिक्स के साइड इफेक्ट्स

    डाइयुरेटिक्स को लेने से शरीर में पोटेशियम की कमी हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर रोगी को पोटेशियम सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, सभी मरीजों को इन वाटर पिल्स को लेने से अतिरिक्त पोटेशियम की जरूरत नहीं होती है। अगर डॉक्टर आपको वाटर पिल्स की डोज को बदलने के लिए कहते हैं, तो आपको किडनी फंक्शन को मॉनिटर करने के लिए लैब टेस्ट्स करने की जरूरत हो सकती है। इसके सामान्य साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:

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    अगर आप कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स ले रहे हैं और आपको इनके प्रयोग के बाद कोई भी साइड इफेक्ट नजर आते हैं। तो तुरंत इन्हें लेना बंद कर दें और डॉक्टर की सलाह लें।कंजेनिटल हार्ट डिजीज में डाइयुरेटिक्स ड्रग्स (Diuretics Drugs in Congenital Heart Disease) के बारे में तो आप जान ही गए होंगे। अगर किसी महिला या पुरुष को कंजेनिटल हार्ट डिजीज हो, तो जिससे उनके बच्चों में भी यह समस्या होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में शुरू में ही एहतियात बरतने और डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है। इसके साथ ही अगर आप कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) या अन्य दिल की समस्याओं को मैनेज करना चाहते हैं। तो हेल्दी आदतों को अपनाएं जैसे पौष्टिक आहार का सेवन करना, व्यायाम करना, तनाव से बचाव, एल्कोहॉल और धूम्रपान से दूर रहना और पर्याप्त नींद लेना आदि। इन आदतों को अपनाने से आपको संपूर्ण रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी। दिल की समस्या से जुड़ा कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है।

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