प्रोटीन ग्लोब्युलिन (Globulin) और एल्ब्यूमिन (Albumin) के कम लेवल होना लिवर फंक्शन में समस्या का संकेत है। प्रोथ्रॉम्बिन (Prothrombin) वो लिवर प्रोटीन है, जो क्लॉटिंग के लिए जरूरी है। यह सामान्य टेस्ट यह बताता है कि खून के थक्के बनने में कितना समय लगता है। स्लो क्लॉटिंग का अर्थ है कि रोगी के शरीर में प्रोथ्रॉम्बिन कम है और लिवर डैमेज हो सकता है।
बिलीरुबिन टेस्ट (Bilirubin Test):
ब्लड, बिलीरुबिन को लिवर और गॉलब्लेडर में पहुंचाता है। फिर यह मल के माध्यम से बाहर निकल जाता है। यूरिन में खून या खून में अधिक बिलीरुबिन लिवर डैमेज का प्रतीक हो सकता है।
कोलेस्ट्रॉल के लेवल की जांच करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट की सलाह दे सकते हैं जिसे लिपिड पैनल (Lipid Panel) या लिपिड प्रोफाइल (Lipid Profile) टेस्ट कहा जाता है। जानिए अब लिवर और कोलेस्ट्रॉल (Liver and Cholesterol) की समस्याओं के उपचार के बारे में।
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लिवर और कोलेस्ट्रॉल की समस्याओं का उपचार कैसे संभव है? (Treatment of Liver and Cholesterol)
हाय कोलेस्ट्रॉल के उपचार के लिए रोगी को अपने जीवनशैली में बदलाव करने और कई बार दवाइयां लेने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर रोगी को उसकी डायट में परिवर्तन करने और व्यायाम करने के लिए भी कहते हैं। अगर रोगी का वजन अधिक है, तो उसे कम करने के लिए भी कहा जा सकता है। अगर लंबे समय तक जीवनशैली में बदलाव के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं आता है तो डॉक्टर कुछ दवाइयों की सलाह भी दे सकते हैं। इसकी सबसे सामान्य दवा है स्टेटिन (Statins), जिसे मरीज को पूरी जिंदगी लेना पड़ सकता है। स्टेटिन वो दवाइयां हैं जो लिवर में उन केमिकल्स को ब्लॉक करती है, जो कोलेस्ट्रॉल बनाते हैं।
इसके अलावा लिवर का समस्याओं का उपचार उस समस्या के आधार पर किया जाता है। जिसमें दवाइयां, लाइफस्टाइल में बदलाव शामिल है। लेकिन, अगर लिवर को अधिक नुकसान हुआ तो लिवर ट्रांसप्लांट भी किया जा सकता है। अब जान लेते हैं कि लिवर और कोलेस्ट्रॉल (Liver and Cholesterol) संबंधी समस्याओं में रोगी को अपनी डायट में क्या परिवर्तन करने चाहिए?
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डायट (Diet)
सही डायट से लिवर डिजीज के विकास का जोखिम कम करने में मदद मिलती है और इसका प्रभाव भी कम हो सकता है। हेल्दी वेट बनाए रखना भी सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। लिवर संबंधी किसी बीमारी की स्थिति में डॉक्टर स्पेशल डायट फॉलो करने के लिए भी कह सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर आपको सही व्यायाम के बारे में भी बता सकते हैं।
इस दौरान क्या खाये और क्या न खाएं?
फैटी लिवर या नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के प्रभाव को कम करने के लिए फैटी फ़ूड का सेवन करना कम करना चाहिए। इसके साथ ही पर्याप्त फल और सब्जियों का सेवन करें। प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करने से न केवल आपको पर्याप्त ऊर्जा मिलेगी। बल्कि, इससे आपको हाय कोलेस्ट्रॉल फ़ूड खाने की जरूरत नहीं होगी। अंडे, मेवे, दालें आदि प्रोटीन का बेहतरीन स्त्रोत हैं। लिवर और कोलेस्ट्रॉल (Liver and Cholesterol) जैसी समस्याओं में क्या खाना चाहिए और किन चीजों को नहीं खाना चाहिए, इसके बारे में अधिक जानने के लिए अपने डॉक्टर और डायटिशन की मदद अवश्य लें।
एल्कोहॉल (Alcohol)
जिन लोगों को एल्कोहॉल रिलेटेड लिवर डिजीज (alcohol-related liver disease) होती है, उन्हें शराब न पीने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही पर्याप्त प्रोटीन (Protein) और कार्बोहाइड्रेट्स को भी डायट का हिस्सा बनाने के लिए कहा जा सकता है। जिससे हेल्दी वजन को मेंटेन रखने में मदद मिल सके।
लिवर और कोलेस्ट्रॉल बचाव किस तरह से संभव? (Prevention of Liver and Cholesterol)
अगर किसी को लिवर और कोलेस्ट्रॉल (Liver and Cholesterol) संबंधित कोई भी समस्या है तो सबसे पहले जरूरी है रोगी का हेल्दी हैबिट्स को अपनाना। कोई भी रोगी सही डायट (जिसमें ज्यादा फल और सब्जियां शामिल है) को लेकर अपने कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है। इसके साथ ही अन्य उपाय इस प्रकार हैं:
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जैसा की पहले ही बताया गया है कि जीवन में हेल्दी आदतों को अपना कर न केवल आप हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल को सही कर सकते हैं, बल्कि आपको फिर से यह समस्या भी नहीं होगी। लिवर भी एक खास पॉइंट पर खुद को रिपेयर कर लेता है। इसका अर्थ है कि रोगी अगर सही या शुरुआती स्टेज पर लिवर संबंधी समस्याओं का निदान कर लेता है, तो यह समस्या जल्दी ठीक हो सकती है। लिवर संबंधी समस्याओं से बचने के लिए भी सही खाएं, व्यायाम करें और एल्कोहॉल का सेवन न करें। लिवर और कोलेस्ट्रॉल (Liver and Cholesterol) संबंधी समस्याओं का कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लें।