हाय कोलेस्ट्रॉल का प्रभाव (Effects of high Cholesterol)
जब किसी व्यक्ति के शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल या LDL का लेवल बढ़ता है तो उसे हाय कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। यह वो स्थिति है जो कई हेल्थ समस्याओं को बढ़ाने का कारण बन सकती है। आर्टरीज शरीर के मुख्य ब्लड वेसल्स हैं। जब कोलेस्ट्रॉल आर्टरीज में जम जाता है तो यह तंग हो जाते हैं। जिससे अंगों में खून और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। आर्टरीज का तंग होना ब्लड क्लॉट के जोखिम को भी बढ़ा सकता है। अगर दिल में ब्लड फ्लो में बाधा आती है तो इससे कोरोनरी हार्ट डिजीज की संभावना बढ़ती है। इसमें हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर भी शामिल हैं। अगर दिमाग में ब्लड फ्लो में बाधा आती है, तो इससे स्ट्रोक की संभावना बढ़ सकती है। जानते हैं लिवर और कोलेस्ट्रॉल (Liver and Cholesterol) के बीच के कनेक्शन को।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के अनुसार कोलेस्ट्रॉल खून में सर्कुलेट करता है। जैसे ही ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है यह स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। हाय कोलेस्ट्रॉल दिल संबंधी कई समस्याओं का भी कारण बन सकता है। ऐसे में कोलेस्ट्रॉल के लेवल की समय-समय पर जांच कराना बेहद जरूरी है।
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क्या लिवर के रोगों से कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है ?
लिवर और कोलेस्ट्रॉल (Liver and Cholesterol) के बीच में गहरा लिंक है। लिवर के रोग कई तरह के होते हैं जैसे हेपेटाइटिस (Hepatitis), अल्कोहल रिलेटेड लिवर डिजीज (Alcohol-related Liver Disease) और नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Non Alcoholic Fatty Liver Disease) आदि। लिवर डिजीज के कारण लिवर डैमेज हो सकता है। इसका अर्थ है कि लिवर को सही से काम करने में समस्या हो सकती है। लिवर का एक काम है कोलेस्ट्रॉल को ब्रेक डाउन करना। अगर लिवर सही से काम नहीं करता है तो इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ सकती है।
वहीं दूसरी तरफ अगर हमारी डायट में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो, तो इससे हमारे लिवर के आसपास फैट जमा हो सकती है। जिससे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Non Alcoholic Fatty Liver Disease ) हो सकती है, जो लिवर को डैमेज कर सकती है। नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज से कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ता है जैसे स्ट्रोक और डायबिटीज आदि। अगर इसका निदान शुरुआत में हो जाए और उपचार भी सही समय पर हो, तो स्थिति बदतर होने से बच सकती है। कोई भी व्यक्ति अर्ली स्टेज में अपने लिवर में फैट की मात्रा को कम कर सकता है। अब जानते हैं लिवर और कोलेस्ट्रॉल (Liver and Cholesterol) संबंधित समस्याओं का निदान कैसे होता है?
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लिवर और कोलेस्ट्रॉल संबंधित समस्याओं का निदान (Diagnosis of Liver and Cholesterol)
डॉक्टर लिवर की समस्याओं का निदान रोगी के लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के बाद कर सकते हैं। इसके लिए रोगी को लिवर फंक्शन टेस्ट्स भी कराने पड़ सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
लिवर एंजाइम टेस्ट (Liver Enzyme Test):
सबसे सामान्य एंजाइम होते हैं, एलेनिन ट्रांसएमिनेस (Alanine Transaminase), एस्पर्टेट ट्रांजएमिनेज (Aspartate Transaminase), ऐल्कलाइन फोस्फेटेज (Alkaline Phosphatase)। इन एंजाइम में से किसी के भी लेवल के अधिक होने से लिवर को नुकसान हो सकता है।
लिवर प्रोटीन टेस्ट (Liver Protein Test):