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किशोरावस्था में कहीं नजरअंदज तो नहीं कर रहे ये मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/09/2021

    किशोरावस्था में कहीं नजरअंदज तो नहीं कर रहे ये मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं?

    मेंटल हेल्थ के बारे में जब भी बात की जाती है, तो ज्यादातर लोग इसे समझने की बजाय गलत दिशा की ओर ले जाते हैं और व्यक्ति को पागल तक करार दे देते हैं। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए सोशल और इमोशनल हैबिट्स बहुत मायने रखती है। हेल्दी स्लीप पैटर्न, रोजाना एक्सरसाइज, इंटरपर्सनल स्किल्स आदि मेंटल हेल्थ के बेहद मायने रखते हैं। हमारे आसपास का वातावरण मानसिक स्वास्थ्य के विकास में बहुत सहायता करता है। किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य कई लिविंग कंडीशन के कारण खतरे में पड़ जाता है। किसी क्रॉनिक डिजीज के कारण, ऑटिज्म स्प्रेक्ट्रम डिसऑर्डर, इंटलेक्चुअल डिसएबिलिटी या अन्य न्यूरोलॉजिकल कंडीशन के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देंगे। जानिए किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी किन परेशानियों (Adolescent mental health problems) का सामना करना पड़ सकता है।

    किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं (Adolescent mental health problems)

    ग्लोबल डिजीज के बर्डन में करीब 16% बीमारियां किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई हैं। करीब 14 साल की उम्र से मानसिक समस्याएं शुरू हो सकती हैं, जिनकी पहचान या इलाज अक्सर लोगों को पता नहीं होता है। 15 से 19 साल के लोगों में सुसाइड मौंत का मुख्य कारण है। किशोरावस्था यानी 10 से 19 साल की उम्र में मल्टिपल फिजिकल, सोशल, और इमोशन बदलाव होते हैं। आसपास का वातावरण बढ़ती उम्र और मानसिक स्वासथ्य को प्रभावित करता है। जानिए ऐसी कौन-सी समस्याएं हैं, जो किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य (Adolescent mental health problems) पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं।

    इमोशनल डिसऑर्डर (Emotional disorders)

    किशोरावस्था में भावनात्मक विचारों का विकास होता है। अवसाद, चिंता के साथ ही किशोरों में चिड़चिड़ापन, निराशा या क्रोध आदि का अधिक अनुभव करते हैं। ऐसे में किशोर पेट में दर्द, सिरदर्द या मतली जैसे लक्षण भी अनुभव कर सकते हैं। 15-19 वर्ष की आयु के किशोरों में डिप्रेशन को डिसएबिलिटी का लीडिंग कॉज माना जाता है। वहीं किशोरावस्था में चिंता (Anxiety) को नौंवा लीडिंग कॉज माना जाता है। किशोरावस्था में इमोशनल डिसऑर्डर के कारण स्कूलवर्क और स्कूल एटेंडेंस भी प्रभावित होती है। इस कारण से किशोरावस्था में सामाजिक अलगाव और अकेलापन बढ़ सकता है। यही कारण आगे चलकर आत्महत्या और डिप्रेशन का कारण बन जाता है।

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    चाइल्डहुड बिहेवियरल डिसऑर्डर (Childhood behavioural disorders)

    किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (Adolescent mental health problems) में चाइल्डहुड बिहेवियरल डिसऑर्डर भी जुड़ा हुआ है। यंग एडोलसेंट्स ( young adolescents) में बचपन में व्यवहार में बदलाव आम समस्या हो सकती है। ये 10 से 19 साल तक के किशोरों को प्रभावित करती है। इस कारण से अंटेशन डिफिसिट हायपयएक्टिविटी डिसऑर्डर (attention deficit hyperactivity disorder) हो सकता है। इस कारण से बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता है और दूसरों से घुलना मिलना भी आसान नहीं होता है।

    ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorders)

    किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (Adolescent mental health problems) में ईटिंग डिसऑर्डर भी शामिल है। ये डिसऑर्डर लड़कों की तुलना में लड़कियों को अधिक होता है। इस कारण से एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia nervosa), बुलिमिया नर्वोसा (Bulimia nervosa) और बिंज ईटिंग डिसऑर्डर (Binge eating disorder) जैसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं। ये विकार स्वास्थ्य को बिगाड़ने का काम कर सकते हैं और साथ ही डिप्रेशन, चिंता आदि का कारण भी बन सकते हैं।

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    आत्महत्या और खुद को नुकसान पहुंचाना (Suicide and self-harm)

    हर साल किशोर बड़ी संख्या में आत्महत्या करते हैं। दुनिया में किशोरी की मृत्यु का तीसरा कारण आत्महत्या माना जाता है। आत्महत्या का प्रमुख कारण शराब का अधिक सेवन, बचपन में हुआ गंदा व्यवहार, किसी बात या फिर मांग का पूरा न होना, कलंक लग जाना आदि हैं। इस उम्र में डिजिटल मीडियम भी बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाने या फिर खुद को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है। अक्सर पेरेंट्स इस बात से अनजान रहते हैं कि किस तरह से बच्चा खुद को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है। कुछ पेरेंट्स किशोरों की बात नहीं सुनते हैं और अपनी अलग दुनिया में जीते हैं, जिसके कारण किशोर आत्महत्या का बेहतर विकल्प मान कर जान से हाथ धो बैठते हैं। अगर आपको कभी भी लगे कि किशोर किसी समस्या से गुजर रहे हैं, तो उनसे बात जरूर करें।

    इस बारे में फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के न्यूरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ धनुश्री चोंकर का कहना है कि बच्चों  में बढ़ रहा तनाव उनके हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। इसका  असर उनके व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य दाेनों पर पड़ रहा है। बढ़ रहे सोशल प्रेशर से बच्चों में स्ट्रेस और भी ज्यादा बढ़ने लगा है। इन सभी कारणों से किशोरों में हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। साल 2016 में बड़े पैमाने पर किशोर लड़कों की मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण इंटरपर्सनल वायलेंस (Interpersonal violence) थी। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए साइकोलॉजिस्ट से परामर्श कर सकते हैं। किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। काउंसलर से मिलें। बच्चें से बात करना और उसकी बात समझना ही,इस  स्थिति का सबसे अच्छा उपाय है।  

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    रिस्क टेकिंग बिहेवियर (Risk-taking behaviors)

    किशोर कई बार ऐसा व्यवहार करते हैं, जो उनके स्वास्थ्य को जोखिम पहुंचाने का काम कर सकता है। 15-19 वर्ष की आयु के किशोरों में शराब का सेवन ( Heavy episodic) अधिक मात्रा में किया जाता है। साथ ही तंम्बाकू का सेवन, भांग का सेवन और स्मोकिंग के कारण स्वास्थ्य को कई प्रकार से नुकसान पहुंचता है। इन सभी कारणों से किशोरों में हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। साल 2016 में बड़े पैमाने पर किशोर लड़कों की मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण इंटरपर्सनल वायलेंस (Interpersonal violence) थी। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए साइकोलॉजिस्ट से परामर्श कर सकते हैं। किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

    मनोविकृति या साइकोसिस (Psychosis)

    मनोविकृति एक ऐसी कंडीशन है, जो किशोरावस्था में जन्म लेती है। मनोविकृति के कारण भ्रम की स्थिति पैदा होती है। इस कारण से किशोरों की रोजाना की लाइफ और एज्युकेशन पर नेगिटव इफेक्ट पड़ता है। कई बार ये ह्युमन राइट वायलेशन का कारण भी बन सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए किशोर में समय पर लक्षणों की पहचान बहुत जरूरी है। मनोविकृति के कारण उदास मन, चिंता, परिवार और दोस्तों दूरी बना लेना, डिप्रेशन की समस्या, आत्महत्या का विचार, अपनी देखभाल ना करना, शांति होने पर भी आवाजें सुनाई देना आदि लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसा ड्रग लेने, नींद की कमी, शराब का अधिक सेवन करने के कारण या फिर अन्य हेल्थ कंडीशन के कारण भी हो सकता है। शराब का सेवन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को खराब करने का का काम करता है बल्कि ये मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

    किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले फैक्टर

    मानसिक स्वास्थ्य को वातावरणीय कारक और शारीरिक परेशानियां नकारात्मक असर डाल सकती हैं। चारों ओर का माहौल और किसी बीमारी के कारण मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। जानिए किशोरों की जिंदगी में कौन-से फैक्टर असर कर सकते हैं।

    • पर्सनल लाइफ और रिलेशनशिप
    • पैसा और घर
    • लाइफ में होने वाले बदलाव
    • हेल्थ संबंधी समस्या
    • ट्रॉमेटिक लाइफ इवेंट्स
    • स्मोकिंग, एल्कोहॉल, ड्रग्स

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    किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का उपचार

    • किशोर को सुरक्षित और सपोर्टिव वातावरण प्रदान करें।
    • किशोरों को पॉजिटिव बिहेवियर की अधिक आवश्यकता होती है। उन्हें किसी ऐसी बात या ऐसे वातावरण में न रहने दें, उनके मन में नकारात्मक विचारों को उकसाने का काम करे।
    • पॉजिटिव पेरेंटिंग प्रैक्टिस बहुच जरूरी है ताकि किशोर आसानी से मन की बातों को आप तक पहुंचा दें।
    • ईमानदारी से किया गया संवाद किशोर के मन से चिंता और डर को खत्म करने का काम करता है।
    • किशोर के स्कूल व कॉलेज में हो रही गतिविधियों पर ध्यान दें, ताकि आपसे कोई बात छिपी न रहे।
    • किशोरों को स्कूल और कॉलेज की एक्टिविटी के लिए प्रोत्साहित करें।
    • किशोरों से रोजाना बातचीत करना न भूलें।
    • पेरेंट्स का बच्चों की देखभाल में अहम रोल होता है, ऐसे में पेरेंट्स को बच्चों को सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए।
    • किशोरों के सामने कभी भी ऐसी कोई गतिविधि न करें, तो उनपर गलत असर डालें।
    • बच्चों के साथ दोस्तों जैसा व्यवहार करें ताकि वो आसानी से अपनी बात आपको बताएं।

    एडोलसेंट की मेंटल हेल्थ या किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्यसमस्याओं (Adolescent mental health problems) को दूर करने के लिए किशोरों पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। किशोरों को कभी भी अकेले न रहने दें और समस्या होने पर उसका निदान कराएं ताकि उन्हें किसी तरह की समस्या का अकेले सामना न करना पड़े और न ही आत्महत्या के लिए उनके मन में कोई विचार आएं।  आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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