किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (Adolescent mental health problems) में ईटिंग डिसऑर्डर भी शामिल है। ये डिसऑर्डर लड़कों की तुलना में लड़कियों को अधिक होता है। इस कारण से एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia nervosa), बुलिमिया नर्वोसा (Bulimia nervosa) और बिंज ईटिंग डिसऑर्डर (Binge eating disorder) जैसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं। ये विकार स्वास्थ्य को बिगाड़ने का काम कर सकते हैं और साथ ही डिप्रेशन, चिंता आदि का कारण भी बन सकते हैं।
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आत्महत्या और खुद को नुकसान पहुंचाना (Suicide and self-harm)
हर साल किशोर बड़ी संख्या में आत्महत्या करते हैं। दुनिया में किशोरी की मृत्यु का तीसरा कारण आत्महत्या माना जाता है। आत्महत्या का प्रमुख कारण शराब का अधिक सेवन, बचपन में हुआ गंदा व्यवहार, किसी बात या फिर मांग का पूरा न होना, कलंक लग जाना आदि हैं। इस उम्र में डिजिटल मीडियम भी बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाने या फिर खुद को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है। अक्सर पेरेंट्स इस बात से अनजान रहते हैं कि किस तरह से बच्चा खुद को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है। कुछ पेरेंट्स किशोरों की बात नहीं सुनते हैं और अपनी अलग दुनिया में जीते हैं, जिसके कारण किशोर आत्महत्या का बेहतर विकल्प मान कर जान से हाथ धो बैठते हैं। अगर आपको कभी भी लगे कि किशोर किसी समस्या से गुजर रहे हैं, तो उनसे बात जरूर करें।
इस बारे में फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के न्यूरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ धनुश्री चोंकर का कहना है कि बच्चों में बढ़ रहा तनाव उनके हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। इसका असर उनके व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य दाेनों पर पड़ रहा है। बढ़ रहे सोशल प्रेशर से बच्चों में स्ट्रेस और भी ज्यादा बढ़ने लगा है। इन सभी कारणों से किशोरों में हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। साल 2016 में बड़े पैमाने पर किशोर लड़कों की मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण इंटरपर्सनल वायलेंस (Interpersonal violence) थी। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए साइकोलॉजिस्ट से परामर्श कर सकते हैं। किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। काउंसलर से मिलें। बच्चें से बात करना और उसकी बात समझना ही,इस स्थिति का सबसे अच्छा उपाय है।
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रिस्क टेकिंग बिहेवियर (Risk-taking behaviors)
किशोर कई बार ऐसा व्यवहार करते हैं, जो उनके स्वास्थ्य को जोखिम पहुंचाने का काम कर सकता है। 15-19 वर्ष की आयु के किशोरों में शराब का सेवन ( Heavy episodic) अधिक मात्रा में किया जाता है। साथ ही तंम्बाकू का सेवन, भांग का सेवन और स्मोकिंग के कारण स्वास्थ्य को कई प्रकार से नुकसान पहुंचता है। इन सभी कारणों से किशोरों में हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। साल 2016 में बड़े पैमाने पर किशोर लड़कों की मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण इंटरपर्सनल वायलेंस (Interpersonal violence) थी। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए साइकोलॉजिस्ट से परामर्श कर सकते हैं। किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
मनोविकृति या साइकोसिस (Psychosis)
मनोविकृति एक ऐसी कंडीशन है, जो किशोरावस्था में जन्म लेती है। मनोविकृति के कारण भ्रम की स्थिति पैदा होती है। इस कारण से किशोरों की रोजाना की लाइफ और एज्युकेशन पर नेगिटव इफेक्ट पड़ता है। कई बार ये ह्युमन राइट वायलेशन का कारण भी बन सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए किशोर में समय पर लक्षणों की पहचान बहुत जरूरी है। मनोविकृति के कारण उदास मन, चिंता, परिवार और दोस्तों दूरी बना लेना, डिप्रेशन की समस्या, आत्महत्या का विचार, अपनी देखभाल ना करना, शांति होने पर भी आवाजें सुनाई देना आदि लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसा ड्रग लेने, नींद की कमी, शराब का अधिक सेवन करने के कारण या फिर अन्य हेल्थ कंडीशन के कारण भी हो सकता है। शराब का सेवन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को खराब करने का का काम करता है बल्कि ये मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।
किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले फैक्टर
मानसिक स्वास्थ्य को वातावरणीय कारक और शारीरिक परेशानियां नकारात्मक असर डाल सकती हैं। चारों ओर का माहौल और किसी बीमारी के कारण मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। जानिए किशोरों की जिंदगी में कौन-से फैक्टर असर कर सकते हैं।