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लिथोट्रिप्सी : कितना प्रभावी है पथरी के उपचार का यह तरीका?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/05/2021

    लिथोट्रिप्सी : कितना प्रभावी है पथरी के उपचार का यह तरीका?

    किडनी स्टोन्स किडनी के अंदर मिनरल्स और साल्ट्स के जमा होने से होने वाली बीमारी है। देखने में यह स्टोन्स सामान्य पत्थर की तरह लगते हैं और छोटे से लेकर बड़े तक किसी भी आकार के हो सकते हैं। इनका किडनी में बनने के कारण खराब डायट, बॉडी का अधिक वजन, कुछ मेडिकल कंडीशंस, दवाईयां आदि हो सकते हैं। इस स्टोन को शरीर से बाहर निकालने के लिए डॉक्टर रोगी को अधिक पानी पीने की सलाह देते हैं, ताकि यूरिन के साथ यह स्टोन मूत्र मार्ग से यह बाहर निकल जाए। लेकिन कई बार इन्हें शरीर से निकालने के लिए लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) का प्रयोग किया जाता है। आइए, जानते हैं क्या है यह लिथोट्रिप्सी और यह किस तरह से यह काम करती है।

    लिथोट्रिप्सी क्या है? (Lithotripsy) 

    लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy)  वो तरीका है जिसमे शॉक वेव्स का प्रयोग किया जाता है। ताकि, किडनी और मूत्रवाहिनी में मौजूद किडनी स्टोन्स को तोडा जा सके। लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) में हाय एनर्जी शॉक वेव्स का उपयोग होता है। इस प्रोसीजर के बाद स्टोन्स के छोटे टुकड़े यूरिन के माध्यम से पास आउट हो जाते हैं। छोटे क्रिस्टल्स से बनी गुर्दे की पथरी को निकालने के इस प्रक्रिया को एक्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (Extracorporeal Shock Wave Lithotripsy) भी कहा जाता है। इसके प्रयोग से न केवल किडनी स्टोन के लक्षण कम होने में मदद मिलती है बल्कि किडनी स्टोन्स को खुद शरीर से बाहर निकलने में भी आसानी होती है। इस प्रोसीजर के प्रयोग से किडनी स्टोन्स को रिमूव करने के लिए अधिक गंभीर सर्जरी से बचा जा सकता है

    लिथोट्रिप्सी

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    लिथोट्रिप्सी का प्रयोग क्यों किया जाता है? (Uses of Lithotripsy) 

    लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) का प्राइमरी फायदा यह है कि यह पूरी तरह से नॉन इनवेसिव (Non-invasive) है। जब किडनी स्टोन्स इतने बड़े हो जाते हैं कि यूरिनरी ट्रैक्ट के माध्यम से पास नहीं हो पाते, तो उनके कारण रोगी को गंभीर दर्द हो सकता है और यह यूरिन के फ्लो को भी ब्लॉक कर सकते हैं। यही नहीं, इससे इंफेक्शन होने की संभावना भी बढ़ जाती है। लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) का प्रयोग उन किडनी स्टोन्स के उपचार के लिए भी किया जा सकता है, जो किडनी में किसी खास जगह पर होते हैं। हालांकि, कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिसकी वजह से डॉक्टर इसकी सलाह दे सकते हैं। आमतौर पर इस प्रक्रिया को उन किडनी स्टोन्स को रिमूव करने के लिए किया जाता है जो इन सब परेशानियों की वजह बनते हैं:

    हालांकि, सभी किडनी स्टोन्स को लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy)  की मदद से रिमूव नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह तरीके अपनाए जाते हैं:

    • एक ट्यूब जिसे एंडोस्कोप (Endoscope) कहा जाता है, उसे पीठ में एक छोटे सर्जिकल कट के माध्यम से किडनी में डाला जाता है।    
    • एक लाइट वाली ट्यूब जिसे यूरेटेरोस्कोप (Ureteroscope) कहा जाता है, उसे ब्लैडर के माध्यम से मूत्रवाहिनी में इंसर्ट किया जाता है। मूत्रवाहिनी किडनी को ब्लैडर से कनेक्ट करती है।
    • ओपन सर्जरी  Open surgery 

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    लिथोट्रिप्सी का प्रयोग कब किया जाता है? (Lithotripsy)

    लिथोट्रिप्सी  (Lithotripsy) का प्रयोग करने से पहले कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। बहुत बड़े स्टोन्स का इस तकनीक से उपचार करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इस प्रक्रिया का प्रयोग करने से पहले कई चीजों को ध्यान में रखा जाता है जैसे स्टोन का शेप और साइज, इसकी स्थिति, किडनी की कंडीशन,और रोगी का संपूर्ण स्वास्थ्य आदि। आमतौर पर 2cm से कम डायमीटर के स्टोन के लिए लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) को उपयुक्त माना जाता है। हालांकि,कुछ लोगों को इस उपचार की सलाह नहीं दी जाती है, जैसे

    • गर्भाशय महिला (Pregnant Women)
    • ब्लीडिंग डिसऑर्डर, किडनी डिसऑर्डर के रोगी (Patients with Bleeding Disorders, Kidney Disorders)
    • मोटापे के रोगी (Obese Patients)

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    लिथोट्रिप्सी से पहले तैयारी कैसे की जाती है ?(Preparation of Lithotripsy) 

    लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) के लिए सबसे पहले रोगी पर एनेस्थीसिया का प्रयोग किया जाता है, ताकि प्रक्रिया के दौरान रोगी शांत और स्थिर रहे। यह जनरल, रीजनल या लोकल एनेस्थीसिया कोई भी हो सकता है। यही नहीं, मरीज को प्रक्रिया के 6 घंटे पहले तक कोई भी फ्लूइड न लेने की सलाह दी जाती है। रोगी अपनी सामान्य दवाइयों को ले सकते हैं। लेकिन, उन्हें इस प्रक्रिया के पांच दिन पहले तक ब्लड थिनर मेडिकेशन्स लेने के लिए मना किया जाता। इसके साथ ही डॉक्टर लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) से पहले रोगी को माइल्ड स्ट्रीम यूरिन कल्चर टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।  इस प्रक्रिया से पहले अपने डॉक्टर को इन चीजों के बारे में जरूर बताएं: 

    • अगर आप गर्भवती हैं 
    • जो भी दवा, सप्लीमेंट या हर्ब आप ले रहे हैं, उनके बारे में डॉक्टर को बताना अनिवार्य है

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    लिथोट्रिप्सी

    नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institute of Health) के अनुसार लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) के प्रोसीजर में आमतौर पर एक घंटे का समय लगता है। हालांकि, कुछ मामलों में इसमें इससे कम या अधिक समय भी लग सकता है। यह सब गुर्दे की पथरी के साइज, नंबर और रोगी की सम्पूर्ण हेल्थ पर निर्भर करता है। लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy)  के बाद रोगी उसी दिन घर जा सकता है। यह एक आसान प्रक्रिया है जिसमें रोगी थोड़ी सावधानियां बरतने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करता है। सर्जरी के दिन या इससे पहले आपको एस्पिरिन (Aspirin), आइबुप्रोफेन (Ibuprofen), वार्फरिन (Warfarin) और किसी भी अन्य दवाओं जैसे रक्त को पतला करने वाली दवाएं को न लेने के लिए कहा जाएगा।

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    लिथोट्रिप्सी की प्रक्रिया को कैसे किया जाता है? (Procedure of Lithotripsy)

    लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) पूरी तरह से गैर-इनवेसिव थेरेपी है।  इसमें एनेस्थीसिया का उपयोग रोगी और चिकित्सक की परेफरेंस पर निर्भर करता है। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि माइल्ड एनेस्थीसिया के प्रयोग के साथ लिथोट्रिप्सी के परिणामों में सुधार किया जा सकता है। जब रोगी को एनेस्थीसिया दिया जाता है, तो उसके बाद एक कंप्यूटराइज्ड एक्स-रे मशीन (Computerized X-ray machine) का उपयोग गुर्दे के भीतर पथरी के स्थान को इंगित करने के लिए किया जाता है। शोध के मुताबिक शॉक वेव पावर और जिस रेट पर यह शॉक वेव डिलीवर होती हैं ,उनसे ट्रीटमेंट की आउटकम प्रभावित होती है। लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) का उद्देश्य रोगी के किडनी स्टोन को अधिक से अधिक तोडना होता है। लेकिन, इसके साथ ही शॉक वेव के साथ इंजरी कम होना भी जरूरी है, जो इस दौरान जो किडनी या आसपास के अंगों में हो सकती है।आमतौर पर, एक लिथोट्रिप्सी प्रक्रिया लगभग एक घंटे तक चलती है। जानिए कैसे की जाती है लिथोट्रिप्सी :

    • इस प्रोसीजर को करने से पहले रोगी को गहने, कपड़े या अन्य चीजों को रिमूव करने और अस्पताल के दिए गाउन को पहनने के लिए कहा जाता है। ताकि, यह सब चीजें प्रोसीजर में बाधा न बनें।
    • इसके बाद रोगी को बाजू या हाथ में इंट्रावेनस (IV) लाइन इंसर्ट की जाती है।
    • अब रोगी को एनेस्थीसिया दिया जा सकता है ताकि वो स्थिर और दर्दरहित रहें।  
    • इसके बाद रोगी को सीधा लिटा दिया जाता है और फ्लुओरोस्कोपी या अल्ट्रासाउंड (Fluoroscopy or Ultrasound) का प्रयोग कर के स्टोन की स्थिति जांची जाती है। रोगी को उस स्थिति में लिटाया जाता है, जहां से स्टोन तक आसानी से पहुंचा जा सके।
    • अगर रोगी प्रक्रिया के दौरान होश में होता है, तो आप अपने स्किन में टैपिंग को महसूस कर सकता है।
    • इसके बाद शॉक वेव का प्रयोग कर के किडनी स्टोन को तोडा जाता है।
    • प्रक्रिया के दौरान स्टोन को फ्लोरोस्कोपी या अल्ट्रासाउंड द्वारा मॉनिटर किया जाता है।
    • स्टोन फ्रैगमेंट्स के पास होने में मदद करने के लिए मूत्रवाहिनी में एक स्टेंट लगाया जा सकता है।
    • जब यह स्टोन इतना छोटा हो जाता है कि यूरिनरी सिस्टम से निकल जाए तो प्रोसीजर खत्म हो जाता है। 

    यह तो थी पूरी प्रक्रिया। हालांकि इस प्रक्रिया से जुड़े कुछ रिस्क्स भी हैं, जिनके बारे में भी आपको पता होना चाहिए। जानिए, क्या हैं यह रिस्क्स?

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    लिथोट्रिप्सी से जुड़े रिस्क्स कौन से हैं? (Risks of lithotripsy)

    हालांकि लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy)  एक नॉन सर्जिकल प्रोसेस है। लेकिन, इसके भी कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। जो इस प्रकार हैं:

    • लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) के बाद आप इंटरनल ब्लीडिंग महसूस कर सकते हैं और आपको ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood Transfusion) की जरूरत हो सकती है।
    • रोगी को इंफेक्शन हो सकता है। यही नहीं, जब स्टोन फ्रेगमेंट होता है तो यह यूरिन फ्लो को ब्लॉक कर सकता है जिसे किडनी डैमेज की संभावना भी हो सकती है। 
    • किडनी में ब्लीडिंग हो सकती है।
    • शॉक वेव्स की स्थिति में यह टिश्यूज, मसल्स, त्वचा आदि के आसपास को भी डैमेज कर सकती हैं।

    लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) छोटे साइज के स्टोन्स को तोड़ने के लिए बेहद लाभदायक और सही है। लेकिन इसका प्रयोग उन लोगों को नहीं करना चाहिए जिन्हें ब्लीडिंग डिसऑर्डर, मोटापा आदि की समस्या है। 

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    Lithotripsy

    लिथोट्रिप्सी के बाद खुद का ख्याल कैसे करें? (Care After Lithotripsy)

    लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) के उपचार के बाद रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए। हालांकि अधिकतर लोग इस प्रोसीजर के एक या दो दिन बाद अपने सामान्य कार्य करने में सक्षम होते हैं। लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) के बाद रोगी के लिए अपना ख्याल रखना बेहद जरूरी है। हालांकि, यह आसान प्रोसीजर है लेकिन फिर भी आपको इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए:

    • अधिक से अधिक पानी पीएं। इससे स्टोन को यूरिन के माध्यम से बाहर आने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही डॉक्टर आपको एक अन्य दवाइयां जिन्हें अल्फा-ब्लॉकर (Alpha Blocker) कहा जाता है, उन्हें लेने के लिए भी कह सकते हैं। इससे भी स्टोन को पास होने में आसानी होती है। आप कुछ दिनों तक एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) और एंटी-इन्फ्लामेट्री दवाइयां (Anti-Inflammatory Medicines) भी ले सकते हैं।
    • आपको डॉक्टर घर पर यूरिन को स्ट्रेन की सलाह दे सकते हैं। ताकि, आप स्टोन्स को देख सके। इसके बारे में भी डॉक्टर आपको पूरी जानकारी देंगे। अगर आप आपको अपने यूरिन में कोई स्टोन दिखता है, तो उसे लैब में ले जा कर जांच कराई जा सकती है।
    • लिथोट्रिप्स के बाद आपको कुछ हफ्तों तक लगातार अपने डॉक्टर से चेकअप कराना चाहिए।

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    लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) सुरक्षित और प्रभावी ट्रीटमेंट है। हालांकि, इस प्रक्रिया के बाद जब स्टोन्स मूत्र के माध्यम से पास होने लगते हैं, तो आप बेचैनी अनुभव कर सकते हो और आपको दर्द भी हो सकती है। ऐसे में आप लिथोट्रिप्सी से पहले ही इसके बारे में डॉक्टर से पूरी जानकारी ले लें। अगर इस प्रोसीजर के बाद आपको कोई भी समस्या होती है तो उसे कभी भी नजरअंदाज न करें बल्कि तुरंत मेडिकल हेल्प लें। 

    डिस्क्लेमर

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