गाल्स्टोन का उपचार न कराने पर निम्न जटिलताएं हो सकती हैं-
- जॉन्डिस, त्वचा या आंखों का पीला पड़ना
- कोलेसिस्टाइटिस (cholecystitis), गॉलब्लैडर का एक संक्रमण
- सेप्सिस (sepsis), एक ब्लड इंफेक्शन
- पैनिक्रियाज (pancreas) मं सूजन
- गॉलब्लैडर कैंसर (gallbladder cancer)
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गॉलब्लैडर से जुड़ी अन्य बीमारियां (Types of gallbladder disease)-
पथरी के अलावा पित्ताशय की थैली से जुड़ी कई अन्य बीमारियां भी है जिसमें शामिल हैं-
कोलेडोकोलिथियसिस (Choledocholithiasis)
पित्ताशय की थैली में पथरी या गॉलस्टोन पित्ताशय (gallbladder) के गले ये पित्त नलिका में हो सकता है। जब गॉलब्लैडर इस तरह से प्लगड (plugged) हो जाता है तो पित्त बाहर नहीं निकल पाता। इस वजह से पित्ताशय में सूजन हो सकती है। इस स्थिति को कोलेडोकोलिथियसिस कहते हैं। इसके कारण निम्न परेशानियां हो सकती है-
- ऊपरी पेट (Upper abdomen) के मध्य हिस्से में तेज दर्द
- बुखार (fever)
- ठंडी लगना (chills)
- मितली (nausea)
- उल्टी (vomiting)
- जॉन्डिस (jaundice)
इसका उपचार कई तरीकों से किया जा सकता है जैसे पथरी निकालना (Stone extraction), लिथोट्रिप्सी जिसमें पथरी के टुकड़े-टुकड़े किए जाते हैं और पित्ताशय की थैली और पथरी को सर्जरी के जरिए हटाना।
एकैल्कुल्स गॉलब्लैडर डिसीज (Acalculous gallbladder disease)
यह गॉलब्लैडर की सूजन है, लेकिन इसमें गॉलस्टोन नहीं होता है। लंबे समय से बीमार रहने या गंभीर मेडिकल कंडिशन के कारण यह स्थिति उभरती है। इसके लक्षण एक्यूट कोलेसिस्टाइटिस (acute cholecystitis) जैसे ही है। इसके कुछ जोखिम कारकों में शामिल है-
- गंभीर शारीरिक आघात (severe physical trauma)
- हार्ट सर्जरी (heart surgery)
- पेट की सर्जरी (abdominal surgery)
- गंभीर रूप से जलना (severe burns)
- ऑटोइम्यून कंडिशन जैसे ल्यूपस (autoimmune conditions like lupus)
- रक्तप्रवाह संक्रमण (blood stream infections)
- बैक्टीरियल या वायरल बीमारी (bacterial or viral illnesses)
इस बीमारी का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि स्थिति कितनी गंभीर है। यदि मरीज बहुत गंभीर है तो उसे पहले स्टैबलाइज्ड किया जाता है। ब्लैडर पर बने दबाव को कम करना पहली प्राथमिकता होती है। इसके साथ ही गॉलब्लैडर में ड्रेनेज ट्यूब डाली जाती है। यदि मरीज को बैक्टीरियल इंफेक्शन है तो उसे एंटीबायोटिक्स दिया जाता है।
बाइलियरी डिसकनिजिया (Biliary dyskinesia)
यह स्थिति तब होती है जब पित्ताशय सामान्य से कम काम करता है। आमतौर पर इसके लिए गॉलब्लैडर की सूजन जिम्मेदार होती है। इसके लक्षणों में शामिल है-
- खाने के बाद पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
- मितली
- पेट फूलना
- अपच
फैटी फूड खाने के बाद लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। बाइलियरी डिसकनेशिया की स्थिति में आमतौर पर पित्ताशय की थैली में पथरी नहीं होती है।
इसका एकमात्र उपचार है गॉलब्लैडर निकालना। दरअसल, यह अंग किसी व्यक्ति के स्वस्थ जीवन जीने केलिए जरूरी नहीं होता है।
गॉलब्लैडर कैंसर (Gallbladder cancer)
गॉलब्लैडर का कैंसर दुर्लभ बीमारी है। यह कई प्रकार का हो सकता है। आमतौर पर इसका उपचार मुश्किल होता है, क्योंकि इसका निदान करना संभव नहीं होता जब तक की बीमारी बहुत न बढ़ जाए। गॉलब्लैडर कैंसर (Gallbladder cancer) के जोखिम कारको में गॉलस्टोन (Gallstones) मुख्य है। गॉलब्लैडर कैंसर अंदर की दीवार से गॉलब्लैडर की बाहरी दीवार और फिर लिवर (liver), लिम्फ नोड (lymph nodes) और दूसरे अंगों तक फैल सकता है।
इसका इलाज सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, दवा और कीमोथेरेपी के जरिए किया जा सकता है। उपचार का तरीका मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।
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गॉलब्लैडर पॉलिप्स (Gallbladder polyps)
गॉलब्लैडर पॉलिप्स गॉलब्लैडर के अंदर होने वाला घाव या एक तरह का विकास है। यह आमतौर पर सौम्य होता है और इसके कोई लक्षण नहीं होते। हालांकि 1 सेंटीमीटर से बड़े पॉलिप्स के लिए पित्ताशय की थैली को हटाने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह कैंसरस (cancerous) हो सकते हैं।
आधा इंच से छोटे साइज के पॉलिप्स को किसी इलाज की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यदि यह बड़े होते हैं तो सर्जरी के जरिए गॉलब्लैडर को हटाया जा सकता है। हालांकि दुलर्भ मामलों में ही पॉलिप्स कैंसरस होते हैं।
कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा पित्ताशय की थैली में कोलेस्टेरोलोसिस या गॉलब्लैडर का कोलेस्टेरोलोसिस (Gallbladder cholesterolosis) के लिए जिम्मेदार हो सकती है। इसके अलावा कई हाय कोलेस्ट्रॉल कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है, इसलिए इसे कंट्रोल में रखने की कोशिश करें। जिसके लिए हेल्दी डायट और एक्सरसाइज जरूरी है।