इस दौरान किसी कट या चीरे की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि यह डिवाइस आसानी से लगाई जा सकती है। इससे पहले पेशेंट के हार्ट फेलियर और सेकंडरी माइट्रल रिगर्जिटेशन (Mitral regurgitation) का इलाज दवाइयों या फिर पेसमेकर के साथ किया जाता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि दवाइयों के साथ इलाज करने पर बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सके। ऐसे में पेशेंट के पास आर्टिफिशियल हार्ट ट्रांसप्लांट करने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचता है। ओपन हार्ट सर्जरी उन पेशेंट्स के लिए खतरनाक मानी जाती है, जिनकी हार्ट फंक्शन अच्छा नहीं होता है। आप मान सकते हैं कि हार्ट फंक्शन खराब होने के कारण हार्ट सर्जरी या पेसमेकर की जरूरत पड़ती है, ताकि हार्ट ठीक प्रकार से काम कर सके। अगर सही समय पर मित्रा क्लिप (MitraClip) का इस्तेमाल किया जाता है, तो ऐसे में पेशेंट के मौत के खतरे से बचाने में मदद मिल सकती है।
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माइट्रल वाल्व को ठीक करने पर हार्ट पेशेंट्स की सेहत में सुधार महसूस किया जा सकता है। यूनाइटेड स्टेट और कनाडा में करीब 614 रोगियों में मित्रा क्लिप (MitraClip) का इस्तेमाल किया जा चुका है, जिनके परिणाम अच्छे मिले हैं। ऐस में ये कहना गलत नहीं होगा कि दुनियाभर के हार्ट के पेशेंट्स के लिए मित्रा क्लिप (MitraClip) वरदान के रूप में सामने आया है। फिलहाल एफडीए की ओर से इस क्लिप को सभी हार्ट पेशेंट्स (heart patients) के लिए मंजूरी नहीं मिली है लेकिन उम्मीद की जाती है कि जल्द ही इसे मंजूरी दे दी जाएगी।
अगर आपको हार्ट की बीमारी से संबंधित लक्षण नजर आए, तो आपको बिना रुके डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। हॉर्ट संबंधी समस्या होने पर सांस का तेजी से फूलना, छाती में दर्द होना, थकान का एहसास होना, चक्कर आना आदि लक्षण दिख सकते हैं। अगर आप तुरंत डॉक्टर से जांच करा लेते हैं, तो भविष्य में बड़ी समस्या से बच सकते हैं। आपको हार्ट डिजीज के बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।