रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors)
कई ऐसे फैक्टर्स हैं जो माइट्रल वॉल्व रिगर्जेटेशन (Mitral Valve Regurgitation) के रिस्क फैक्टर्स को बढ़ा सकते हैं, जानिए इन रिस्क फैक्टर्स के बारे में :
माइट्रल वॉल्व प्रोलैप्स (mitral valve prolapse ) या माइट्रल वॉल्व स्टेनोसिस ( mitral valve stenosis) की हिस्ट्री : हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि इनमें से कोई भी समस्या होने से आपको माइट्रल वॉल्व रिगर्जेटेशन (Mitral Valve Regurgitation) की संभावना बढ़ जाए। लेकिन, वॉल्व डिजीज की फैमिली हिस्ट्री होने पर यह जोखिम बढ़ सकता है।
- हार्ट अटैक (Heart attack) : हार्ट अटैक के कारण हार्ट डैमेज हो सकता है, जिससे माइट्रल वॉल्व का फंक्शन प्रभावित होता है।
- हार्ट डिजीज (Heart disease) : कुछ हार्ट डिजीज जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) माइट्रल वॉल्व रिगर्जेटेशन (Mitral Valve Regurgitation) के जोखिम को बढ़ा सकती है।
- कुछ दवाईयों का प्रयोग (Use of medications): जो लोग कुछ दवाईयां लेते हैं जैसे कैबरगोलीन (Cabergoline) उन्हें भी यह समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। यह नहीं, कुछ अन्य दवाइयाँ भी इसके जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
- इंफेक्शंस (Infections) : कुछ इंफेक्शंस जैसे एंडोकार्डाइटिस (Endocarditis) या रयुमाटिक फीवर (Rheumatic Fever) भी इस समस्या के रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं। इंफेक्शंस या सूजन के कारण माइट्रल वॉल्व डैमेज हो सकते हैं।
- कंजेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) : कुछ लोग जो एब्नॉर्मल माइट्रल वॉल्व के साथ पैदा होते हैं। उनमें भी इस समस्या का रिस्क अधिक होता है।
- उम्र (Age) उम्र के बढ़ने पर वॉल्व के प्राकृतिक रूप से बिगड़ने के कारण माइट्रल वॉल्व रिगर्जेटेशन (Mitral Valve Regurgitation) की समस्या बढ़ सकती है। यह तो थे इसके कारण और रिस्क फैक्टर्स। अब जानिए किस तरह से किया जाता है इस रोग का निदान?
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माइट्रल वॉल्व रिगर्जेटेशन का निदान (Diagnosis of Mitral Valve Regurgitation)
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार माइट्रल वॉल्व रिगर्जेटेशन (Mitral Valve Regurgitation) के निदान में सबसे पहले डॉक्टर हार्ट मर्मर के लिए रोगी की हार्टबीट को सुनेंगे। मर्मर की लोकेशन, इसकी आवाज और रिदम के अनुसार डॉक्टर यह निदान करने में सक्षम होते हैं कि रोगी का कौन सा वॉल्व प्रभावित है और किस तरह की समस्या है। इसके साथ ही डॉक्टर रोगी की मेडिकल हिस्ट्री (Medical History) और हार्ट डिजीज (Heart Disease) की फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी जानेंगे। इस समस्या के निदान के लिए रोगी की शारीरिक जांच की जानी जरुरी है। यही नहीं, माइट्रल वॉल्व रिगर्जेटेशन (Mitral Valve Regurgitation) के निदान के लिए अन्य टेस्ट्स भी कराए जा सकते हैं। जो इस प्रकार हैं:
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
यह टेस्ट माइट्रल वॉल्व रिगर्जेटेशन (Mitral Valve Regurgitation) के निदान के लिए सबसे सामान्य रूप से कराया जाता है। इस टेस्ट में हार्ट की वीडियो इमेज बनाने के लिए साउंड वेव्स (Sound Waves) का प्रयोग किया जाता है। ताकि, हार्ट कंडिशन के बारे में सही जानकारी प्राप्त की जा सके।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
इस टेस्ट में स्किन पर एडहेसिव पैड्स को अटैच किया जाता है ताकि हार्ट की इलेक्ट्रिकल इम्पल्स (Electrical Impulse) को मापा जा सके। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम से डॉक्टर हार्ट के एंलार्जड चैम्बर्स (Enlarged Chambers), हार्ट डिजीज (Heart Disease) और एब्नार्मल हार्ट रिदम्स (Abnormal Heart Rhythm) आदि के बारे में भी जान सकते हैं।
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