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Heart Transplant : जानिए किन स्थितियों में की जाती है यह हार्ट सर्जरी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/01/2022

    Heart Transplant : जानिए किन स्थितियों में की जाती है यह हार्ट सर्जरी?

    हार्ट संबंधित रोग बेहद गंभीर होते हैं और समय पर इनका उपचार न करने पर यह जानलेवा साबित हो सकते हैं। हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद, जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं। हालांकि हार्ट ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रोसेस है। लेकिन, इसके बाद रोगी का हार्ट फंक्शन और रक्त प्रवाह पहले से बेहतर हो सकता है। तो आज हम बात करने वाले हैं हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बारे में। जानिए इसके बारे में विस्तार से।

    हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) क्या है?

    हार्ट ट्रांसप्लांट एक सर्जरी है जिसमें रोगी के डिजीज्ड हार्ट यानी खराब हार्ट को रिमूव कर दिया जाता है और एक ऑर्गन डोनर के हेल्दी हार्ट के साथ रिप्लेस कर दिया जाता है। डोनर से दिल निकालने के लिए, दो या दो से अधिक हेल्थकेयर प्रोवायडर को डोनर को ब्रेन-डेड घोषित करना जरूरी है। इससे पहले कि रोगी को हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के लिए वेटिंग लिस्ट में रखा जाता है। डॉक्टर यह निर्णय लेते हैं कि यह रोगी के हार्ट फेलियर के लिए सबसे अच्छा उपचार विकल्प है। एक मेडिकल टीम भी इससे पहले यह सुनिश्चित करती है कि रोगी ट्रांसप्लांट प्रोसेस से गुजरने के लिए पर्याप्त रूप से स्वस्थ हैं या नहीं। जानिए हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) को क्यों किया जाता है?

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    हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart transplant) क्यों किया जाता है?

    अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के अनुसार हार्ट ट्रांसप्लांट कई कारणों की वजह से किया जाता है। इसका सबसे सामान्य कारण है जब रोगी के एक या दोनों वेंट्रिकल्स सही तरीके से काम नहीं कर पाते हैं और रोगी को गंभीर हार्ट फेलियर की समस्या होती है। इसके साथ ही हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) इन स्थितियों के उपचार के लिए किया जा सकता है:

    • हार्ट अटैक के बाद गंभीर हार्ट डैमेज होना
    • गंभीर हार्ट फेलियर जिन्हें दवाइयों, अन्य उपचार और सर्जरी से लाभ न हो रहा हो
    • गंभीर हार्ट डिफेक्ट्स जो जन्म के दौरान मौजूद हों और सर्जरी से फिक्स न हो पाएं
    • जानलेवा एब्नार्मल हार्ट बीट और रिदम्स जिन्हें उपचार से कोई लाभ न हो

    हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी इन लोगों के लिए नहीं की जाती है:

    • अगर रोगी कुपोषित है (Malnourished)
    • अगर रोगी की उम्र 65 या 70 से अधिक है
    • अगर रोगी को गंभीर स्ट्रोक या डिमेंशिया (Dementia) की समस्या हो
    • 2 साल से कम समय पहले कैंसर हुआ हो
    • अगर रोगी को HIV इंफेक्शन हो 
    • रोगी को इंफेक्शन जैसे हेपेटाइटिस हो और वो एक्टिव हो
    • रोगी को इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज हो और अन्य अंग जैसे किडनी सही से काम न कर रहे हों
    • मरीज को किडनी, लंग, नर्व या लिवर डिजीज हों
    • मरीज को अन्य कोई बीमारी हो जो गले और टांग के ब्लड वेसल्स को प्रभावित करे
    • रोगी को पल्मोनरी हायपरटेंशन (Pulmonary Hypertension) की बीमारी हो
    • रोगी को अधिक स्मोकिंग और शराब या अन्य कोई ऐसी आदत हो, जो नए हार्ट को नुकसान पहुंचा सकती हों
    • अगर व्यक्ति दवाइयां लेने में सक्षम न हो

    यह तो थी जानकारी कि हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) किन स्थितियों में किया जाता है और किन स्थितियों में इसे नहीं किया जाता। अब जानिए इस प्रक्रिया के बारे में।

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    हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के लिए कैसे हों तैयार?

    हार्ट डिजीज से पीड़ित हर व्यक्ति को हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) की सलाह नहीं दी जाती है। हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए व्यक्ति सक्षम है या नहीं। इसके बारे में जानने से पहले कई तरह की जानकारी जरूरी होती है। इससे पहले रोगी को भी इस बारे में सब कुछ जानना चाहिए। आइए पाते हैं हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बारे में पूरी जानकारी:

    हार्ट ट्रांसप्लांट से पहले (Before Heart transplant)

    अगर किसी को हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के लिए कहा जाता है, तो उसे ट्रांसप्लांट सेंटर में जाने की सलाह दी जाती है। जहां मरीज के बारे में सुनिश्चत किया जाता है कि वो हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए अच्छा कैंडिडेट है या नहीं। इस दौरान रोगी को कई हफ्तों या महीनों तक अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। इस दौरान रोगी को ब्लड टेस्ट और एक्स-रे के अलावा और भी कई टेस्ट कराने पड़ सकते हैं, जैसे:

    अगर ट्रांसप्लांट टीम को लगता है कि आप इसके लिए सही कैंडिडेट हैं, तो आपको हार्ट के लिए रीजनल वेटिंग लिस्ट में रखा जाएगा। इस लिस्ट में आपके स्थान के लिए कई फैक्टर को ध्यान में रखा जाता है। जिसमें समस्या की गंभीरता, हार्ट डिजीज का प्रकार और रोगी उस समय कितना बीमार है आदि सब शामिल है। इस वेटिंग लिस्ट में जिन लोगों का नाम होता है। उनमें से अधिकतर लोग (सभी नहीं) ज्यादा बीमार होते हैं और उन्हें अस्पताल में रहने की जरूरत होती है। अधिकतर लोगों को शरीर में पर्याप्त ब्लड को पंप करने के लिए किसी खास तरह के डिवाइस की भी जरूरत होती है। अब जानिए कैसे किया जाता है हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant)?

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    हार्ट ट्रांसप्लांट के दौरान क्या होता है? (During the heart transplant process)

    जब प्रभावित व्यक्ति के लिए कोई डोनर हार्ट मिल जाता है, तो ट्रांसप्लांट सेंटर के सर्जन डोनर हार्ट को हारवेस्ट करने जाते हैं। इस हार्ट को एक खास सोलुशन में ठंडा और स्टोर किया जाता है। सर्जन इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि ट्रांसप्लांट सर्जरी से पहले डोनर हार्ट अच्छी स्थिति में हो। यह सर्जरी डोनर हार्ट के उपलब्ध होने के बाद जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी की जाती है। अब जानिए कैसे होती है यह सर्जरी?

    • हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के दौरान मरीज को हार्ट लंग मशीन के ऊपर रखा जाता है। यह मशीन शरीर को रक्त से महत्वपूर्ण ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्राप्त करने की अनुमति देती है। भले ही हार्ट का ऑपरेशन किया जा रहा हो।
    • सर्जन रोगी के हार्ट को एट्रिया की पिछली वॉल्स यानी हार्ट के ऊपरी चैम्बर्स को छोड़कर हटा देते हैं। नए दिल पर एट्रिया की बैक खुल जाती है और दिल को इस जगह में सिल दिया जाता है।
    • सर्जन इसके बाद ब्लड वेसल्स को कनेक्ट करते हैं, ताकि हार्ट और लंग्स के माध्यम से ब्लड फ्लो हो।  जब हार्ट गर्म होता है, तो धड़कना शुरू कर देता है।  सर्जन सभी कनेक्टेड ब्लड वेसल्स और हार्ट चैम्बर्स को चेक करते हैं।  ताकि पता चल सके कि कोई लीकेज तो नहीं है।
    • इसके बाद हार्ट लंग मशीन से रोगी को रिमूव कर दिया जाता है। यह एक कॉम्प्लिकेटेड ऑपरेशन होता है, जिसमें चार से दस घंटे लग सकते हैं।

    सर्जरी के कुछ दिनों तक रोगी को अस्पताल में ही रहना पड़ता है। अगर डॉक्टर को ऐसे कोई लक्षण नजर न आएं, जिनसे उन्हें लगे कि बॉडी ऑर्गन को रिजेक्ट कर रही है। तो रोगी को सात से पंद्रह दिनों के भीतर घर जाने दिया जाता है। अब जानते हैं कि हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद क्या होता है?

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    हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद क्या होता है? (After Heart transplant)

    हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद रोगी को कुछ हफ़्तों तक अस्पताल में ही रहना पड़ता है और हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद 24 से 48 घंटों तक रोगी को इंटेंसिव केयर यूनिट (Intensive Care Unit) में रखना पड़ता है। इस प्रक्रिया के कुछ दिनों तक डॉक्टर अच्छे से रोगी का फॉलो-अप लेते हैं, ताकि उसे कोई इंफेक्शन न हो और हार्ट भी अच्छे से काम करे। हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद इन चीजों का भी ध्यान रखना पड़ता है:

    • इस समस्या के बाद तीन महीने रिकवरी पीरियड होता है। इस दौरान रोगी को अस्पताल के नजदीक ही रहने की सलाह दी जाती है। ताकि रेगुलर चेकअप, ब्लड टेस्ट और टेस्ट्स के लिए आने में उसे आसानी हो।
    • फाइटिंग रिजेक्शन एक ऑनगोइंग प्रोसेस है। मरीज का इम्यून सिस्टम ट्रांसप्लांटेड ऑर्गन को फॉरेन बॉडी मान लेता है और इससे लड़ता है। इसलिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट से गुजरे मरीजों को कुछ दवाइयां लेनी पड़ती है। जो शरीर के इम्यून रिस्पांस को सप्रेस करें। रिजेक्शन से बचने के लिए इन दवाइयों को लेना और सेल्फ केयर इंस्ट्रक्शंस का पालन करना बहुत जरूरी है।
    • हार्ट मसल्स की बायोप्सी ट्रांसप्लांट के बाद हर 6 से 12 महीने तक हर महीने की जाती है। इससे इस बात का पता चलता है कि कहीं बॉडी नए हार्ट को रिजेक्ट तो नहीं कर रही।
    • रोगी को पूरी उम्र हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) रिजेक्शन से बचने के लिए दवाइयां लेने की भी जरूरत हो सकती है। आपको इन दवाइयों को कैसे लेना है और इनके साइड इफ़ेक्ट के बारे में भी पता होना चाहिए। रोगी ट्रांसप्लांट के तीन महीने बाद अपनी सामान्य गतिविधियां कर सकता है। इसके बारे में अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
    • अगर ट्रांसप्लांट के बाद आपको कोरोनरी डिजीज हो जाती है। तो आपको हर साल कार्डिएक कैथेटेराइजेशन (Cardiac catheterization) की जरूरत भी हो सकती है। अब जानिए हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) से जुड़े रिस्क्स क्या हैं?

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    हार्ट ट्रांसप्लांट के रिस्क (Risks of Heart Transplant)

    हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) एक जटिल प्रक्रिया है। जिसके साथ कई जोखिम भी जुड़े हुए हैं। यह रिस्क्स इस प्रकार हो सकते हैं:

    एनेस्थीसिया से जुड़े रिस्क्स (Risks of Anesthesia)

    सर्जरी से जुड़े रिस्क्स (Risks of Surgery)

    ट्रांसप्लांट के रिस्क (Risks of Transplant)

    • ब्लड क्लॉट्स (Blood clots)
    • एंटी-रिजेक्शन मेडिसिन से किडनी, लीवर और अन्य अंगों को नुकसान होना (Damage to Kidneys, Liver or other Organs)
    • रिजेक्शन से बचने के लिए प्रयोग होने वाली दवाओं से कैंसर होना (Development of Cancer)
    • हार्ट अटैक या स्ट्रोक (Heart Attack or Stroke)
    • हार्ट रिदम समस्याएं (Heart Rhythm Problems)
    • रिजेक्शन मेडिसिन से हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल, डायबिटीज आदि समस्याएं होना (High Cholesterol Levels, Diabetes)
    • एंटी- रिजेक्शन दवाइयों के कारण इंफेक्शन के रिस्क का बढ़ना (Increased risk for Infections)
    • लंग और किडनी फेलियर (Lung and Kidney Failure)
    • हार्ट का रिजेक्शन (Rejection of Heart)
    • गंभीर कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Severe Coronary Artery Disease)
    • घाव में इंफेक्शन (Wound Infections)

    यह तो इस समस्या से जुड़े जोखिम लेकिन कई बार नया हार्ट बिलकुल भी काम नहीं करता है और यह इस से जुड़ा सबसे बड़ा रिस्क है। जानिए, क्या हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है?

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    हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है?

    डोनर हार्ट को शरीर के रिजेक्शन से बचाने के लिए पूरी उम्र दवाइयां लेनी पड़ सकती हैं। हालांकि, ऐसा होना दुर्लभ है। हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद बहुत से लोग एक्टिव और प्रोडक्टिव लाइफ जीने में सक्षम होते हैं। लेकिन, इसके लिए उन्हें कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे :

    दवाइयां (Medications)

    जैसा की बताया गया है कि हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद रोगी को कई दवाइयां लेनी पड़ती है। जिनमें सबसे जरूरी हैं वो दवाइयां जिन्हें शरीर को ट्रांसप्लांट के रिजेक्शन से बचने के लिए लिया जाता है। इन दवाइयों के कुछ साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते हैं। जैसे हाय ब्लड प्रेशर, फ्लूइड रिटेंशन, किडनी डैमेज आदि। ऐसे में इन समस्याओं को निपटने के लिए अक्सर अतिरिक्त दवाएं निर्धारित की जाती हैं।

    व्यायाम (Exercise)

    हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद प्रभावित व्यक्ति व्यायाम और अन्य शारीरिक गतिविधियों को कर सकता है। ताकि वजन न बढ़े और हार्ट का फंक्शन बेहतर हो। हालांकि उन्हें इस स्थिति में कौन से व्यायाम करने चाहिए इसके बारे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

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    डायट (Diet)

    हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद मरीज को खास डायट का पालन करना पड़ता है। जिसमें आहार में कई तरह से बदलाव शामिल है। ऐसे मरीजों को कम सोडियम लेने की सलाह  दी जाती है ताकि हाय ब्लड प्रेशर और फ्लूइड रिटेंशन का जोखिम कम हो सके। इसके बारे में अपने डॉक्टर और डायटिशियन की सलाह अवश्य लें।

    तनाव से बचें (Depression)

    तनाव कई समस्याओं को बढ़ाने का मुख्य कारण है। ऐसे में हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के बाद तनाव बचने की कोशिश करें। इसके लिए अपने डॉक्टर और परिवार से सपोर्ट लें, मैडिटेशन करें और डॉक्टर की सलाह लें। इसके साथ ही पर्याप्त नींद और आराम भी जरूरी है। शराब, धूम्रपान आदि के बारे में तो भूल ही जाएं।

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    हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) एक जोखिम भरी प्रक्रिया है। इसके बाद रोगी का जीवन कई चीजों पर निर्भर करता है। जैसे उसकी उम्र, जनरल हेल्थ , हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए रोगी का रिस्पांस आदि। इस ट्रांसप्लांट के बाद  85% रोगी पहले ही तरह ही काम और अन्य गतिवधियों को करना शुरू कर देते हैं। लेकिन, इस प्रकिया के बाद रोगी को बहुत अधिक एहतियात बरतनी पड़ती हैं। हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) से पहले रोगी को इससे जुड़ी पूरी जानकारी अपने डॉक्टर से ले लेनी चाहिए। इसके साथ ही अगर दिमाग में कोई भी चिंता या सवाल है. तो उन्हें भी डॉक्टर से पहले ही क्लियर कर लें।

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