अगर स्ट्रेप इंफेक्शन का उपचार न किया जाए, तो इससे रयुमाटिक एंडोकार्डाइटिस के बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। अगर किसी बच्चे को बार-बार स्ट्रेप इंफेक्शन हो रहा हो, तो इससे रयुमाटिक फीवर और रयुमाटिक एंडोकार्डाइटिस (Rheumatic Endocarditis) होने का खतरा बढ़ जाता है। अब जान लेते हैं कि क्या हैं इसके कारण?
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रयुमाटिक एंडोकार्डाइटिस के कारण क्या हैं? (Causes of Rheumatic Endocarditis)
रयुमाटिक एंडोकार्डाइटिस (Rheumatic Endocarditis) का कारण रयुमाटिक फीवर को माना जाता है, जो एक इंफ्लेमेटरी डिजीज है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार रयुमाटिक फीवर इम्यूनोलॉजिकली मेडिएटेड इंफ्लामेटरी डिजीज है, जो स्ट्रेप्टोकोकस थ्रोट इंफेक्शन के सही उपचार के न होने से होती है। यह बीमारी कई कनेक्टिव टिश्यूज खासतौर पर हार्ट, जोड़ों, स्किन या ब्रेन आदि को प्रभावित कर सकती है। हार्ट वॉल्व में भी सूजन हो सकती हैं और समय के साथ यह बदतर हो सकती है। इसके कारण हार्ट वाल्व तंग हो सकते हैं या हार्ट वॉल्व में लीकेज के कारण यह सामान्य रूप से काम करने के लिए सख्त हो सकते हैं। इसे विकसित होने में सालों लग सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप हार्ट फेलियर भी हो सकता है।
रयुमाटिक फीवर जो रयुमाटिक एंडोकार्डाइटिस (Rheumatic Endocarditis) का मुख्य कारण है, किसी भी उम्र में हो सकता है खासतौर पर पांच से पंद्रह साल के बच्चों को। ऐसे माना जाता है कि जेनेटिक्स भी रयुमाटिक एंडोकार्डाइटिस (Rheumatic Endocarditis) का कारण हो सकते हैं। हालांकि इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है कि इस समस्या को बढ़ाने या कम करने में जेनेटिक फैक्टर्स किस तरह से सहायक हो सकते हैं। अब जानिए इस बीमारी की जटिलताओं के बारे में।
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रयुमाटिक एंडोकार्डाइटिस की जटिलताएं (Rheumatic Endocarditis Complications)
रयुमाटिक एंडोकार्डाइटिस (Rheumatic Endocarditis) में होने वाली सूजन कई हफ्तों से कई महीनों तक रह सकती है। कुछ मामलों में लॉन्ग टर्म के कारण होने वाली इन्फ्लेमेशन के कारण हो सकती है। यह समस्या हार्ट को स्थायी रूप से डैमेज कर सकती है। इस डैमेज के कारण यह समस्याएं हो सकती हैं :
- वॉल्व का तंग होना: जिससे ब्लड फ्लो कम हो सकता है।
- वॉल्व में लीकेज : लिकी वॉल्व गलत डायरेक्शन में ब्लड फ्लो का कारण बन सकता है।
- हार्ट मसल्स का डैमेज होना : रयुमाटिक फीवर से होने वाली सूजन से हार्ट मसल कमजोर हो सकते है। जिससे इसके पंप होने की क्षमता प्रभावित होती है।
- माइट्रल वॉल्व का डैमेज होना, अन्य हार्ट वॉल्व या अन्य हार्ट टिश्यू के कारण जीवन में बाद में हार्ट में समस्या हो सकती है। इसके साथ इससे यह समस्याएं भी हो सकती हैं : एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial fibrillation) और हार्ट फेलियर (Heart failure) आदि। इसलिए इसका सही समय पर निदान और उपचार जरूरी है। आइए जानते हैं एंडोकार्डाइटिस के निदान के बारे में।
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