के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस (Group B streptococcus) को ग्रुप बी स्ट्रेप या GBS भी कहते हैं। यह एक तरह का कॉमन बैक्टीरिया है जो महिला और पुरुषों के रेक्टम, डायजेस्टिव ट्रेक्ट (Digestive system) और यूरिनरी ट्रेक्ट में मौजूद होता है।
ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस महिलाओं की वजायना में भी मौजूद होता है। ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस वयस्कों में हेल्थ से जुड़ी परेशानी पैदा नहीं करता है, लेकिन इससे नवजात में इंफेक्शन की समस्या शुरू हो सकती है। रिसर्च के अनुसार 25 प्रतिशत तक गर्भवती महिलाओं में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस की समस्या होती है ,लेकिन इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं होती है। गर्भवती महिलाओं को इसके लक्षण भी समझ नहीं आते हैं।
कई गर्भवती महिलाओं को ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस होने की जानकारी नहीं होती है और ना ही उसके लक्षण समझ आते हैं। वैसे तो ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस के कारण हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा नहीं होता, लेकिन इससे निम्नलिखित परेशानियां हो सकती हैं। जैसे-
इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानी हो सकती हैं। हालांकि ऐसे वक्त में गर्भवती महिला को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। लापरवाही बरतने पर प्लासेंटा और एमनियॉटिक फ्लूइड में इंफेक्शन होने पर गर्भ में पल रहे शिशु को ऑक्सिजन और पोषण की कमी हो सकती है। ऐसी स्थिति में समय से पहले शिशु का जन्म हो सकता है, जिसे प्रीटर्म बर्थ कहते हैं।
दरअसल गर्भावस्था में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस टेस्ट करवाना सामान्य है। प्रेग्नेंसी के 35वें हफ्ते से गर्भावस्था के 37वें हफ्ते के बीच ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस टेस्ट किया जाता है। इस जांच के दौरान अगर रिपोर्ट्स पॉजिटिव आती है, तो हेल्थ एक्सपर्ट गर्भवती महिला को IV एंटी-बायोटिक देते हैं ,जिससे लेबर के दौरान शिशु में GBS के खतरे को कम किया जा सके। निडिल की सहायता से IV हाथों पर दिया जाता है। ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस पॉजिटिव होने की जानकारी मिलने पर डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश जल्द से जल्द करें। डॉक्टर्स डिलिवरी के कम से कम 4 घंटे पहले गर्भवती महिला को IV वेन में इंजेक्शन दे देते हैं।
[mc4wp_form id=’183492″]
कपल अगर सिजेरियन डिलिवरी प्लान कर रहें हैं तो इस बारे में सबसे पहले अपने डॉक्टर से बात करें। सिजेरियन डिलिवरी के लिए डॉक्टर गर्भवती महिला को एंटीबायोटिक लेने की सलाह देते हैं। GBS इंफेक्शन गर्भ में पल रहे शिशु को तब होता है जब वह बर्थ कैनाल में आ जाता है। ऐसी स्थिति में अगर ठीक तरह से इलाज न किया जाए तो शिशु में इंफेक्शन का खतरा अत्यधिक बढ़ सकता है। अगर समय से पहले ही लेबर पेन शुरू हो जाए और ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस टेस्ट न किया गया हो तो डॉक्टर सुरक्षा की दृष्टिकोण से एंटीबायोटिक दे सकते हैं।
और पढ़ें – प्रेग्नेंसी में मूली का सेवन क्या सुरक्षित है? जानें इसके फायदे और नुकसान
और पढ़ें – प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म डायट चार्ट, हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए करें इसे फॉलो
शिशु में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस से जुड़े फैक्ट्स निम्नलिखित हैं।
अर्ली ऑनसेट- जन्म लेने वाले शिशु को पहले हफ्ते हो सकता है।
लास्ट ऑनसेट- जन्म लेने वाले शिशु को पहले हफ्ते से 3 महीने के वक्त में हो सकता है।
गर्भवती महिला में बी स्ट्रेप्टोकोकस से जुड़े फैक्ट्स निम्नलिखित हैं।
और पढ़ें – गर्भावस्था में पिता होते हैं बदलाव, एंजायटी के साथ ही सेक्शुअल लाइफ पर भी होता है असर
इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। जैसे-
GBS के लक्षण नजर नहीं आते हैं लेकिन, हर प्रेग्नेंसी के दौरान इसकी जांच अवश्य करवानी चाहिए। महिलाएं जो पॉजिटिव ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस से पीड़ित हैं और अगर इन्हें गर्भावस्था के सही स्टेज में दवा दी जाए तो जन्म लेने वाले शिशु में इसका खतरा टल सकता है, लेकिन अगर आप गर्भावस्था में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहती हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr Sharayu Maknikar