के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
एंथ्रेक्स एक रेयर लेकिन गंभीर बीमारी है जो बेसिलस एंथ्रासिस नामक जीवाणुओं के कारण होता है। इस बीमारी के जीवाणु मिट्टी में रहते हैं और कई वर्षों तक सुप्त अवस्था में पड़े रहते हैं। एंथ्रेक्स मुख्य रुप से जानवरों को प्रभावित करता है लेकिन बीमार और संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से यह जीवाणु मनुष्यों को भी संक्रमित करता है। त्वचा के घाव के जरिए एंथ्राक्स के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
साथ ही दूषित मांस से भी व्यक्ति एंथ्रेक्स से प्रभावित हो सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सीने में दर्द, डायरिया, उल्टी, बुखार होने के साथ ही त्वचा पर छाले पड़ जाते हैं। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
एंथ्रेक्स एक रेयर डिजीज है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में सैकड़ों लोग एंथ्रेक्स से पीड़ित हैं। वर्ष 2001 में जैविक हथियारों के संपर्क में आने से 5 लोगों की मौत हो गई जबकि 17 लोग गंभीर रुप से बीमार हुए थे। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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एंथ्रेक्स शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में एंथ्रेक्स से पीड़ित व्यक्ति में प्रायः बैक्टीरिया के संपर्क में आने के एक हफ्ते बाद ही लक्षण विकसित होने लगते हैं जबकि इनहेलेशन एंथ्रेक्स के लक्षण कुछ हफ्तों या महीनों बाद दिखते हैं। समय के साथ क्यूटेनियस एंथ्रेक्स के ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
यह एंथ्रेक्स का हल्का रुप माना जाता है और आमतौर पर इलाज के बाद क्यूटेनियस एंथ्रेक्स के लक्षण कम हो जाते हैं।
इनहेल एंथ्रेक्स से पीड़ित व्यक्ति में निम्न लक्षण नजर आते हैं :
एंथ्रेक्स इंजेशन से पीड़ित व्यक्ति में ये लक्षण सामने आते हैं:
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर एंथ्रेक्स अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। एंथ्रेक्स के लक्षण फ्लू से मिलते जुलते हैं। एंथ्रेक्स होने पर गले और मांसपेशियों में हल्का दर्द होता है। यदि आप ऐसी जगहों पर काम करते हैं जहां एंथ्रेक्स होने की संभावना अधिक है या फिर जानवरों के संपर्क में आने पर शरीर में असामान्य लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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एंथ्रेक्स आमतौर पर एंथ्रेक्स स्पोर्स को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से छूने, सांस लेने और खाने से फैलता है। एंथ्रेक्स स्पोर्स एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद एक्टिव हो जाते हैं और वहां बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करते हैं। इसके अलावा व्यक्ति जानवरों और जैविक हथियारों के जरिए भी एंथ्रेक्स के संपर्क में आ सकता है। संक्रमित घरेलू और जंगली जानवर, संक्रमित जानवरों से बनने वाले उत्पाद जैसे ऊन और खाल, संक्रमित पशुओं का अधपका मांस खाने के कारण भी एंथ्रेक्स के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
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एंथ्रेक्स एक गंभीर बीमारी है। समय पर इलाज न कराने से त्वचा के जरिए एंथ्रेक्स से पीड़ित 20 प्रतिशत लोगों की मृत्यु हो जाती है। जबकि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंथ्रेक्स से प्रभावित 25 से 75 प्रतिशत लोगों के मरने की संभावना होती है। सिर्फ इतना ही नहीं एंथ्रेक्स मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को कवर करने वाली झिल्ली और फ्लुइड में सूजन पैदा कर सकता है जिससे तेज रक्तस्राव या हेमरेजिक मेनिनजाइटिस के कारण व्यक्ति की मौत हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
एंथ्रेक्स का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
कुछ मरीजों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंथ्रेक्स के निदान के लिए स्टूल टेस्ट किया जाता है। इस दौरान मरीज के मल में एंथ्रेक्स बैक्टीरिया की जांच की जाती है। साथ ही इंडोस्कोपी टेस्ट में आंत का परीक्षण भी किया जाता है।
एंथ्रेक्स को इलाज से ठीक किया जा सकता है। कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में एंथ्रेक्स के असर को कम किया जाता है। एंथ्रेक्स के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
इसके अलावा कुछ मरीजों में इलाज के बाद एंथ्रेक्स का प्रभाव कम न होने पर सर्जरी से संक्रमित ऊतकों को बाहर निकाला जाता है।
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अगर आपको एंथ्रेक्स है तो आपके डॉक्टर संक्रमित और बीमार जानवरों के संपर्क में आने से बचने के लिए कहेंगे। इसके साथ ही जानवरों का मांस अच्छी तरह से पका कर खाना चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं त्वचा पर घाव लगने के बाद उसका तुरंत इलाज कराना चाहिए या कवर करके रखना चाहिए। साथ ही अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए और स्वास्थ्य की जांच भी करानी चाहिए।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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