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टिक-बॉर्न वायरस : चीन में बुन्या वायरस से 7 की मौत हुई, वायरस संक्रमित मरीजों में दिखाई देते हैं ये लक्षण

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/08/2020

    टिक-बॉर्न वायरस : चीन में बुन्या वायरस से 7 की मौत हुई, वायरस संक्रमित मरीजों में दिखाई देते हैं ये लक्षण

    जैसे कि दुनिया भर में लोग कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं। चीन, जहां सबसे पहले घातक संक्रमण के मामले दर्ज किए गए थे, अब एक नए हेल्थ थ्रेट का सामना कर रहा है। टिक-जनित वायरस के कारण सर्व फीवर थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (एसएफटीएस) नामक बीमारी ने चीन के लोगों का बुरा हाल कर दिया है। इस टिक-बॉर्न वायरस ने सात लोगों की जाने ले ली हैं और कम से कम 60 लोगों को संक्रमित भी कर दिया है। आपको बता दें कि कोरोना महामारी को सात महीने से अधिक समय हो चुका है और नोवल कोरोना वायरस दुनिया भर में लगभग एक करोड़ से भी अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है। नतीजन, विश्वभर में छह लाख से अधिक लोगों की जान कोरोना वायरस की वजह से चली गई। ऐसे में यह टिक-जनित संक्रामक बीमारी खतरे की घंटी साबित हो सकती है।

    टिक-बॉर्न वायरस ऐसे फैला

    पूर्वी चीन के जिआंग्सु प्रांत (Jiangsu Province) में 37 लोग सीवियर फीवर विद थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिंड्रोम (SFTS) के संपर्क में आए। इसके बाद 23 लोग चीन के अनहुई प्रांत (Anhui province) में इन्फेक्टेड पाए गए। इस टिक-बॉर्न वायरस (tick-borne virus) से संक्रमित एक महिला में पहले खांसी और बुखार जैसे लक्षण दिखाई दिए। साथ ही डॉक्टर्स ने महिला के शरीर में ल्यूकोसाइट, ब्लड प्लेटलेट्स की कमी भी पाई। हालांकि, महिला को एक महीने के ट्रीटमेंट के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।

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    टिक-बॉर्न डिजीज क्या है?

    टिक-जनित पैथोजन्स को संक्रमित टिक के काटने से मनुष्यों तक ट्रांसमिट किया जाता है। टिक्स बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी से संक्रमित हो सकते हैं। सबसे आम टिक-जनित बीमारियों में से कुछ में शामिल हैं: लाइम रोग (Lyme disease), बेब्सियोसिस babesiosis), एर्लिचियोसिस (ehrlichiosis), रॉकी माउंटेन स्पॉटेड फीवर (Rocky Mountain Spotted Fever), एनाप्लाज्मोसिस (anaplasmosis), टिक-बॉर्न रिलेपिंग फीवर आदि। गर्म मौसम के अलावा कुछ क्षेत्रों में टिक्स पूरे साल सक्रिय हो सकते हैं।

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    टिक-बॉर्न वायरस व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने की आशंका

    जबकि यह बीमारी टिक बाइट्स के द्वारा एक इंसान से दूसरे इंसान में फ़ैल सकती है। इस बात की चेतावनी चीन के वायरलॉजिस्ट ने भी दी है। SARS-CoV-2 के विपरीत, यह पहली बार नहीं है जब सीवियर फीवर विद थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिंड्रोम (SFTS) ने लोगों को संक्रमित किया है। हालिया मामलों की स्थिति केवल बीमारी के फिर से उभरने का एक संकेत है। जेझियांग यूनिवर्सिटी (Zhejiang University) के डॉक्टर शेंग जिफांग (Sheng Jifang) के अनुसार  टिक-बॉर्न वायरस एक मरीज के म्यूकस या ब्लड के जरिए दूसरे हेल्दी व्यक्ति तक पहुंच सकता है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि टिक बाइट ही बीमारी के फैलने की मुख्य वजह बनता है। इसलिए, लोगों को वायरस के संक्रमण से घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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    नहीं है कोई नयी बीमारी

    सीवियर फीवर विद थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिंड्रोम (SFTS) कोई नई बीमारी नहीं है क्योंकि इसकी पहली बार 2009 में सेंट्रल चीन में रिपोर्ट की गई थी और तब से देश ने वर्ष 2011 में रोगजनक (pathogen) को अलग कर दिया है। वायरस का पैथजनबुन्यावायरस (Bunyavirus) से संबंधित है, जो आर्थोपॉड-बॉर्न और रोडेंट-बॉर्न वायरस फैमिली से संबंधित है। जिस दर से यह वायरस फैलता है और इसकी हाई फेटालित्टी रेट के कारण, सर्वे फीवर थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा शीर्ष 10 प्रायोरिटी ब्लू प्रिंट में सूचीबद्ध किया गया है।

    वायरोलॉजिस्ट मानते हैं कि इस वायरस का प्राइमरी वेक्टर और कैर्रिएर हेमफिसालिस लॉन्गिकोर्निस (Haemaphysalis longicornis) नामक एक एशियाई टिक वायरस है। यह बीमारी मार्च और नवंबर के महीने के बीच फैलने के लिए जानी जाती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अप्रैल और जुलाई के बीच संक्रमण की कुल संख्या आमतौर पर पीक पर होती है।

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    टिक-बॉर्न वायरस : इन लोगों को ज्यादा खतरा

    किसान, हन्टर्स और पेट ओनर्स को विशेष रूप से इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना रहती है क्योंकि वे नियमित रूप से जानवरों के संपर्क में आते हैं। और ये जानवर हेमफैसिसिस लॉन्गिकोर्निस टिक को कैरी कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि वायरस अक्सर बकरियों, हिरणों और भेड़ों जैसे जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। वायरस से संक्रमित होने के बावजूद भी जानवर में आमतौर पर एसएफटीएसवी से जुड़े कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।

    शोधकर्ताओं की टीम ने समान लक्षणों को प्रदर्शित करने वाले लोगों के एक समूह से प्राप्त ब्लड सैम्पल्स की जांच करके वायरस की पहचान की। नेचर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वायरस से संक्रमित लोगों में से कम से कम 30 फीसदी की मौत हो गई। चाइना इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर डिजीज कंट्रोल की माने तो वर्तमान मामले में मृत्यु दर लगभग 16 से 30 प्रतिशत के बीच है।

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    सीवियर फीवर विद थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिंड्रोम वायरस के लक्षण क्या हैं?

    2011 में चीनी शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, बीमारी की शुरुआत के बाद सात से 13 दिनों के बीच बीमारी कहीं भी फैल सकती है। इस वायरस से पीड़ित रोगियों में आमतौर पर कई तरह के लक्षणों का अनुभव होता है। इसमें बुखार, थकान, ठंड लगना, सिरदर्द, एनोरेक्सिया (anorexia), मतली, लिम्फाडेनोपैथी (lymphadenopathy), म्यालजिया (myalgia), दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, मसूड़ों से ब्लीडिंग (gingival hemorrhage), कंजंक्टिवल कंजेशन (conjunctival congestion) और कई लक्षण शामिल हैं।

    रोग के कुछ शुरुआती चेतावनी संकेतों में गंभीर बुखार, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (thrombocytopenia) या कम प्लेटलेट काउंट और ल्यूकोसाइटोपेनिया (leukocytopenia) यानी कम वाइट ब्लड सेल्स काउंट है। अधिक गंभीर मामलों में देखे जाने वाले जोखिम कारकों में मल्टी-ऑर्गन फेलियर, हेमरेजिक मनिफेस्टेशन (hemorrhagic manifestation) और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) के लक्षण शामिल हैं।

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    सीवियर फीवर विद थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?

    इस बीमारी का इलाज करने के लिए एक वैक्सीन अभी तक सफलतापूर्वक विकसित नहीं की गई है, तब तक एंटीवायरल दवा रिबाविरिन (Ribavirin) को बीमारी के इलाज में प्रभावी माना जाता है।

    बचाव

    बीमारी से निपटने के लिए चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) सहित कई गवर्नमेंट अथॉरिटीज की लोगों से अपील है कि वे लंबी घास, जंगल, झाड़ी वाली जगहों और किसी भी ऐसे वातावरण से गुजरने से बचें जहां टिक्स की पाए जाने की संभावना रहती है। संक्रमित लोगों से खुद को दूर रखें।

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    डिस्क्लेमर

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