टिक-बॉर्न वायरस व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने की आशंका
जबकि यह बीमारी टिक बाइट्स के द्वारा एक इंसान से दूसरे इंसान में फ़ैल सकती है। इस बात की चेतावनी चीन के वायरलॉजिस्ट ने भी दी है। SARS-CoV-2 के विपरीत, यह पहली बार नहीं है जब सीवियर फीवर विद थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिंड्रोम (SFTS) ने लोगों को संक्रमित किया है। हालिया मामलों की स्थिति केवल बीमारी के फिर से उभरने का एक संकेत है। जेझियांग यूनिवर्सिटी (Zhejiang University) के डॉक्टर शेंग जिफांग (Sheng Jifang) के अनुसार टिक-बॉर्न वायरस एक मरीज के म्यूकस या ब्लड के जरिए दूसरे हेल्दी व्यक्ति तक पहुंच सकता है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि टिक बाइट ही बीमारी के फैलने की मुख्य वजह बनता है। इसलिए, लोगों को वायरस के संक्रमण से घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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नहीं है कोई नयी बीमारी
सीवियर फीवर विद थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिंड्रोम (SFTS) कोई नई बीमारी नहीं है क्योंकि इसकी पहली बार 2009 में सेंट्रल चीन में रिपोर्ट की गई थी और तब से देश ने वर्ष 2011 में रोगजनक (pathogen) को अलग कर दिया है। वायरस का पैथजनबुन्यावायरस (Bunyavirus) से संबंधित है, जो आर्थोपॉड-बॉर्न और रोडेंट-बॉर्न वायरस फैमिली से संबंधित है। जिस दर से यह वायरस फैलता है और इसकी हाई फेटालित्टी रेट के कारण, सर्वे फीवर थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा शीर्ष 10 प्रायोरिटी ब्लू प्रिंट में सूचीबद्ध किया गया है।
वायरोलॉजिस्ट मानते हैं कि इस वायरस का प्राइमरी वेक्टर और कैर्रिएर हेमफिसालिस लॉन्गिकोर्निस (Haemaphysalis longicornis) नामक एक एशियाई टिक वायरस है। यह बीमारी मार्च और नवंबर के महीने के बीच फैलने के लिए जानी जाती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अप्रैल और जुलाई के बीच संक्रमण की कुल संख्या आमतौर पर पीक पर होती है।
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