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ईस्टर्न रेड सिडर एक पेड़ है। इसकी छाल, बेरी, पत्ते, बीज और टहनियों का इस्तेमाल दवाओं में किया जाता है। इसका वानस्पातिक नाम Juniperus virginiana है। ये Cupressaceae परिवार से ताल्लुख रखता है। इसे पेंसिल सिडर के नाम से भी जाना जाता है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल, सिडेटिव, एस्ट्रिंजेंट और डायूरेटिक प्रॉपर्टीज होती हैं, जो हमारे स्वास्थ्य को कई परेशानियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
लोग ईस्टर्न रेड सिडर का इस्तेमाल कफ, ब्रॉन्काइटिस, ज्वाइंट पेन (रियूमेटिज्म), वाटर रिटेंशन, फ्लेटुलेंस जैसी बीमारियों का उपचार करने के लिए किया जाता है। इस औषधि का इस्तेमाल भूख बढ़ाने के साथ पाचन शक्ति को मजबूत करने के लिए किए जाने के साथ फंगल इंफेक्शन और वॉर्म आदि का उपचार करने के लिए किया जाता है।
कई लोग इस औषधि का इस्तेमाल सीधे स्किन पर लगाकर करते हैं। स्किन पर जख्म, स्किन रैशेज, हेयर लॉस, एक्जिमा, एक्ने, वार्ट, फंगल स्किन इंफेक्शन, हेमोरॉयड्स आदि का उपचार करने के लिए इसका उपयोग होता है। अस्थमा की बीमारी होने पर सीने पर इस औषधि को मलने के साथ रुमेटिज्म की बीमारी होने पर ज्वाइंट पर औषधि को लगाया जाता है।
कई निर्माता इस औषधि का इस्तेमाल इसकी सुगंध को हासिल करने के लिए साबुन, परफ्यूम और कॉस्मेटिक्स में करते हैं। इस औषधि के तेल का इस्तेमाल छोटे-छोटे कीटाणुओं को मारने के लिए भी किया जाता है।
ईस्टर्न रेड सिडर का इस्तेमाल दवा के तौर पर किया जाता है, तो आइए इस आर्टिकल में हम इसके उपयोग, साइड इफेक्ट, इनटरेक्शन सहित डोज और किस रूप में यह उपलब्ध है, यह सब जानते हैं।
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एंटीसेप्टिक:
रेड सिडर का तेल जख्मों को भरने और सेप्टिक होने से बचाता है। जख्मों पर इसे एंटीसेप्टिक के तौर पर लगाया जाता है। कई एंटीसेप्टिक क्रीम में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ये शरीर को विषाक्त पदार्थों से बचाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली और सफेद रक्त कोशिकाओं के तनाव से राहत देता है।
सूजन को कम करता है:
इसमें एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं जो अर्थराइटिस में मदद करते हैं। जोड़ों की सूजन और उसमें होने वाले दर्द के लिए इसके तेल को त्वचा पर लगाया जाता है।
टॉनिक की तरह काम करता है:
इसका ऑयल मेटाबॉलिज्म को उत्तेजित करता है। यह नर्वस सिस्टम, स्किन, मांसपेशियों, पाचन तंत्र, पेट और मस्तिष्क के कार्यों को मजबूत करता है। यह जिगर और गुर्दे के कार्यों को प्रमोट करता है जो ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखने में मदद करता है।
बीमारियों को करे दूर:
ये मसूड़ों को मजबूत बनाने के साथ दांतों को गिरने से रोकता है। यह ढीली मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा ये दस्त को ठीक कर पाचन तंत्र की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह त्वचा को बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थों से भी बचाता है।
डायूरेटिक :
इसमें डायूरेटिक प्रॉपर्टीज होती हैं जो तमाम बीमारियां जैसे हाइपरटेंशन, ओबेसिटी, गठिया, हाई ब्लड प्रेशर, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) को दूर करने में मदद करता है। ये यूरिन की मात्रा को बढ़ाता है और शरीर में मौजूद फालतू पानी, फैट, और टॉक्सिन को दूर करता है।
मासिक धर्म को नियमित करता है:
ये मासिक धर्म को नियमित करने के साथ इसके साइड-इफेक्टस जैसे थकान, मितली और मूड स्विंग्स को कम करता है।
कोल्ड और कफ को दूर करता है:
ये कोल्ड, कफ और कंजेशन से राहत प्रदान करता है। ये फेफड़े और श्वसन पथ में से बलगम को बाहर निकालता है। इसके अलावा यह सर्दी के लक्षण सको दूर करता है।
सिडेटिव प्रॉपर्टीज:
इसमें सिडेटिव प्रॉपर्टीज होती है जो दिमाग को शांत कर एंग्जायटी और इनसोमनिया को दूर करता है और अच्छी नींद में मदद करता है। एरोमाथेरेपी में भी स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
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बीटा सिट्रीन, अल्फा-सैंड्रीन और सीडरॉल जैसे नैचुरल इंग्रेडिएंट्स होते हैं जो कई बीमारियों के इलाज में मददगार है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल, सिडेटिव, एस्ट्रिंजेंट और डायूरेटिक प्रॉपर्टीज होती हैं, जो हमें कई बीमारियों से निजात दिलाते हैं। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें।
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निम्नलिखित परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें:
अन्य दवाइयों के मुकाबले औषधियों के संबंध में रेग्युलेटरी नियम अधिक सख्त नहीं हैं। इनकी सुरक्षा का आंकलन करने के लिए अतिरिक्त अध्ययनों की आवश्यकता है। ईस्टर्न रेड सिडर का इस्तेमाल करने से पहले इसके खतरों की तुलना इसके फायदों से जरूर की जानी चाहिए। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से सलाह लें।
इन दवाओं के साथ न करें इसका सेवन
सिडेटिव दवाइयां: सिडेटिव दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो ईस्टर्न रेड सिडर को साथ में न लें। इससे दवा का असर प्रभावित होता है।
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स्किन पर इसका ऑयल लगाते वक्त इसे आंखों, कानों और शरीर के दूसरे सेंसिटिव हिस्सों पर इसे न लगने दें। इसे लगाने से पहले एक बार पैच टेस्ट करें। कई बार इससे लोगों को स्किन एलर्जी हो सकती है। दवा के तौर पर इसे लेने से कुछ लोगों में मितली, उल्टी, खराब डायजेस्टिव सिस्टम, स्किन इरिटेशन और अधिक प्यास लगने की शिकायत हो सकती है।
हालांकि हर किसी को ये साइड इफेक्ट हो ऐसा जरूरी नहीं है, कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं तो नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
ईस्टर्न रेड सिडर का सेवन यदि मुंह से किया जाए, तो यह असुरक्षित होता है। खासतौर पर तब जब कोई व्यक्ति ज्यादा मात्रा में मुंह से इसका सेवन करता है। ऐसे में उसे पेट में बर्निंग सेंसेशन, उल्टी, कोमा और मौत तक हो सकती है। ऐसा ओवरडोज की वजह से हो सकता है, वहीं ईस्टर्न रेड सिडर के न पच पाने की वजह से हो सकता है।
लेकिन माना जाता है कि ईस्टर्न रेड सिडर का इस्तेमाल कम मात्रा में एक्सर्ट की सलाह के अनुसार सेवन किया जाए। स्किन पर तय मात्रा में तेल लगाया जाए, तो यह सुरक्षित होता है इसके साइड इफेक्ट नहीं देखने को मिलते हैं।
गर्भवती महिलाएं और वैसी महिलाएं जो शिशु को स्तनपान करा रही हैं, उन्हें इस औषधि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। क्योंकि गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं के लिए इस औषधि का इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है। कई मामलों में गर्भपात का खतरा तक हो सकता है। ऐसे में सुरक्षित यही होगा कि इसका इस्तेमाल न ही किया जाए।
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ईस्टर्न रेड सिडर की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लीमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें। कभी भी दवा की खुराक खुद से निर्धारित न करें। आपके द्वारा की गई छोटी सी गलती स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
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वैसी दवाएं जिसका सेवन कर आपको सिर चकराने, नींद आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं, उन दवाओं को सिडेक्टिव्स कहा जाता है। ईस्टर्न रेड सिडर का सेवन या इस्तेमाल आप कर रहे हैं और उसी दौरान सिडेक्टिव का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, तो संभव है कि सिडेक्टिव का असर उतना न हो जितना पहले होता था। लेकिन इस दवा के इंटरेक्शन को लेकर उतने शोध नहीं किए गए हैं। कुछ सिडेक्टिव दवाओं में जैसे क्लोनाजिपैम- क्लोनोपिन (clonazepam (Klonopin)), लोराजिपैम- एटीवेन (lorazepam (Ativan)), फिनोबारबिटल-डोनेटेल (phenobarbital (Donnatal)), जोलीफिडेम-एंबियन (zolpidem (Ambien)) और अन्य दवाइयों के साथ यह रिएक्शन कर सकता है।
इसलिए जरूरी है कि इस दवा का सेवन करने के पहले हमेशा डॉक्टरी सलाह लें, बिना उनके परामर्श के इस दवा का सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। वहीं, आपके डॉक्टर या फिर हेल्थ केयर एक्सपर्ट ने जितनी मात्रा बताई है, उतनी मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए। उससे ज्यादा और कम मात्रा में इस्तेमाल और सेवन करने से आपकी सेहत पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।
ईस्टर्न रेड सिडर निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। यहां हमने इस हर्ब से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी देने की कोशिश की है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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