के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
नागकेसर एक प्रसिद्ध जड़ी बूटी है, जिसका इस्तेमाल बुखार, उल्टी, यूरिनी ट्रैक्ट डिसऑर्डर और माइग्रेन के इलाज के लिए किया जाता है। च्यवनप्राश बनाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसका वानस्पातिक नाम मेसुआ फेरिआ (Mesua ferrea) है। यह कोलोफाइलेसिए (Colophyllaceae) परिवार से ताल्लुक रखता है। इसको नागपुष्पा (Naagapushpa), आयरन वुड (Iron-wood), इंडियन रोज चेस्टनेट (Indian rose chestnet) के नाम से भी जाना जाता है। नागकेसर की पत्तियां लाल और हरे रंग की होती हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। इनके बीच से पीले केसरी रंग के गुच्छे आते हैं, जिन्हें नागकेसर कहते हैं।
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औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। निम्नलिखित परेशानियों में नागकेसर का सेवन उपयोगी माना जाता है:
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग: नागकेसर के फूलों का इस्तेमाल एसिडिटी, उल्टी, भूख न लगना, सीने में जलन, पेप्टिक अल्सर, पेट में दर्द आदि के लिए किया जाता है। यह डायरिया, लिवर डिसऑर्डर और डिसेंटरी के लिए भी उपयोगी माना जाता है।
सांस की बीमारियों: कफ, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में भी नागकेसर के फूलों को भी उपयोगी माना जाता है। जुकाम में इसकी पत्तियों को सिर पर लगाने की सलाह दी जाती है।
सूजन को दूर करने में मददगार: नागकेसर के पौधे की लकड़ी में एंटी-इन्फ्लामेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं। पौराणिक समय से इसका प्रयोग अर्थराइटिस और गाउट के लिए किया जा रहा है। इसके बीजों के ऑयल का उपयोग घाव, खाज, जख्म और गठिया के इलाज के लिए किया जाता है। सर्दी के मौसम में बहुत सारे लोगों को गठिया की परेशानी रहती है। इस पीड़ादायक परेशानी से निजात पाने के लिए नागकेसर के बीजों के ऑयल को नियमित रूप से लगाने की सलाह दी जाती है।
सांप के काटने पर: इस जड़ी बूटी की जड़ का उपयोग अक्सर सांप के जहर के लिए किया जाता है। सांप के काटने पर यह एंटीडॉट की तरह काम करता है। इसके लिए नागकेसर के पत्तों को पानी में पीसकर पेस्ट तैयार करें। इसके बाद सांप ने जिस जगह काटा है उस जगह पर पेस्ट को लगा लें। शरीर से विष जल्दी बाहर निकल आएगा।
बवासीर: इसके सूखे फूलों का उपयोग ब्लीडिंग हेमोरॉयड यानी बवासीर और बलगम के साथ डिसेंटरी के लिए किया जाता है। बवासीर के मरीज को मल त्याग करते समय असहनीय दर्द होता है। इससे राहत पाने के लिए नागकेसर की छाल का चूर्ण का खाली पेट सेवन करने के लिए कहा जाता है।
इन परेशानियों में भी मददगार है नागपुष्पा का इस्तेमाल
नागकेसर के फूलों से निकाले गए ऑयल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल खांसी और अपच के इलाज के लिए किया जाता है। इसके बीजों से निकाले गए तेल में एंटीफंगल प्रॉपर्टीज होती हैं, जिस वजह से इसका इस्तेमाल त्वचा संबंधित रोगों और घाव को भरने के लिए उपयोगी माना जाता है। इसमें एंटी-इन्फलामेटरी, ब्लड प्यूरीफायर, ड्युरेटिक, कार्डियो टॉनिक, एक्सपेकटोरेंट, एंटीपायरेटिक, एंटी-अस्थमैटिक, एंटी-एलर्जी, एंटी कन्वल्सेंट और हेपाटो प्रोटेक्टिव आदि गुण होते हैं।
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नागकेसर का सेवन निम्नलिखित परिस्थितियों में एवॉइड करना चाहिए:
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नागकेसर का सीमित मात्रा में सेवन ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है। कई शोध के अनुसार, इसका इस्तेमाल करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। हालांकि हर्बल का सेवन हमेशा सुरक्षित नहीं होता है। यदि आप इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो अपने चिकित्सक से कंसल्ट करने के बाद ही करना। खुद से इसका सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए बेहतर होगा आप अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से चर्चा करें।
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नागकेसर को दिन में दो बार एक से तीन ग्राम रिकमेंड किया जाता है।
नागकेसर की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। कभी भी इसका सेवन खुद से न करें। आपका डॉक्टर आपकी मेडिकल कंडिशन, उम्र व अन्य कई कारकों के अनुसार इसकी खुराक तय करते हैं। डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई खुराक का ही सेवन करें। कभी भी खुद से खुराक निर्धारित करने की भूल न करें। आपकी ये छोटी सी गलती स्वास्थ्य पर बुरा असर कर सकती है।
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नागकेसर निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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