जब चेस्ट या फिर गर्दन के एब्नॉर्मल प्रेशर के कारण ट्रेकिया (Trachea) गर्दन के एक ओर खिसक जाती है, तो ट्रेकियल डेविएशन (Tracheal Deviation) की समस्या पैदा हो जाती है। ट्रेकिया (Trachea) को विंडपाइप के नाम से भी जाना जाता है। विंडपाइप कार्टिलेज से बनी ट्यूब होती है, जो एयर को अंदर जाने का रास्ता देती है, ताकि एयर लंग्स तक पहुंच सके। ट्रेकिया गर्दन के मध्य के नीचे और लेरनिक्स (Larynx) के पीछे स्थित होती है, लेकिन चेस्ट कैविटी में प्रेशर बनने के कारण ट्रेकिया गले के एक ओर खिसक जाती है। गर्दन में चोट या फिर इंटरनल ब्लीडिंग भी ट्रेकियल डेविएशन का कारण बन सकती है। ये कंडीशन कई कारणों से पैदा हो सकती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको सांस की नली विचलन के बारे में विस्तार से बताएंगे और साथ ही इससे ट्रीटमेंट की जानकारी देंगे। जानिए ट्रेकियल डेविएशन (Tracheal Deviation) किन स्थितियों में पैदा हो सकता है।
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ट्रेकियल डेविएशन किन कारणों से (Tracheal deviation) पैदा हो सकता है?
छाती, गर्दन और फेफड़ों की कुछ कंडीशन, चेस्ट इंज्युरी (Chest injuries), स्मोकिंग या फिर टॉक्सिक एयर के कारण उत्पन्न हुई कंडीशन, नेक इंज्युरी (Neck injury) आदि के लक्षण के रूप में ट्रेकियल डेविएशन (Tracheal Deviation) की समस्या पैदा हो सकती है। आमतौर पर चेस्ट कैविटी या फिर गर्दन में पैदा हुए दबाव यानी प्रेशर के कारण ट्रेकियल डेविएशन की स्थिति पैदा होती है। चेस्ट वॉल, फेफड़ों या फिर प्लीयूरल कैविटी (Pleural cavity) की ओपनिंग से ही एयर को अंदर जाने का रास्ता मिलता है। न्यूमॉथोरैक्स (Pneumothorax) में पैदा हुआ दबाव ट्रेकियल डेविएशन मुख्य कारण माना जा सकता है।
जब चेस्ट केविटी में अधिक मात्रा में एयर बिल्डअप हो जाता है, तो इस कंडीशन से बचा नहीं जा सकता है। कुछ अन्य कारण जैसे कि थायरॉयड ग्लैंड का इंलार्जमेंट, मिडियास्टिनल लिंफोमा (Mediastinal lymphoma) कैंसर के कारण, प्लीयूरल इफ्यूशन (Pleural effusion), पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary fibrosis) आदि कारणों से भी ट्रेकियल डेविएशन (Tracheal Deviation) की कंडीशन पैदा हो सकती है। ये कंडीशन बच्चों में भी हो सकती है। अगर बच्चे को किसी प्रकार की समस्या नहीं है, तो डॉक्टर ट्रीटमेंट कराने की सलाह नहीं देंगे।
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ट्रेकियल डेविएशन के लक्षण (Symptoms of Tracheal Deviation)
जब विंडपाइप (Windpipe) अपनी जगह से खिसक जाती है, तो हवा आसानी से अंदर नहीं जा पाती है। इस कारण से कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों और वयस्कों में ट्रेकियल डेविएशन की समस्या होने पर लगभग समान लक्षण ही नजर आते हैं। जानिए सांस की नली विचलन में होने पर किन लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है।
- खांसना (coughing)
- सांस लेने में तकलीफ (Trouble breathing)
- घरघराहट (Wheezing)
- सांस लेने में आवाज होना (Unusual breathing noises)
- सीने में दर्द (Pain in chest)
अगर आपको उपरोक्त लक्षणों में से किसी भी तरह की परेशानी महसूस हो रही है, तो आपको बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और जांच भी करवानी चाहिए।
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ट्रेकियल डेविएशन डायग्नोज (Tracheal deviation diagnosis)
सांस की नली विचलन की समस्या कई तरीकों से डायग्नोज की जा सकती है। आमतौर पर डॉक्टर एक्स-रे इमेजिंग टेस्ट के जरिए ट्रेकियल डेविएशन (Tracheal Deviation) की समस्या का परिक्षण करते हैं। साथ ही ब्लड टेस्ट (Blood test) के माध्यम से उन एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है, जो इस हेल्थ कंडीशन के बारे में जानकारी देती है। चेस्ट एमआरआई (Chest MRI) के माध्यम से चेस्ट प्रेशर की प्रेजेंस के बारे में जानकारी मिलती है। सीटी स्कैन और थोरेसेंटेसिस (Thoracentesis) के माध्यम से चेस्ट फ्लूड की बायोप्सी की जाती है। इस तर से किसी व्यक्ति में सांस की नली में विचलन की समस्या का पता लगाया जाता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं।
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ट्रेकियल डेविएशन का ट्रीटमेंट (Treatment of tracheal deviation)
ट्रेकियल डेविएशन (Tracheal Deviation) का परिक्षण करने के बाद डॉक्टर इसका ट्रीटमेंट करेंगे। ट्रीटमेंट किस प्रकार का होगा, ये जांच के बाद ही पता चलता है। डॉक्टर सर्जरी की सहायता से समस्या का निदान कर सकते हैं। वहीं कुछ केसेज में कीमोथेरिपी की भी जरूरत पड़ सकती है।जानिए डॉक्टर समस्या से निजात के लिए कौन-से ट्रीटमेंट को लेने की सलाह दे सकते हैं।
मिडियास्टिनल लिंफोमा (Mediastinal lymphoma) – इस ट्रीटमेंट में डॉक्टर कैंसर सेल्स को मारने के लिए कीमोथेरिपी लेने की सलाह देते हैं। कीमोथेरिपी कैंसर सेल्स को खत्म करने का काम करती है।
प्लीयूरल इफ्यूशन (Pleural effusion) – इस समस्या से निजात पाने के लिए थोरैसेन्टेसिस (Thoracentesis) की मदद से फ्लूड को हटाया जाता है और प्रेशर यानी दबाव को दूर किया जाता है। डॉक्टर चेस्ट से फ्लूड लेकर बायोस्पी भी करते हैं। अगर जरूरत पड़ती है, तो डॉक्टर सर्जरी भी कर सकते हैं।
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मल्टीनोड्युलर गोएटर (Multinodular goiter) – ऐसी स्थिति में डॉक्टर गोएटर की सर्जरी की हेल्प से हटा देते हैं। कई केसेज में आयोडीन थेरिपी (iodine therapy) का इस्तेमाल भी किया जाता है।
पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary fibrosis)- पल्मोनरी फाइब्रोसिस की समस्या में डॉक्टर कुछ दवाओं जैसे कि नंटेडानिब (nintedanib) और पिरफेनिडोन (pirfenidone) का सेवन करने से कंडीशन की प्रोग्रेस को रोका जा सकता है। अगर रोजाना एक्सरसाइज और ब्रीथिंग टेक्नीक का इस्तेमाल किया जाए, सांस लेने में होने वाली समस्या को रोका जा सकता है।
गर्दन में चोट लगने पर ट्रीटमेंट (Neck injury) – गर्दन में इंज्युरी के कारण यदि ट्रेकियल डेविएशन की समस्या पैदा हुई है, तो डॉक्टर ब्लीडिंग को रोकने की कोशिश करते हैं। सर्जिकल प्रोसेस के माध्यम से खून के बहार को रोका जाता है और दबाव को कम किया जाता है।
प्लीयूरल फाइफ्रोसिस (Pleural fibrosis) – प्लीयूरल के कुछ हिस्सो को हटाने के लिए डॉक्टर सर्जरी करते हैं।
आपको किन कारणों से ट्रेकियल डेविएशन (Tracheal deviation) की समस्या हुई है, उसकी जांच के बाद ही ट्रीटमेंट किया जाता है। अगर आपने फ्लूड ड्रेनेज प्रोसीजर ट्रीटमेंट लिया है, तो आपको अधिक दिनों तक अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि ये जल्दी रिकवर हो जाता है और आप एक से दो दिनों में घर जा सकते हैं। वहीं सर्जरी के बाद रिकवर होने में ज्यादा समय लग सकता है। ऐसे में दो से दस दिन भी लग सकते हैं। डॉक्टर कुछ मामलों में मेडिकेशन की सलाह भी देते हैं। दवाओं का इस्तेमाल बीमारी के लक्षणों को कम करता है लेकिन ये बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं कर पाता है। कुछ लोगों को समस्या से निजात पाने में साल भर से ज्यादा का समय भी लग सकता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं।
आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सांस की नली में विचलन की समस्या के संबंध में अधिक जानकारी मिली होगी। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या महसूस हो, तो लापरवाही किए बिना डॉक्टर को दिखाएं। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।