एडीएचडी यानी अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर, व्यवाहर संबंधी एक समस्या या मानसिक विकार है जिससे बच्चे और वयस्क दोनों ही पीड़ित हो सकते है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति किसी एक चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है और कोई एक करने पर बहुत जल्दी बोर हो जाता है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि एडीएचडी और एडिक्शन में गहरा संबंध है, क्योंकि एडीएचडी से पीड़ित टीनेजर्स और व्यस्को में शराब व अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने की प्रवृत्ति अधिक पाई गई है।
एडीएचडी (ADHD) क्या है?
यह मानसिक विकारों का एक समूह है जो व्यक्ति के व्यवहार को बुरी तरह से प्रभावित करता है। विकारों का समूह इसलिए कहा गया है, क्योंकि इसमें पीड़ित कोई एक मानसिक समस्या नहीं होती, बल्कि कई तरह की समस्याएं होती हैं जैसे- ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता, किसी की बातों को ध्यान से न सुन पाना, बहुत जल्दी बोर हो जाना, हाइपरएक्टिव होना आदि। एडीएचडी का शिकार बच्चों में एनर्जी तो बहुत होती है, लेकिन वह इसे सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाते। एक अनुमान के अनुसार, एडीएचडी से पीड़ित स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या 4% से 12% के बीच है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक, एडीएचडी की समस्या ज्यादातर प्री-स्कूल या छोटी कक्षाओं के बच्चों में होती है। कुछ बच्चों में, टीनेज की शुरुआत में स्थिति खराब हो सकती है। यह समस्या वयस्कों में भी हो सकती है। अध्ययन के मुताबिक, लड़कियों की तुलना में लड़कों में यह समस्या ज़्यादा पाई जाती है। चिंता की बात यह है कि एडीएचडी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक डायग्नोसिसट की वजह से मरीजों की संख्या बढ़ रही है। समय रहते इस बीमारी की पहचान कर इलाज करना आवश्यक है।