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वर्टा एल्ब ( Verta Alb)
नर्व या नसों को शांत करने के लिए वर्टा एल्ब ( Verta Alb) मेडिसिन का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवा लिली फैमिली के प्लांट से बनाई जाती है। बच्चों में गुस्से को शांत करने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है। जो बच्चे या वयस्क अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, उन्हें वर्टा एल्ब की कम खुराक का सेवन करने की सलाह दी जाती है। वर्टा एल्ब का अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है। एडीएचडी के उपचार के लिए होम्योपैथी की अधिकतर दवाओं में वर्टा एल्ब का इस्तेमाल किया जाता है। बच्चे को दिन में कितनी बार दवा देनी है, इस बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
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स्ट्रैमोनियम ( Stramonium)
स्ट्रैमोनियम ( Stramonium) को डेविल्स स्नेयर (Devil’s snare) के नाम से भी जाना जाता है। इस दवा का सेवन आक्रामक और हिंसक व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। स्ट्रेस डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों को भी इस दवा का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है। स्ट्रैमोनियम का अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक भी हो सकता है, बेहतर होगा कि आप दवाओं का सेवन सावधानी से करें। होम्योपैथिक दवाओं को डायल्यूट किया जाता है। अगर दवाओं को बिना डायल्यूट किए लिया जाए, तो ये शरीर को बहुत नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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एडीएचडी से छुटकारे के लिए होम्योपैथिक उपाय: हायोसायमस (Hyoscyamus)
हायोसायमस को हेन-बैन ( hen-bane) के रूप में भी जाना जाता है। एडीएचडी के कारण जिन बच्चों को बेचैनी की समस्या होती है, उन्हें हायोसायमस (Hyoscyamus) का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। बेचैनी के कारण बच्चों का किसी भी काम में मन नहीं लगता है। दवा का सेवन करने से इस समस्या से धीर-धीरे छुटकारा मिलता है। आप दवा के डोज के बारे डॉक्टर से जरूर पूछें।
अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) से छुटकारे के लिए करें लाइफस्टाल में बदलाव
बच्चे में एडीएचडी की समस्या को खत्म करने के साथ ही जीवनशैली में बदलाव भी बहुत जरूरी हैं। दवाओं का सेवन करने से बीमारी के लक्षणों से राहत मिलती है और साथ ही लाइफस्टाइल में सुधार से बीमारी से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। निम्न बातों पर ध्यान देकर बीमारी को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।
- अगर बच्चे को गुस्सा आ रहा हो, तो आपको उसे शांति से समझाना चाहिए।
- आप बच्चे को व्यायाम के फायदे बताएं और उसकी दिनचर्या में इसे शामिल भी करें।
- बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं और वो काम भी करें, जो उन्हें खुशी देते हों।
- बच्चों के साथ रोजाना खुली हवा का आनंद लें। बच्चों को दिनभर घर में बंद न रखें वरना बच्चा जल्दी बेचैनी महसूस कर सकता है।
- बच्चे को खाने में पौष्टिक आहार दें। आप चाहे तो उनका पसंदीदा पौष्टिक आहार भी दे सकते हैं।
- बच्चों को दूसरों से या दोस्तों से बात करने को कहें ताकि बच्चे झिझक को दूर कर सकें।
- आप बच्चे के पसंदीदा खेलों को उनके साथ जरूर एंजॉय करें।
एडीएचडी के बारे में अक्सर लोगों को जानकारी नहीं मिल पाती है। बच्चे के व्यवहार में आने वाले बदलावों को महसूस करें। अगर आपको बच्चे की हरकतों में अंतर महसूस हो रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे अक्सर अपनी समस्या के बारे में दूसरों को बता नहीं पाते हैं। ऐसे में पेशेंट्स को सावधान रहने की जरूरत है। आप बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। होम्योपैथिक दवाओं का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें। अगर आप पहले से ही किसी बीमारी का इलाज करा रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।