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ADHD : हाइपरएक्टविटी से छुटकारे में होम्योपैथी दिखाती है असर

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. स्नेहल सिंह · होम्योपैथी · Wellness Online Clinic Healing Arts


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/01/2021

    ADHD : हाइपरएक्टविटी से छुटकारे में होम्योपैथी दिखाती है असर

    अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर यानी एडीएचडी की समस्या मानसिक बीमारी से जुड़ी है। एडीएचडी के कारण बच्चे हाइपरएक्टिविटीहो जाते हैं। बच्चों में हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर के कारण व्यवहार में कुछ लक्षण दिखाई पड़ते हैं। बच्चों का एक काम में मन न लगना या किसी भी एक काम को छोड़कर दूसरे में लग जाना, एक स्थान में बैठने में समस्या, बात करने में परेशानी, बेचैनी का एहसास होना आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं। जिन बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है, वो लोग दैनिक गतिविधियों को ठीक तरह से पूरा नहीं कर पाते हैं। अगर बीमारी का ट्रीटमेंट सही समय पर न कराया जाए, तो ये लक्षण उम्र बढ़ने के साथ ही बने रहते हैं। वैसे तो एडीएचडी से राहत पाने के लिए लाइफस्टाइल में सुधार बहुत जरूरी होता है लेकिन डॉक्टर मेडिकेशन की सलाह भी देते हैं। एडीएचडी से छुटकारे के लिए होम्योपैथिक उपाय भी फायदेमंद साबित होते हैं। हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर की समस्या से राहत पाने के लिए होम्योपैथिक ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी देंगे।

    एडीएचडी से छुटकारे के लिए होम्योपैथिक उपाय (Homeopathic Remedy for ADHD)

    होम्योपैथिक चिकित्सा कुछ बीमारियों में अपना प्रभावी असर डालती है। एडीएचडी से छुटकारे के लिए होम्योपैथिक उपाय अपनाने के दौरान डॉक्टर पेशेंट के लक्षणों को देखता है और फिर बीमारी का इलाज करता है। एडीएचडी के मुख्य लक्षण जैसे कि ध्यान केंद्रित करने में समस्या (attention deficit), हाइपरएक्टिविटी( hyperactivity), एंग्जायटी (anxiety), स्लीपिंग डिसऑर्डर (sleeping disorders) आदि लक्षणों से राहत मिलती है। होम्योपैथिक केस में शारीरिक और मानसिक समस्याओं को ध्यान में रख कर इलाज किया जाता है। पहले से ये बता पाना मुश्किल है कि बच्चे में किस होम्योपैथिक दवा का असर अधिक होगा। दवा देने के बाद डॉक्टर दवा के असर को देखता है। अगर दवा का असर ठीक तरह से नहीं हो रहा है तो डॉक्टर जरूरत के अनुसार दवा बदल भी सकते हैं।

    यहां हम आपको कॉमन होम्योपैथिक रेमिडीज के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। अगर आपको एडीएचडी से छुटकारे के लिए होम्योपैथिक उपाय के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो आप होम्योपैथिक डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं। हर बच्चे की समस्या और जरूरत अलग हो सकती है, जरूरत के हिसाब से होम्योपैथिक दवाएं भी अलग हो सकती हैं। दवा का सेवन कैसे करना है और सही तरीका क्या है, इस बारे में ट्रेंड होम्योपैथिक डॉक्टर ही जानकारी दे सकता है। बेहतर होगा कि आप होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह करें और अपनी समस्या का समाधान भी कर लें।

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    एडीएचडी से छुटकारे के लिए होम्योपैथिक उपाय : कॉफिया क्रुडा (Coffea Cruda)

    ये दवा अनरोस्टेड कॉफी बींस (unroasted coffee beans) से बनी होती है। इस दवा का सेवन करने से मन के विचारों को व्यक्त करने वाले बच्चे या वयस्क आसानी महसूस करते हैं। एडीएचडी के कारण अक्सर बच्चे और वयस्कों को बातों को व्यक्त करने में परेशानी महसूस होती है। कॉफिया क्रुडा (Coffea Cruda) का सेवन करने से नींद के दौरान होने वाली चिंता से राहत मिलती है।। दवा का सेवन ओवरएक्टिव थॉट (overactive thoughts), हाइपरएक्टिविटी के कारण दर्द की समस्या से राहत दिलाने का काम करता है।

    होम्योपैथिक उपाय के रूप में सिनैप्टोल (Synaptol)

    ग्रीन ओट ग्रास (green oat grass), स्वीट वॉयलेट (sweet violet), स्कल्पक (scutelaria lateriflora) और कई अन्य जड़ी बूटियों को मिलाकर सिनैप्टोल (Synaptol) दवा तैयार की जाती है। सिनैप्टोल में एल्कोहॉल, शुगर को नहीं मिलाया जाता है। साथ ही ये ग्लूटेन फ्री होती है। ये होम्योपैथिक दवा एडीएडी के कारण उत्पन्न हुए लक्षणों जैसे कि हाइपएक्टिविटी को इम्प्रूव करने के लिए किया जाता है। सिनैप्टोल का सेवन करने से दुष्प्रभाव होंगे या नहीं, बेहतर होगा कि आप इस बारे में होम्योपैथिक डॉक्टर से जानकारी लें।

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    वर्टा एल्ब ( Verta Alb)

    नर्व या नसों को शांत करने के लिए वर्टा एल्ब ( Verta Alb) मेडिसिन का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवा लिली फैमिली के प्लांट से बनाई जाती है। बच्चों में गुस्से को शांत करने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है। जो बच्चे या वयस्क अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, उन्हें वर्टा एल्ब की कम खुराक का सेवन करने की सलाह दी जाती है। वर्टा एल्ब का अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है। एडीएचडी के उपचार के लिए होम्योपैथी की अधिकतर दवाओं में वर्टा एल्ब का इस्तेमाल किया जाता है। बच्चे को दिन में कितनी बार दवा देनी है, इस बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

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    स्ट्रैमोनियम ( Stramonium)

    स्ट्रैमोनियम ( Stramonium) को डेविल्स स्नेयर (Devil’s snare) के नाम से भी जाना जाता है। इस दवा का सेवन आक्रामक और हिंसक व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। स्ट्रेस डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों को भी इस दवा का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है। स्ट्रैमोनियम का अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक भी हो  सकता है, बेहतर होगा कि आप दवाओं का सेवन सावधानी से करें। होम्योपैथिक दवाओं को डायल्यूट किया जाता है। अगर दवाओं को बिना डायल्यूट किए लिया जाए, तो ये शरीर को बहुत नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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    एडीएचडी से छुटकारे के लिए होम्योपैथिक उपाय: हायोसायमस (Hyoscyamus)

    हायोसायमस को हेन-बैन ( hen-bane) के रूप में भी जाना जाता है। एडीएचडी के कारण जिन बच्चों को बेचैनी की समस्या होती है, उन्हें हायोसायमस (Hyoscyamus) का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। बेचैनी के कारण बच्चों का किसी भी काम में मन नहीं लगता है। दवा का सेवन करने से इस समस्या से धीर-धीरे छुटकारा मिलता है। आप दवा के डोज के बारे डॉक्टर से जरूर पूछें।

    अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) से छुटकारे के लिए करें लाइफस्टाल में बदलाव

    बच्चे में एडीएचडी की समस्या को खत्म करने के साथ ही जीवनशैली में बदलाव भी बहुत जरूरी हैं। दवाओं का सेवन करने से बीमारी के लक्षणों से राहत मिलती है और साथ ही लाइफस्टाइल में सुधार से बीमारी से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। निम्न बातों पर ध्यान देकर बीमारी को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

    • अगर बच्चे को गुस्सा आ रहा हो, तो आपको उसे शांति से समझाना चाहिए।
    • आप बच्चे को व्यायाम के फायदे बताएं और उसकी दिनचर्या में इसे शामिल भी करें।
    • बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं और वो काम भी करें, जो उन्हें खुशी देते हों।
    • बच्चों के साथ रोजाना खुली हवा का आनंद लें। बच्चों को दिनभर घर में बंद न रखें वरना बच्चा जल्दी बेचैनी महसूस कर सकता है।
    • बच्चे को खाने में पौष्टिक आहार दें। आप चाहे तो उनका पसंदीदा पौष्टिक आहार भी दे सकते हैं।
    • बच्चों को दूसरों से या दोस्तों से बात करने को कहें ताकि बच्चे झिझक को दूर कर सकें।
    • आप बच्चे के पसंदीदा खेलों को उनके साथ जरूर एंजॉय करें।

    एडीएचडी के बारे में अक्सर लोगों को जानकारी नहीं मिल पाती है। बच्चे के व्यवहार में आने वाले बदलावों को महसूस करें। अगर आपको बच्चे की हरकतों में अंतर महसूस हो रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे अक्सर अपनी समस्या के बारे में दूसरों को बता नहीं पाते हैं। ऐसे में पेशेंट्स को सावधान रहने की जरूरत है। आप बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। होम्योपैथिक दवाओं का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें। अगर आप पहले से ही किसी बीमारी का इलाज करा रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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