सोचना… इस शब्द से कौन परिचित नहीं हैं, क्योंकि इंसान अमीर हो-गरीब हो, नौकरी पेशा हो-बेरोजगार हो, स्टूडेंट हों या फिर कोई भी व्यक्ति हर व्यक्ति कुछ न कुछ बातों को लेकर मन में विचार करता रहता है और यह जरूरी भी है, लेकिन अगर ज्यादा सोचने लगें यानी ओवर थिंकिंग तो फिर आपको इसे समझने और इसे कम करने की जरूरत है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम आपके साथ ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय (Ways to Stop Overthinking) और ओवर थिंकिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को साझा करने जा रहें हैं।
- ओवर थिंकिंग क्या है?
- ओवर थिंकिंग के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं?
- ओवर थिंकिंग के कारण क्या-क्या हो सकते हैं?
- ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय क्या-क्या हैं?
चलिए अब ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय (Ways to Stop Overthinking) से जुड़े इन सवालों जानते हैं।
ओवर थिंकिंग क्या है? (About Overthinking)
ओवर थिंकिंग यानी जरूरत से ज्यादा सोचना, जो किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है। मन में बार-बार एक सवाल में उलझे रहना जो तनाव की स्थिति पैदा कर देता है। भले ही आप खुश क्यों ना हों, लेकिन अगर किसी सवाल या किसी भी बात को लेकर या फिर किसी के व्यवहार को लेकर ओवर थिंकिंग करने लगते हैं और सोच से बाहर निकल नहीं पाते हैं तो ऐसी स्थिति आपको धीरे-धीरे मानसिक परेशानियों की ओर बढ़ावा देने लगती है और अनजाने में मेंटल इलनेस को दावत भी दे सकते हैं। इसलिए ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय (Ways to Stop Overthinking) को समझाना जरूरी है और ज्यादा सोचने से बचने के उपाय को आप तभी अपनाना शुरू करेंगे जब आप ज्यादा सोचने के कारण, ज्यादा सोचने के लक्षण से परिचित होंगे।
ओवर थिंकिंग के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं? (Symptoms of Overthinking)
ओवर थिंकिंग के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- सोचना (Worry) बंद नहीं करना।
- वैसी चीजों के बारे में भी सोचना जिसपर कंट्रोल (Control) ना हो।
- खुद की गलतियों (Mistakes) को बार-बार याद करना।
- अपने दिमाग में शर्मनाक पलों (Embarrassing moments) को बार-बार दोहराता हूं।
- अपने मन में सवालों (Questions) से उलझे रहना।
- सोने (Sleep) में परेशानी महसूस होना, क्योंकि बंद नहीं कर पाना।
- लोगों के साथ हुई बातचीत को बार-बार याद करना और उन बातों के बारे में सोचना की काश मैंने ये नहीं कहा होता।
- खाली वक्त में अलग-अलग सवालों से मन में घिरे रहना।
- दूसरों के द्वारा ऐसे कार्यों के बारे में सोचना जो पसंद ना हो।
- भविष्य की बातों को लेकर परेशान रहना।
ये हैं अलग-अलग तरह के लक्षण जो ओवर थिंकिंग के लक्षण को दर्शाता है। दरअसल कभी-कभी सोचना या ज्यादा सोचने के लक्षण लगातार कई दिनों से या लम्बे वक्त से बने रहना व्यक्ति को गंभीर परेशानी में डालने के लिए काफी है। इसलिए ओवर थिंकिंग के कारण को भी समझना चाहिए और फिर ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय (Ways to Stop Overthinking) को फॉलो कर इस उलझन से निकलने में मदद मिल सकती है।
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ओवर थिंकिंग के कारण क्या-क्या हो सकते हैं? (Causes of Overthinking)
आत्म-सम्मान (Self-esteem) और आत्म-संदेह (Self-doubt) को ओवर थिंकिंग यानी ज्यादा सोचने का मुख्य कारण माना गया है। ज्यादा सोचने की समस्या को आसान शब्दों में निम्नलिखित कारणों से समझा जा सकता है। जैसे:
ओवरथिंकिंग एक ऑटोमेटिक सेल्फ-प्रोटेक्शन मेकनिज्म (Automatic self-protection mechanism) है। किसी बारे में अधिक सोचने की प्रवृत्ति रखना। जैसे: आय या आमदनी (Finances), स्वास्थ्य (Health), काम (Work) या फिर रिलेशनशिप (Relationships) के बारे में ज्यादा सोचना।
किसी भी चीजों के बारे में आप अपने आप ही सोचना शुरू कर सकते हैं। खाली बैठने के दौरान अलग-अलग तरह की या पुरानी बातों का ख्याल आना और उसे लगातार सोचते रहना।
नोट: ज्यादा सोचने के कारण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। अब अगर इसे एक उदाहरण से समझें तो स्कूल जाने वाले बच्चे पढ़ाई बेहतर परफॉर्म ना करने पर भी अत्यधिक सोचना शुरू कर सकते हैं कि आखिर वो क्यों पीछे हैं। इसलिए अब अगर कोई कहे की या आप सुनें कि ओवर थिंकिंग करते हैं तो सामने वाले व्यक्ति से समझें कि आखिर वो ऐसी बातें क्यों कर रहें हैं, जिससे आप उन्हें ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय (Ways to Stop Overthinking) समझा सकें।
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ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय क्या-क्या हैं? (Ways to Stop Overthinking)
ज्यादा सोचना या ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय इस प्रकार हैं। जैसे:
- गहरी सांस लें (Take a deep breath)- कई बार जब हम परेशान होते हैं, तो यह प्रायः सुनते हैं कि टेक ए डीप ब्रेथ यानी गहरी सांस लें। दरअसल नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार गहरी सांस लेने से फिजिकल हेल्थ (Physical health) के साथ-साथ मेंटल हेल्थ (Mental health) को भी रिलैक्स करने में मदद मिलती हैं। गहरी सांस लेने के पीछे की साइंस यह भी है कि इससे कोर्टिसोल हॉर्मोन लेवल (Cortisol hormone level) को भी कम करने में मदद मिलती। इसलिए नियमित रूप से अगर 5-5 मिनट भी 3 बार डीप ब्रीदिंग की जाए तो इससे लाभ मिल सकता है।
- मेडिटेशन (Meditation)- मेडिटेशन यानी ध्यान लगाना। रोजाना मेडिटेशन की आदत शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी बताया गया है। मेडिटेशन एक तरह का मेंटल हेल्थ एक्सरसाइज (Mental Health Exercise) है जिससे बॉडी (Body) और माइंड (Mind) दोनों को रिलैक्स करने में और फोकस करने में मदद मिलती है। मेडिटेशन एक ऐसी विधि है जिसे आप कहीं भी शांत सी जगह में बैठकर और अपनी आंखों को बंद करके कर सकते हैं। इसलिए अगर आप या आपके कोई करीबी ज्यादा सोचने की समस्या के शिकार हैं, तो ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय में मेडिटेशन को शामिल करने से लाभ मिल सकता है। वैसे मेडिटेशन से कई अन्य शारीरिक लाभ भी मिल सकते हैं।
- डिस्ट्रक्शन का विकल्प अपनाएं (Find a distraction)- ज्यादा सोचने से बचने के उपाय (Ways to Stop Overthinking) के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि सोचने की बजाए डिस्ट्रक्शन का विकल्प चुनें। इसका अर्थ यह है कि ऐसी चीजों को करें या ऐसे लोगों से बात करें जिनके साथ समय बिताना आपको अच्छा लगता हो। आप डिस्ट्रक्शन के ऑप्शन में डांसिंग (Dancing), सिंगिंग (Singing), ड्राइविंग (Driving), वॉलेंटियर (Volunteer) या फिर जो लोग आपको पसंद करते हैं या आपकी केयर करते हैं उनके साथ भी वक्त बिता सकते हैं।
- अपनी सफलताओं को स्वीकार करें (Acknowledge your successes)- जब आप ज्यादा सोचने लगते हैं, तो अपने आप को शांत करें और उन चीजों के बारे में सोचें जो आपने अपने जीवन में अच्छा किया हो या आपके साथ अच्छा हुआ। हां, सफलताओं में छोटी या बड़ी दोनों तरह की अपनी सफलताओं को शामिल करें। कहते हैं ना छोटी छोटी खुशियां ही तो जीने का सहारा बनती हैं।
- एक्शन लें (Take action)- कभी-कभी एक ही बात मन में बैठ जाती है और वही बार-बार ना चाहते हुए आती रहती है। अब किसी के गलत बर्ताव की वजह से भी हो सकता है। इसलिए ऐसे व्यक्तियों से दूरी बनायें और उन लोगों के संपर्क में रहें जिनसे मिलना-जुलना आपको पसंद हो।
ये हैं पांच ज्यादा सोचने से बचने के उपाय। अगर इन उपायों को अपनाया जाए तो इससे जरूर लाभ मिल सकता है। अगर इन उपायों से लाभ ना मिलें तो डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूरी है, क्योंकि ज्यादा सोचने की वजह से तनाव में रहना स्वभाविक है और तनाव कई गंभीर मेंटल इलनेस के साथ-साथ फिजिकल इलनेस का भी कारण बन सकती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल में दी गई जानकारी महत्वपूर्ण लगी होगी और आपको ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय (Ways to Stop Overthinking) से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में ओवर थिंकिंग (Overthinking) या ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय (Ways to Stop Overthinking) से जुड़े कोई अन्य सवाल हैं, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे।
शारीरिक बीमारी हो या मानसिक परेशानी दोनों से ही दूर रहें। इस बदलते वक्त में तनाव की वजह से कई शारीरिक समस्या अपने आप मनुष्य को शरीर को अपना आशियाना बना लेती है। जबकि इन स्थिति से अपने आपको बचाये रखें। जानिए मेंटल हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल दिल्ली के मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट के डायरेक्टर एवं हेड डॉ. समीर मल्होत्रा की क्या है राय इस नीचे 👇 दिए लिंक में।