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Peripheral Neuropathy: पेरीफेरल न्यूरोपैथी क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/06/2020

Peripheral Neuropathy: पेरीफेरल न्यूरोपैथी क्या है?

पेरीफेरल न्यूरोपैथी क्या है ?

पेरीफेरल नर्व्स ब्रेन और स्किन, मसल्स, इंटरनल ऑर्गेन को आपस में जोड़ती हैं। ये नर्व्स ब्रेन से शरीर और शरीर से ब्रेन को मैसेज पहुंचाने का काम करती हैं और जब ये पेरीफेरल नर्व्स खराब हो जाती हैं, तो ऐसी अवस्था पेरीफेरल न्यूरोपैथी कहलाती है। अगर सामान्य भाषा में समझें तो पेरीफेरल न्यूरोपैथी होने पर हाथ और पैर का कुछ हिस्सा सुन्न हो जाता है।

लक्षण

पेरीफेरल न्यूरोपैथी के लक्षण क्या हो सकते हैं ?

पेरीफेरल न्यूरोपैथी के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

  • हाथ या पैर का सुन्न होना या झुनझुनी महसूस होना।
  • प्रभावित पार्ट का अत्यधिक ठंडा होना या जलन महसूस होना।
  • अत्यधिक संवेदनशील होना।
  • ध्यान केंद्रित करने में परेशानी महसूस होना।
  • मसल्स का कमजोर होना।
  • समस्या बढ़ने पर पैरालिसिस होने की भी संभावना बनी रहती है।
  • ऑटोनॉमिक नर्व्स में परेशानी महसूस होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं:

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी की वजह से मोनोन्यूरोपैथी (mononeuropathy) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना। दो या दो से ज्यादा नर्व्स जिसे मल्टिपल मोनोन्यूरोपैथी (multiple mononeuropathy) कहते हैं या इससे भी ज्यादा जिसे पॉलीन्यूरोपैथी (polyneuropathy) कहते हैं, उसपर प्रभाव पड़ना। ज्यादतर लोगों में पैरिफेरल न्यूरोपैथी और पॉलीन्यूरोपैथी की समस्या होती है।

    इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में लक्षणों को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।

    डॉक्टर से कब मिलना चाहिए ?

    कमजोरी, हाथ-पैर में दर्द या झुनझुनी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा।

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    कारण

    किन कारणों से होता है पेरीफेरल न्यूरोपैथी ?

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी के कई कारण हो सकते हैं। इसलिए कोई एक कारण कहना कठिन है।

    एक्वायरड न्यूरोपैथी (Acquired neuropathies) इंफेक्शन, पुरानी बीमारी या किसी और समस्या की वजह से हो सकता है। इन कारणों के अलावा इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल हैं:

    • डायबिटीज
    • लंबे वक्त से चली आ रही कोई बीमारी
    • एल्कोहॉल का सेवन करना
    • पौष्टिक आहार का सेवन नहीं करना
    • विटामिन की कमी होना
    • कीमोथेरिपी
    • इम्यून सिस्टम कमजोर होना
    • बिना जानकारी के दवाओं का सेवन करना
    • किडनी या थायरॉइड की बीमारी
    • लाइम रोग, दाद, या एड्स जैसे संक्रमण
    • हेरेडिट्री न्यूरोपैथी सामान्य नहीं है। यह ब्लड रिलेशन में होने की वजह से होता है।

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    जोखिम के कारण

    किन कारणों से बढ़ सकती है पेरीफेरल न्यूरोपैथी की समस्या ?

    निम्नलिखित कारणों से बढ़ सकती है समस्या-

    • डायबिटीज मेलिटस
    • एल्कोहॉल का सेवन
    • विटामिन्स की कमी खासतौर पर विटामिन-बी की
    • लाइम डिजीज, दाद, एपस्टीन बार वायरस (Epstein-Barr virus), हेपेटाइटिस-सी और एचआईवी (HIV)
    • ऑटोइम्यून डिजीज
    • किडनी, लिवर या थायरॉइड डिसऑर्डर
    • बार-बार मोशन आना
    • पारिवारिक न्यूरोपैथी हिस्ट्री होना

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    निदान और उपचार

    दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी का निदान कैसे किया जाता है ?

    शारीरिक परीक्षण में डॉक्टर आपके मसल्स, मांसपेशियों का मूवमेंट-खिंचाव और आपके महसूस करने की क्षमता देखेगा। इस आधार पर पेरीफेरल न्यूरोपैथी का इलाज तय किया जाएगा।

    डॉक्टर पेशेंट को निम्नलिखित जांच की सलाह देते हैं:

    शारीरिक परीक्षण के बाद पुख्ता कारणों को जानने के लिए डॉक्टर कई जांचों के लिए कह सकता है, जैसे-

  • ब्लड टेस्ट की मदद से पेरीफेरल न्यूरोपैथी को समझना आसान हो जाता है। इसकी मदद से डॉक्टर डायबिटीज, किसी विटामिन की कमी या मेटाबॉलिज्म या किसी जेनेटिक परेशानी के बारे में पता कर सकते हैं, जो आपके नर्व फंक्शन को प्रभावित कर रही हो।
  • डॉक्टर पेशेंट के मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी लेते हैं जैसे- लक्षण, लाइफस्टाइल, विषाक्त खाद्य पदार्थों का सेवन, एल्कोहॉल का सेवन करना और परिवार में नर्वस सिस्टम डिजीज।
  • न्यूरोलॉजिकल एग्जामिनेशन जैसे- सेंसिटिविटी संबंधी जांच ब्लड टेस्ट- डायबिटीज, विटामिन की कमी, इम्यून सिस्टम के ठीक न होना या कोई अन्य टेस्ट जिससे से पेरीफेरल न्यूरोपैथी की जानकारी मिल सके।
  • सीटी स्कैन या एमआरआई जिससे ट्यूमर या अन्य परेशानियों को समझा जा सके।
  • नर्व फंक्शन टेस्ट- एलेक्ट्रॉमायोग्राफी रिकॉर्ड की मदद से मसल्स कितना डैमेज हुआ है यह समझा जा सकता है।
  • ऑटोनॉमिक नर्व फाइबर्स ठीक से काम कर रहा है या नहीं इसकी जानकारी लेना।
  • नर्व बॉयप्सी- नर्व के छोटे से हिस्से से पेरीफेरल न्यूरोपैथी की समस्या को समझना।
  • स्थिति गंभीर होने पर स्किन बायोप्सी भी की जा सकती है।
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    पेरीफेरल न्यूरोपैथी का इलाज कैसे किया जाता है ?

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी के लक्षणों को समझकर और इससे होने वाली परेशानी को समझकर इलाज किया जाता है।

    दवाइयां

    दवाइयों से पेरीफेरल न्यूरोपैथी के लक्षणों और इससे होने वाली परेशानी को कम किया जाता है।

    • दर्द कम करने वाली दवा-बिना डॉक्टर के इजाजत के केमिस्ट से नॉनस्टेरॉयड एंटी-इंफ्लेमेट्री ड्रग्स दी जा सकती है। लेकिन, अगर परेशानी ज्यादा है तो डॉक्टर से संपर्क कर दवा लेनी चाहिए।
    • एंटी-सीजर्स मेडिकेशन-गेबापेंटीन (Gralise, Neurontin) या प्रेगबालिन (pregabalin) जैसी दवाएं दी जा सकती हैं। इन दवाओं से चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
    • टॉपिकल ट्रीटमेंट-
    • पेरीफेरल न्यूरोपैथी के लक्षणों में टॉपिकल ट्रीटमेंट से सुधार हो सकता है। हालांकि इस्तेमाल किए जाने वाले क्रीम से जलन जैसी परेशानी महसूस हो सकती है।

    थेरिपी

    विभिन्न उपचार और प्रक्रियाएं पेरीफेरल न्यूरोपैथी के संकेतों और लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।

    • ट्रांस्क्युटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टूम्यूलेशन (TENS)- त्वचा पर इलेक्ट्रोड की मदद से हल्का विद्युत प्रवाह (electric current) देते हैं। लगभग एक महीने के लिए रोजाना 30 मिनट के लिए TENS दिया जा सकता है।
    • प्लाज्मा एक्सचेंज एंड इंट्रावेनस इम्यून ग्लोब्युलिन- इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलती है, जो एंटीबॉडी के रूप में काम करते हैं।
    • फिजिकल थेरिपी- अगर मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होती है, तो फिजिकल थेरिपी की मदद से पेरीफेरल न्यूरोपैथी को ठीक किया जा सकता है।

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    जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार

    निम्नलिखित टिप्स अपनाकर पेरीफेरल न्यूरोपैथी से बचा जा सकता है:

    • अपने पैरों का ख्याल रखें डायबिटीज के पेशेंट इसका खास ख्याल रखें। पैरों की नियमित जांच करें। मुलायम, कम्फर्टेबल और सूती मोजे और गद्देदार जूते पहनें।
    • नियमित एक्सरसाइज या सप्ताह में कम से कम तीन बार एक्सरसाइज जरूर करें इससे न्यूरोपैथी दर्द को कम कर सकता है। इससे मांसपेशियों में होने वाली परेशानी कम हो सकती है और ब्लड सुगर लेवल भी नियंत्रित रह सकता है। योग भी मददगार हो सकता है।
    • स्मोकिंग न करें।
    • पौष्टिक आहार जैसे हरी सब्जी, फल अपने आहार में जरूर शामिल करें।
    • एल्कोहॉल का सेवन न करें या कम से कम करें।
    • डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को ब्लड प्रेशर की जांच नियमित रूप से करना आवश्यक है।अगर इस बीमारी से जुड़े कोई प्रश्न हैं आपके पास तो समझने के लिए कृपया अपने चिकित्सक से संपर्क करें। ।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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