परिभाषा
मैलोक्लूजन क्या है?
जब किसी के दांत एक सीध में न हो तो उसे डॉक्टरी भाषा में मैलोक्लूजन (मालऑक्लूजन) कहते हैं। ऐसे दांतों का उपचार साधारण डेंटिस्ट की बजाय ऑर्थोडेंटिस्ट करता है।
कभी आपने ध्यान दिया है कि जब आप मुंह बंद करते हैं किसी चीज को काटते हैं तो आपके ऊपर वाले दांत निचले के थोड़ा सा ऊपर आ जाते हैं, ऐसा होता है तो समझिए दांतों की अलाइनमेंट ठीक है, लेकिन मालऑक्लूजन की स्थिति में ऐसा नहीं होता और मोलर जिसे दाढ़ या खाने वाले दांत कहते हैं, एक-दूसरे के ऊपर ठीक से नहीं फिट होते हैं। मालऑक्लूजन से न सिर्फ आपका लुक बिगड़ता है, बल्कि कई तरह की डेंटल प्रॉब्लम्स भी हो सकती है। इसलिए समय रहते इसका इलाज करवाना जरूरी है।
मालऑक्लूजन का इलाज सामान्य डेंटिस्ट नहीं करता है, बल्कि ऑर्थोडोन्टिस्ट करता है, दरअसल ये स्पेशलाइज्ड डेंटिस्ट होते हैं जिन्हें टेढ़े-मेढ़े दांतों को ठीक करने, दांतों की अलाइनमेंट और अन्य समस्याओं को ठीक करने की खास ट्रेनिंग मिली होती है। दांतों की अलाइनमेंट चाहे किसी भी तरह से बिगड़ी हो इसके कारण समस्याएं आ सकती हैं। ऊपरी दांत यदि एक सीध में नहीं होंगे तो गाल और होठों के कटने का खतरा रहता है, इसी तरह निचले दांत के एक सीध में न होने पर दांतों से जीभ कट सकती है।
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लक्षण
मैलोक्लूजन के क्या लक्षण हैं?
मैलोक्लूजन के लक्षण इसकी कैटेगरी पर निर्भर करते हैं, यानी मैलोक्लूजन किस तरह का है उसके आधार पर लक्षण अलग हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में शामिल हैः
- अंदर से गाल और जीभ का बार-बार कटना
- चबाने और दांतों से कुछ काटने में असहजता
- नाक की बजाय मुंह से सांस लेना
- दांतों की अलाइनमेंट ठीक न होना (एक सीध में न होना)
- चेहरा असामान्य दिखना
- बोलने में परेशानी, व्यक्ति तुतलाने भी लगता है
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कारण
मैलोक्लूजन के क्या कारण हैं?
दांतों की अलाइनमेंट सही होने पर ऊपरी और निचले दांत एक-दूसरे के साथ अच्छी तरह फिट हो जाते हैं। मोलर यानी दाढ़ भी दूसरे दाढ़ के अंदर समा जाती है और मुंह आसानी से बंद हो जाता है। ऐसी स्थिति में चेहरा सामान्य दिखता है। मैलोक्लूजन के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि यह अधिकांशतः वंशानुगत होता है, यानी परिवार में किसी को पहले से यह समस्या है तो आने वाली पीढ़ी को भी यह हो सकती है। मैलोक्लूजन की समस्या ऊपरे और निचले जबड़े का आकार एक समान न होने या जबड़े और दांतों के साइज में मेल न होने के कारण होती है। मालऑक्लूजन के कारण मुंह में दांतों की अधिक संख्या दिखने लगती है और व्यक्ति का बाइट पैटर्न यानी दांत से कुछ काटने का तरीका भी असामान्य हो जाता है। कुछ जन्मजात विकृति जैसे कटे होठ या तालू के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
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मैलोक्लूजन के अन्य कारणों में शामिल हैः
- बचपन में अंगूठा चूसने की आदत, दांतों/मसूड़ों पर बार-बार जीभ फिराना, पेसिफायर का इस्तेमाल, 3 साल के बाद भी बोतल से दूध पीना आदि
- अतिरिक्त दांत, दांत टूटना या दांतों का असामान्य शेप
- डेंटल फिलिंग का ठीक न होना, क्राउन, ब्रेसेस या दांतों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल अन्य डेंटल अप्लाएंस की ठीक फिटिंग न होना
- कई बार चोट लगने के कारण जबड़े में फ्रैक्चर की वजह से जबड़े का अलाइनमेंट बिगड़ना
- मुंह या जबड़े का कैंसर
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निदान
मालऑक्लूजन का निदान कैसे किया जाता है?
आमतौर पर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक परीक्षण के आधार पर मालऑक्लूजन का निदान किया जाता है। यदि आपके बच्चे को मालऑक्लूजन की समस्या है तो डेंटिस्ट उसे ऑर्थोडोन्टिस्ट के पास भेजेगा। ऑर्थोडोन्डिस्ट आगे जांच और परीक्षण के आधार पर तय करता है कि इसका उपचार कैसे किया जाना है। मैलोक्लूजन के सही मूल्यांकन के लिए डेंटल एक्स-रे, सिर और खोपड़ी का एक्स-रे और चेहरे का भी एक्स-रे किया जाता है।
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अगर आप मालऑक्लूजन से ग्रस्त होंगे तो आपके प्रकार और गंभीरता को मध्य नजर रखते हुए इसे 3 भाग में विभाजित किया गया है। जिनमें शामिल हैं –
क्लास 1 – इस क्लास के मैलोक्लूजन का पता तब चलता है जब ऊपरी दांत नीचे के दांत को ओवरलैप करने लगता है। इस प्रकार के मैलोक्लूजन में बाईट सामान्य होती है और ओवरलैप कम होता है। क्लास 1 मैलोक्लूजन, मैलोक्लूजन की सबसे सामान्य क्लासिफिकेशन होती है।
क्लास 2 – क्लास 2 मैलोक्लूजन का परीक्षण तब किया जाता है जब बेहद गंभीर ओवरबाईट मौजूद हो। इस स्थिति को रेट्रोग्नैथिज्म कहा जाता है। इसका अर्थ है ऊपरी दांत, निचले दांत और जबड़े को ओवरलैप करने लगते हैं ।
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क्लास 3 – इस क्लास के मालऑक्लूजन का परीक्षण तब किया जाता है जब गंभीर अंडरबाईट मौजूद हो। इस स्थिति को प्रोग्नैथिज्म कहा जाता है। जिसका अर्थ होता है निचले जबड़े आगे की ओर फैलना। इसके कारण निचले दांत, ऊपरी दांत और जबड़े को ओवरलैप करने लगते हैं ।
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उपचार
मैलोक्लूजन का उपचार कैसे किया जाता है?
यदि किसी को सामान्य मैलोक्लूजन की समस्या है तो उसे इलाज की कोई जरूरत नहीं होती है, लेकिन यदि यह गंभीर है तो दांतों के मालऑक्लूजन का उपचार आवश्यक होता है। मालऑक्लूजन किस कैटेगरी है यह देखने के बाद ही डेंटिस्ट इसका इलाज करता है। उपचार के लिए इनमें से कोई भी तरीका इस्तेमाल किया जा सकता हैः
- दांतों की पोजिशन ठीक करने के लिए ब्रेसेस का इस्तेमाल
- अधिक दांत होने पर अतिरिक्त दांत को निकाला जा सकता है
- दांतों पर कैप लगाना या उसकी रिशेपिंग करना
- जबड़े का आकार ठीक करने या उसे छोटा करने के लिए सर्जरी
- जबड़े की हड्डी को स्थिर करने के लिए वायर या प्लेट्स लगाना
मालऑक्लूजन के उपचार से कुछ तरह की जटलिताएं भी हो सकती है जिसमें शामिल हैः
- दांतों की क्षति
- दर्द या असहजता
- ब्रेसेस या अन्य अपलाएंस के इस्तेमाल से मुंह में जलन
- उपचार के दौरान चबाने या बोलने में परेशानी
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क्या मैलोक्लूजन से बचाव संभव है?
मैलोक्लूजन की समस्या से बचाव बहुत मुश्किल है, क्योंकि अधिकांश मामलों में यह अनुवांशिक होता है। हां, पैरेंट्स छोटी उम्र से ही बच्चों को दांतों की समस्याओं से बचाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखकर उन्हें कुछ हद तक ओरल प्रॉब्लम्स से बचा सकते हैं, जैसे पेसिफायर या बोतल जल्दी छुड़ा देना। 3 साल की उम्र से पहले ही बोतल से दूध देने की बजाय कप या कटोरी में दूध पिलाना सिखाएं, क्योंकि बोतल का मसूड़ों पर गलत असर पड़ता है। मैलोक्लूजन का पता जल्दी चलने पर उपचार में ज्यादा समय नहीं लगता है और यह समस्या जल्दी ठीक हो सकती है।
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निष्कर्ष
बच्चों और बड़ों में मैलोक्लूजन का इलाज आमतौर पर स्थिति में केवल सुधार लाता है। बचपन में इलाज शुरू करवाने से इलाज के समय में कमी आती है। जिससे खर्च भी कम लगता है।
वयस्कों में भी परिणाम अच्छे आ सकते हैं, लेकिन वयस्कों में इलाज की प्रक्रिया लंबी चलती है और इसका खर्च भी ज्यादा हो सकता है। मालऑक्लूजन का जितना जल्दी इलाज शुरू किया जाता है परिणाम उतने ही बेहतर होते हैं।
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