दवाएं
क्योंकि कॉर्नियल अल्सर की मुख्य वजह संक्रमण है इसलिए डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक आईड्रॉप देगा। यदि संक्रमण गंभीर है तो आपको हर घंटे आईड्रॉप डालने की जरूरत है। दर्द से राहत के लिए ओरल पेन किलर दिया जा सकता है। दर्द कम करने के लिए खास आईड्रॉप भी दिया जा सकता है जिससे आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं।
मेडिकल ट्रीटमेंट
यदि आपने कॉन्टेक्ट लेंस पहना है, तो डॉक्टर उसे निकाल देगा। यदि डॉक्टर को संक्रमण का संदेह है तो वह आपकी आंखों पर पैच नहीं रखेगा। पैच रखने से बैक्टीरिया और अधिक बढ़ते हैं।
सर्जरी
यदि दवाओं से कॉर्नियल अल्सर ठीक नहीं होता या इससे कॉर्निया में छेद होने का खतरा होता है तब इमरजेंसी सर्जरी की जरूरत होती है, जिसमें कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट किया जाता है। इलाज के दौरान डॉक्टर आपको इनसे परहेज के लिए कह सकता हैः
- कॉनटेक्ट लेंस पहनने से
- आई मेकअप करने से
- दूसरी दवाएं लेने से
- बार-बार आंख छूने से
कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट
गंभीर मामलों में कॉर्नयिल ट्रांस्प्लांट की जरूरत होती है। इसमें सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान क्षतिग्रस्त कॉर्नियल टिशू को हटाकर उसकी जगह डोनर स्वस्थ टिशू डाल दिए जाते हैं। आमतौर पर यह सर्जिकल प्रक्रिया सुरक्षित है, लेकिन किसी भी अन्य सर्जरी की तरह ही इसमें भी कुछ जोखिम जुड़े हैं। सर्जरी के बाद कुछ इस तरह की जटिलताएं हो सकती हैः
- डोनर के टिशू को आपका शरीर रिजेक्ट कर देता है
- ग्लूकोमा विकसित होना
- मोतियाबिंद
- कॉर्निया में सूजन
- आई इंफेक्शन