ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर मस्तिष्क के विकास से जुड़ी एक स्थिति है, जिससे प्रभावित व्यक्ति यह नहीं जान पाता है कि वो व्यवहार कैसा करे या किसी बात पर कैसा रिएक्ट करे। यहां तक कि वो अपनी जरूरते भी नहीं बता सकते हैं। जिससे उन्हें सामाजिक संपर्क और संचार में समस्याएं पैदा होती हैं। किसी भी व्यक्ति में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) बचपन से ही शुरू हो जाता है। बच्चे में अक्सर पहले साल के भीतर ही लक्षण नजर आने लगते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे के माता-पिता के लिए परिस्थितियों से आसानी से निपटना आसान नहीं होता है, जिससे पेरेंट्स में अक्सर तनाव और तनाव का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में पेरेंट्स के दिमाग में सबसे बड़ा सवाल होता है कि वो करें क्या? ऐसी स्थिति यानि कि ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech therapy in Autism) से बच्चे की हालत में सुधार लाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech therapy in Autism) क्या है और बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य कैसे प्रभावित न होने दें ?
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ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी से पहले जान लें इसके लक्षण (Symptoms of autism in children)
ऑटिज्म के शिकार बच्चों में शुरूआत से ही लक्षण नजर आने लगते हैं, जिन पर पेरेंट्स का ध्यान देना आवश्यक है, ताकि शुरूआत से ही स्पीच थेरिपी या अन्य थेरिपी की सहायता से उनकी मदद की जा सकती है।
1 साल से कम आयु (Above 1 Year)
- बच्चा आई कॉन्टैक्ट (Eye Contact) करने से घबराता है
- अनुचित अभिव्यक्ति या किसी भी बात में फेस का रिएक्शन ब्लैंक होना
- आपकी मुस्कान का जवाब नहीं देना
- सामने पड़ती वस्तुओं की तरफ भी ध्यान नहीं जाना
- अवाज देने या कोई साउंड (Sound) होने पर जवाब नहीं देना या रिएक्ट नहीं करना
- विशिष्ट खिलौनों से ही चिपके रहना
- ऐसे बच्चे को जिद्द को शांत करना मुश्किल होता है।
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1-2 वर्ष की आयु (1-2 Year)
- बच्चे अपनी काल्पनिक दुनिया में होना
- बोलने में देरी करना या नहीं बोलने में दिक्कत होना
- नाम से पुकारे जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना
- किसी सवाल का जवाब नहीं देना
- तेज आवाज पर भी कोई प्रतिक्रिया (Reaction) नहीं देना
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2 वर्ष की आयु से अधिक (Above 2 Year)
- अकेले खेलना पसंद करना है (Alone)
- बच्चा दूसरों के साथ चीजें शेयर नहीं करना
- उसकी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई (Feeling Express)
- दोस्त नहीं बनाता और बातें साझा करता है
- मुश्किल से इशारों का उपयोग करता है
- उनके आवाज कम या अधिक ऊंची हो सकती है
- संक्रमण के प्रति संवेदनशील और अक्सर बीमार पड़ सकता है
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इसके अलावा बच्चे में अन्य तरह के लक्षण (Symptoms) भी नजर आ सकते हैं। वास्तविकता में ऑटिज्म के शिकार बच्चे की परवरिश पेरेंट्स के लिए आसान नहीं होती है। किसी भी माता-पिता के लिए सामान्य बच्चे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना आसान होता है, लेकिन ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों (children with autism) के माता-पिता एक विशेष जोखिम में होते हैं, विशेष रूप से अपने बच्चे के भविष्य की चिंता को लेकर।
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ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech Therapy in Autism)
ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech therapy in Autism) बहुत जरूरी होती है, बजाय आप हमेशा चिंतिंत रहें। पेरेंट्स का चिंता करना स्वभाविक है, लेकिन “क्या होगा अगर…” यदि इसकी बजाय अपने आप से पूछें कि अब बच्चे के लिए मेरा कर्तव्य क्या है?” ऑटिज्म के शिकार बच्चों के लिए स्पीच थेरिपी काफी प्रभावकारी है। इससे उन्हें संचार में काफी मदद मिलती है, जैसा कि ऊपर बताया गया है कि 35% ऑटिस्टिक बच्चे (Autistic children) ठीक से कम्युनिकेन नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण ऐसे बच्चे अपनी बात व्यक्त नहीं कर पाते हैं। जोकि पेरेंट्स के लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय है। ऐसे बच्चों में और सभी ऑटिज्म के शिकार बच्चों के लिए स्पीच थेरिपी काफी मददगार है। ऐसे बच्चे सांकेतिक भाषा (sign language) या संचार के वैकल्पिक साधन सीख सकते हैं। ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech therapy in Autism) के लिए आप डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं।
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ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech therapy in Autism) में शामिल हो सकते हैं:
- इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) “बात व्यक्त करने वाले”
- टाइपिंग
- शब्दों के साथ पिक्चर बोर्ड का उपयोग करना, जिसे पिक्चर एक्सचेंज कम्युनिकेशन सिस्टम (Picture exchange communication system) के रूप में जाना जाता है। जिसमें बच्चे को संवाद करने में मदद के लिए, शब्दों के बजाय चित्रों का उपयोग करना शुरू करते हैं
- होठों या चेहरे से ऐक्सप्रेशन देना बताया जाता है
- सोशल लाइफ को मेंटेन करने के लिए कम्युनिकेशन तकनीक सिखायी जाती है।
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ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech therapy in Autism): ऑटिज्म बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य , पेरेंट्स रहें मानसिक रूप से तैयार!
ऑटिज्म बच्चों में स्पीच थेरिपी सिखने से उन्हें, उनके स्कूल लाइफ में भी मदद मिलेगी। ऑटिज्म बच्चे की स्पीच थेरिपी (Speech Therapy) को लेकर भी पेरेंट्स को कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं। यदि आपका बच्चा किसी विशेष स्कूल में भाग लेने या स्पीच थैरेपिस्ट क्लिनिक का दौरा करने के लिए अनिच्छुक है, तो ऐसी स्थिति में आप स्पीच थेरिपिस्ट को घर बुला सकते हैं। इससे बच्चे को काफी आसानी होगी, पेरेंट्स को इस बात को लेकर मानसिक रूप से तैयार रहना होगा कि ऑटिज्म के शिकार बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य, सामान्य बच्चों की तरह नहीं है। इसलिए उनसे ऐसी उम्मीद रखना गलत है कि वो आपकी बात को मानकर करेंगे या आपके कहने पर थेरिपस्ट के पास चले जाएंगे। इसके अलावा, कई और भी दिक्कतें आ सकती हैं, जैसे कि ऑटिस्टिक बच्चे का स्कूल या स्पीच थेरिपिस्ट का क्लीनिक, एक-दूसरे से काफी दूर होता है, तो ऐसे में यात्रा एक मुद्दा हो सकता है। तो ऐसे में पेरेंट्स को घर बैठे स्पीच थेरिपी या टेलीथेरिपी (Tele Speech Therapy) से स्पीच थेरिपिस्ट का विकल्प चुन सकते हैं। स्पीच थेरेपिस्ट इंटरनेट की सहायता से ऑनलाइन भी कम्युनिकेशन (Online Communication) क्लास दे सकते हैं। पेरेंट्स को यह बात समझना होगा कि सभी ऑटिस्टिक बच्चे एक समान नहीं होते हैं; इसलिए ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech therapy in Autism) के सभी ऑटिस्टिक बच्चाें में अलग-अलग परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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ऑटिजम् बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य समझने के लिए और उनसे कम्यूनिकेशन बढ़ाने के लिए माता-पिता प्रयास करने चाहिए। इसके लिए पेरेंट्स को सरल स्पीच थेरिपी अभ्यासों के बारे में सीखना चाहिए क्योंकि वे बच्चों के साथ अधिक समय बिताते हैं। कई विशेष स्कूल और चिकित्सक अनिवार्य रूप से चिकित्सा सत्रों के दौरान माता-पिता को शामिल करते हैं। क्योंकि माता-पिता दिन-प्रतिदिन की स्थितियों में बच्चे के साथ बातचीत करते हैं। माता-पिता से बेहतर बच्चे को कोई नहीं जानता, वास्तव में, माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक हैं। ऑटिज्म में स्पीच थेरिपी (Speech therapy in Autism) के बारे में अधिक जानकारी के लिए स्पीच थेरिपिस्ट से मिलें।
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