ऑटिज्म रोगियों और उनके सामाजिक व्यवहार को लेकर लोगों में कई तरह की गलत धारणाएं हैं। ऑटिज्म एक तरह का मनोविकार है और ये रोगी के विकास में बाधा पैदा करता है। यहां 10 ऐसे ऑटिज्म फैक्ट्स (Autism facts) बताए गए हैं, जो आपके लिए जानना जरुरी है।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj
ऑटिज्म रोगियों और उनके सामाजिक व्यवहार को लेकर लोगों में कई तरह की गलत धारणाएं हैं। ऑटिज्म एक तरह का मनोविकार है और ये रोगी के विकास में बाधा पैदा करता है। यहां 10 ऐसे ऑटिज्म फैक्ट्स (Autism facts) बताए गए हैं, जो आपके लिए जानना जरुरी है।
अन्य बीमारियों के तरह ऑटिज्म कोई फैलने वाली बीमारी नहीं है। ये व्यक्ति से व्यक्ति तक नहीं फैलती। ये एक ऐसी बीमारी है जो जन्म के बाद शुरुआती सालों में होती है।
ऑटिज्म ऐसी बीमारी है जिसमें बच्चे समाज से दूरी बनाने लगते हैं। लोगों से बातचीत करने में असहज महसूस करते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्ति सामान्य लोगों की तरह अपनी भावनाओं और विचारों को अभिव्यक्त करने में सक्षम नहीं हो सकता है। बच्चा बोलता है लेकिन दोहराता भी है इसलिए यह संवाद अर्थपूर्ण नहीं होता है।
किसी अन्य बच्चे की तरह ही ऑटिज्म पीड़ित बच्चे को भी संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। सिर्फ 5 फीसदी बच्चे जिन्हें सीलियक डिसीज, फूड एलर्जी, डेयरी फ्री डाइट की आवश्यकता हो। उन्हें ही इस बात का ध्यान रखना होता है।
ऑटिज्म फैक्ट्स (Autism facts) : सही थैरेपी, परिवार, शिक्षा और सामाजिक सहयोग ऑटिज्म से ग्रसित बच्चे को संतुष्ट और स्वतंत्र जीवन देता है।
वर्तमान में ऑटिज्म रोगियों के स्वास्थ्य और लक्षणों संबंधी परेशानियों को कुछ ट्रीटमेंट के जरिए कम किया जा सकता है। लेकिन ये व्यक्ति और उसके हालात पर निर्भर करता है।
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ऑटिज्म के कई रोगी ऑटिज्म के लक्षणों से उबरना सीख जाते हैं। वे अपने सामाजिक जीवन में सामान्य व्यवहार, जॉब आदि दैनिक कार्यों में दक्षता भी प्राप्त कर लेते हैं। इसके अलावा वे रिश्ते निभाने, संभालने और शादी करने में भी सक्षम हो जाते हैं।
हर ऑटिज्म के रोगी में अलग-अलग लक्षण होते हैं। इसी वजह से उनकी जरूरतें भी अलग होती हैं ऐसे में उनकी किसी समस्या को कैसे ठीक किया जाए इसका कोई निर्धारित या सही तरीका नहीं है। हर रोगी की जरूरत के हिसाब से यह तय किया जाता है।
ऑटिज्म से ग्रस्त लोगों और बच्चों को कमजोर मानना गलत है, क्योंकि ऑटिस्टिक व्यक्ति आपको अपनी किसी छिपी हुई कला से हैरान कर सकता है। कुछ में म्युजिकल इंस्ट्रयूमेंट बजाने की कला होती है, तो कुछ में कुछ नंबरों को याद रखने की गजब की काबिलीयत होती है। ऐसे में रोगी की इन कलाओं को जानना बेहद जरूरी है।
हम अपने दैनिक जीवन में जो चीजें देखते-सुनते हैं वो जरूरी नहीं कि ऑटिज्म रोगियों के लिए भी सामान्य हों। कॉफी मशीन की आवाज, बल्ब की लाइट और फैन का चलना भी एक ऑटिज्म रोगी को परेशान कर सकता है। ऐसे में रोगी के आसपास मौजूद लोगों को उसके व्यवहार को समझने चाहिए।
ऑटिज्म रोगियों में सबसे बड़ी समस्या है कि वो ठीक तरह से लोगों से बातचीत नहीं कर पाते। फलस्वरूप वो कई जरूरी चीजों में भी अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते फिर चाहे उन्हें भूख लग रही हो या किसी चीज की जरूरत हो। कई बार अगर वे बोल भी पाते हैं तो उसका अर्थ वो नहीं होता, जो वे कहना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें नजरअंदाज न करके उनके आसपास के वातावरण से चीजों को समझना चाहिए।
ये बेहद जरूरी है कि ऑटिज्म रोगी से बेहद सरल भाषा और वाक्यों में बात की जाए। उदाहरण के तौर पर वे आपकी बात नहीं समझ पाएंगे अगर आप दूर से या फोन पर कुछ कह रहे हों। ऐसे में फेस-टू-फेस बातचीत मदद करती है। इसके अलावा उन्हें कठिन भाषा और मुहावरे समझ नहीं आते।
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ऑटिज्म रोगियों को सिर्फ कह देना कि उन्हें क्या करना है, काफी नहीं। उन्हें दिखाया भी जाना चाहिए कि उन्हें क्या करना है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे सुनने से ज्यादा देखी हुई चीज को याद रखते हैं। इससे उन्हें आसानी होती है।
ऑटिज्म ग्रस्त बच्चे बाकी बच्चे और समाज में लोगों से बातचीत करने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें यह ठीक नहीं लगता। वे कुछ सिंपल और सिखाए गए खेल खेल पाते हैं। ऐसे में उनहें बाकी बच्चों से बातचीत करना और समाज में घुल-मिलना सिखाया जाना चाहिए।
ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है जिसके लक्षण बचपन से ही नजर आने लग जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास तुलनात्मक रूप से धीरे होता है। ये जन्म से लेकर तीन वर्ष की आयु तक विकसित होने वाला रोग है जो सामान्य रूप से बच्चे के मानसिक विकास को रोक देता है। ऐसे बच्चे समाज में घुलने-मिलने में हिचकते हैं, वे प्रतिक्रिया देने में काफी समय लेते हैं और कुछ में ये बीमारी डर के रूप में दिखाई देती है।
हालांकि ऑटिज्म के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है लेकिन ऐसा माना जाता है कि ऐसा सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचने के कारण होता है। कई बार गर्भावस्था के दौरान खानपान सही न होने की वजह से भी बच्चे को ऑटिज्म का खतरा हो सकता है। ऑटिज्म फैक्ट्स (Autism facts) जानने के बाद ऑटिज्म के लक्षण जान लीजिए।
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इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अपने आप में ही गुम रहते हैं वे किसी एक ही चीज को लेकर खोए रहते हैं।
ऑटिज्म फैक्ट्स (Autism facts) से आप समझ गए होंगे कि यह बीमारी कैसी है। ऑटिज्म की समस्या से राहत पाने के लिए बिहेवियरल मैनेजमेंट पर जोर दिया जाता है। यानी पेशेंट का इलाज कुछ थेरेपी की सहायता से करने की कोशिश की जाती है। चुंकि ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति या बच्चे का व्यवहार अन्य लोगों की तरह नहीं होता है, इसलिए कुछ थेरिपी की मदद से उनके व्यवहार को सुधारने का प्रयास किया जाता है। थेरिपी विभिन्न प्रकार की होती हैं और इसे बचपन से ही शुरू कर दिया जाता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको ऑटिज्म फैक्ट्स (Autism facts) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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