किसी भी बच्चे का ऑटिज्म से प्रभावित होना जीवन भर उसके परिवार के लिए चिंता का विषय बन जाता है। ऑटिस्टिक बच्चे (Autistic kids) पर शारीरिक और मानसिक ही नहीं बल्कि सामाजिक रूप से भी गहरा असर पड़ता है। अक्सर देखा गया है कि बच्चे अपनी ही धुन में रहते हैं और दुनिया से कटे हुए रहते हैं। आईक्यू कमजोर होने की वजह से ये आम बातों को भी नहीं समझ पाते हैं। हालांकि कई बार ये बच्चे किसी एक क्षेत्र में जैसे की मैथमेटिक्स, चित्रकारी (Drawing) या फिर कला में खास कुशलता रखते हैं। इस कुशलता को और निखार कर हम इन्हें जीने का मकसद दे सकते हैं। इस आर्टिकल में आप ऑटिज्म से जुड़ी रोचक जानकारी (Autism facts) प्राप्त करेंगे और इससे जानेंगे कि कैसे इससे लोगों की मदद भी कर सकते हैं।
और पढ़ें : डब्ल्यू-सिटिंग : कुछ ऐसे छुड़ाएं बच्चे की इस पोजीशन में बैठने की आदत को!
ऑटिज्म से जुड़ी रोचक जानकारी के पहले जानें ऑटिज्म का कारण क्या है?
मस्तिष्क में न्यूरोलॉजिकल खराबी (Neurological Disorder) होने पर ऑटिज्म होता है। ऑटिज्म से प्रभावित होने पर इंटेलिजेंस कोशंट (Intelligence Quotient) में कमी आती है और बच्चा आम बातों को समझने में सक्षम नहीं होता। इसके साथ ही बच्चे का बर्ताव भी आम बच्चों से अलग होगा। ऐसे बच्चे अधिक जिद्दी (Sturban child), गुस्सैल, चिड़चिड़ा (Irritating) और डरा हुआ हो सकता है। किसी को समझ न पाने की स्थिति में ये चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। अगर बच्चे के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए तो बच्चा चीजों को आसानी से समझ जाता है। ऐसे बच्चों को स्पेशल केयर की जरूरत होती है
और पढ़ें : ऑटिज्म का इलाज है संभव इन 13 थेरेपी से
ऑटिज्म के लक्षण क्या हो सकते हैं? (Symptoms of Autism)
कुछ बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण शुरुआती सालों में (0 -1 वर्ष ) या फिर दो से तीन वर्ष की उम्र तक दिख सकते हैं। क्रम अनुसार लक्षणों की शुरुआत कुछ इस प्रकार होगी।
बढ़ते बच्चे में ऑटिज्म के लक्षण (Autism in growing kids)
छठे महीने में दिखने वाले आटिज्म के लक्षण
- स्वाभाविक रूप से होने वाली चीजे जैसे की हंसना (Laugh) या फिर बोलने के संकेत न दिखना।
- बच्चे का चुप -चुप रहना और किसी से नजरें न मिला पाना।
नौवें महीने में दिखने वाले ऑटिज्म के लक्षण
- स्वाभाविक रूप से दिखने वाली चुलबुलाहट और भावनात्मक बदलाव नहीं दिखेंगे।
12 महीने में बच्चे के ऑटिस्टिक होने के लक्षण
- अजीब तरह से बोलने की कोशिश करना।
- नाम बुलाने पर भी कोई प्रतिक्रिया न देना।
और पढ़ें : शिशु में हिमोरॉइड्स : क्या अपने बच्चे को बचाया जा सकता है इस गंभीर स्थिति से?
16 महीने में बच्चे के ऑटिस्टिक होने के लक्षण
- बच्चे का साफ तरीके से अपने आप को व्यक्त न कर पाना।
- बोलने में परेशानी होना।
24 महीने में बच्चे में दिखने वाले ऑटिस्टिक लक्षण
- कुछ ही शब्दों को बार-बार बोलना।
और पढ़ें : कॉलेस्ट्रॉल का बढ़ना या घटना क्या शरीर के लिए होता है नुकसानदायक?
जीवन भर रहने वाले ऑटिस्टिक लक्षण
- हकलाना और किसी भी चीज को व्यक्त करने में परेशानी होना।
- नजरें न मिला पाना।
- ज्यादातर अकेले रहने की कोशिश करना।
- लोगों की भावनाओं और बातों को न समझ पाना।
- शब्दों के उच्चारण में परेशानी होना और बार -बार किसी शब्द को दोहराना।
- अपने में खोए रहना बाहर की दुनिया से ज्यादा संबंध न रखना।
- किसी आवाज, रोशनी या रंग के प्रति अजीब प्रतिक्रिया लगाव या भय होना।
इनमें से किसी भी लक्षण के दिखने पर डॉक्टर से जरूर मिलें। इससे आपको अपने बच्चे को संभालने में सहायता मिलेगी।
और पढ़ें : ऑटिज्म की समस्या को दूर करने के लिए 5 प्रभावी दवाईयां
ऑटिज्म को नियंत्रित कैसे किया जा सकता है?
- अगर आपके बच्चे को किसी भी चीज से डर लगता है तो उसे उन चीजों से दूर रखें।
- समय-समय पर डॉक्टर से जांच करवाएं और रिपोर्ट्स संभाल कर रखें।
- साइकोथेरिपी की मदद से उसके अशांत स्वभाव के कारण को समझने की कोशिश करें।
- उसकी रूचि के क्षेत्र को पहचाने और उसे बढ़ावा दें।
- उसके खानपान का ख्याल रखें।
- परिवार में सभी को उसके साथ आम बच्चों जैसा ही व्यवहार करने को कहें।
- अगर बच्चा कम उम्र का है तो कोशिश करें कि उसे अकेले न छोड़े।
और पढ़ें : शिशु को ग्राइप वॉटर देते वक्त रहें सतर्क,जितने फायदे उतने नुकसान
ऑटिज्म से जुड़ी सच्ची कहानियां
आइए जानें किन महान हस्तियों ने ऑटिज्म से पीड़ित होने के बाद भी दुनिया में अपनी पहचान बनाई और सफल हुए।
ऑटिज्म से जुड़ी रोचक जानकारी: अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein)
विज्ञान के क्षेत्र में तहलका मचाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन भी अस्पेर्गेर सिंड्रोम (जो कि ऑटिज्म जैसी ही स्थिति है ) से पीड़ित थे। सुनी सुनाई कहानी के आधार पर ये कहा जाता है कि आइंस्टीन ने बीच में ही अपनी स्कूली शिक्षा छोड़ दी थी। ये माना जाता है कि वे जटिल समस्याओं में उलझे रहते थे जिसकी वजह से उनके घर वाले भी उन्हें नहीं समझ पाते थे। बाहरी दुनिया से भले ही वे कटे रहते थे लेकिन उनकी विज्ञान में खास रूचि थी।
ऑटिज्म से जुड़ी रोचक जानकारी: आइसक न्यूटन (Isaac Newton)
गलती से ही सही लेकिन गिरते हुए सेब को जमीन की तरफ खींचने पर मजबूर कर देने वाली ग्रेविटी का पता लगाने वाले न्यूटन भी सामाजिक तौर पर सहज महसूस नहीं करते थे।
ऑटिज्म से जुड़ी रोचक जानकारी: चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin)
मॉडर्न जीव विज्ञान (Biology ) का आधार देने वाले चार्ल्स डार्विन भी आटिज्म से पीड़ित थे। शायद यही कारण था कि वे चीजों को सामान्य से जरा हटकर देख पाए। ऑटिज्म से जुड़ी रोचक जानकारी में आपको उपरोक्त जानकारियां प्रेरणादायक लगी होंगी। आपको इस बात का विश्वास तो हो गया होगा कि ऑटिज्म होने बावजूद भी बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है।
हर ऑटिस्टिक बच्चा दूसरे से अलग होता है इसलिए बच्चे की स्थिति के अनुसार सही इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह लें। ऑटिज्म के विषय में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
ऑटिज्म पीड़ित बच्चों की स्ट्रेंथ और एबिलिटी
अगर आपको इस बात का दुख है कि ऑटिज्म (Autism) से पीड़ित बच्चे ज्यादा आगे बढ़ नहीं पाते हैं तो आपको हम बताते चले कि ऐसा नहीं है। हां ये जरूरी है कि उनके काम करने का ढंग अलग होता है या फिर उन्हें किसी भी चीज को समझने के लिए थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है, लेकिन उनकी स्ट्रेंथ और एबिलिटी वाकई बहुत होती है। इस बात की जानकारी कम ही लोगों को होती है, लेकिन ये बात सच है। आप भी जानिए कि आखिर ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में क्या खास स्ट्रेंथ होती है,
- ऐसे बच्चे कम उम्र में पढ़ना सीख सकते हैं।
- ऑटिस्टिक लोगों की मेमोरी और लर्निंग (Learning) भी स्ट्रॉन्ग होती है।
- ऐसे लोग सोचते समय या सीखते समय एक दृश्य या विजुअल का दिमाग में बना लेते हैं, जिससे उन्हें समझने या सीखने में आसानी होती है।
- ऑटिज्म से पीड़ित लोगों में लॉजिकल थिंकिंग एबिलिटी (Thinking ability) होती है।
- ऐसे लोग तथ्यों को लंबे समय तक याद रखते हैं। भले ही सामान्य लोग कुछ बातों को एक समय बाद भूल जाते हैं, लेकिन ऐसा ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के साथ नहीं होता है।
- ऑटिस्टिक लोगों पर विश्वासनीय और ईमानदार होते हैं। अक्सर लोगों के मन में ये शंका होती है कि ऐसे लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए, जो कि एक गलत धारणा है।
- ऑटिस्टिक लोग शेड्यूल और रूटीन को लेकर ऐसे लोग सजग रहते हैं।
- ऐसे लोग अल्टरनेट प्रॉब्लम को सॉल्व करने में माहिर होते हैं।
- ऑटिस्टिक लोग लंबे समय तक ध्यान को केंद्रित करने में भी सक्षम होते हैं।
- ऑटिस्टिक लोग (Autistic people) आपको निराश करेंगे, अगर आप ऐसा सोचते हैं तो वाकई ये गलत है, क्योंकि ऐसे लोग आपको अपनी एबिलिटी से दंग भी कर सकते हैं। जिस तरह से सभी सामान्य लोग तेज दिमाग के नहीं होते हैं, ठीक उसी तरह से ऑटिज्म से पीड़ित सभी लोग एक जैसा व्यवहार करें, ये भी जरूरी नहीं है।
आशा करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको ऑटिज्म से जुड़ी रोचक जानकारी (Interesting facts about Autism) मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। आपके सभी सवालों के जवाब हम कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। ऑटिज्म के दौरान बच्चों के साथ किए जाने वाले व्यवहार के बारे में अगर आपको अधिक जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि आप एक बार डॉक्टर से इस बारे में जरूर पूछें क्योंकि सभी बच्चों का व्यवहार अलग हो सकता है और उनको संभालने का तरीका भी अलग हो सकता है। आप चाहे तो इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ऐसे परिवार में भी संपर्क कर सकते हैं जहां इस बीमारी से पीड़ित लोग हैं या फिर कोई ऐसा ग्रुप या संस्था चलाई जा रही हो।
[embed-health-tool-vaccination-tool]