‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ (Good touch and bad touch) में सामने वाले के सिर्फ नीयत का अंतर होता है। ‘टच’ सिर्फ मकसद से गुड या बैड बन जाता है। एक शख्स आपके बच्चों को किस नीयत से छू रहा है, किस तरीके से छू रहा है.. इस से पता चल जाता है कि वह ‘गुड टच’ है या ‘बैड टच’, लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी यह भी है कि हम अपने बच्चों के साथ खुल कर बात करने की आदत डालें। ताकि बच्चे अगर इस तरह की घटना से जूझ रहे हों तो डरने की बजाए बेझिझक आपसे बताएं।
साल 2017 में गुडगांव के एक बड़े स्कूल में एक छात्र के साथ हुई सेक्शुअल हरासमेंट और फिर बेदर्दी से की गई उसकी हत्या ने पूरे देश को चौंका दिया था। उसके बाद मीडिया से लेकर हर जगह इस पर बहस होती रही कि जब बच्चे स्कूल में ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आखिर कहां और कैसे उन्हें सुरक्षित समझा जाए? इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। हो सकता है वह हमारी आंखों के सामने भी सुरक्षित न हों, लेकिन हम उन्हें बहुत हद तक इन घटनाओं से बचा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले हमे अपने बच्चों को ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के बारे में बताना होगा।