backup og meta

Cry It Out Method Of Sleep Training: जानिए स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड के फायदे और नुकसान!

Cry It Out Method Of Sleep Training: जानिए स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड के फायदे और नुकसान!

अक्सर प्रेग्नेंसी के दौरान प्रेग्नेंट लेडी को सब यही कहते हैं की अच्छी नींद लो क्योंकि बेबी के जन्म के बाद आपको आराम से सोने का वक्त ही नहीं मिलेगा! अब नवजात शिशु अगर बार-बार जागे तो ऐसे में पेरेंट्स क्या करें? अब इसी उलझन को सुलझाने के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method) से जुड़ी जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे। तो चलिए जानते हैं स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method Of Sleep Training) और स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड कैसे काम करती है। 

  • स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड क्या है?
  • स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड कैसे काम करती है?  
  • क्राई इट आउट मेथड के लिए टिप्स क्या है?
  • स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड कब से शुरू करना चाहिए?
  • स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड के फायदे क्या हैं?
  • स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड के नुकसान क्या हैं?

चलिए अब  बेबी स्लीप ट्रेनिंग (Baby sleep training) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।    

और पढ़ें : रमजान का महीना जानें प्रेग्नेंसी में उपवास या रोजा कैसे करें?

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method Of Sleep Training) क्या है?

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method Of Sleep Training)

क्राई इट आउट (CIO) को कंट्रोल्ड क्राईंग (Controlled crying) भी कहते हैं। क्राई इट आउट मेथड को अगर सामान्य शब्दों में समझें तो शिशुओं के लिए सोने की ट्रेनिंग और इस मेथड के दौरान बच्चे को कुछ देर के लिए रोने देना है। क्राई इट आउट यानी सीईओ में कई तरह से बेबी स्लीपिंग ट्रेनिंग प्रोसेस होती है, जिससे समझने में गलती कर शिशु को रोने के लिए पूरी तरह से अकेले ही छोड़ दिया जाता है। इस प्रोसेस को ग्रेजुएट एक्सटिंक्शन कहा जाता है और इस स्लीप ट्रेनिंग को फॉलो करने की सलाह नहीं दी जाती है। ऐसे ही बेबी स्लीप ट्रेनिंग (Baby sleep training) कई अलग-अलग तरह से हैं। 

और पढ़ें : बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का ट्रीटमेंट बन सकता है हायपोग्लाइसेमिया का कारण, ऐसे करें इस कंडिशन को मैनेज

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड कैसे काम करती है?  (How Cry It Out Method works)

क्राई इट आउट मेथड बच्चे की उम्र पर निर्भर करती है। ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ क्राई इट आउट मेथड सभी बच्चों के लिए एक तरह से काम भी करे यह जरूरी नहीं है। स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method Of Sleep Training) शुरू करने से पहले अपने बच्चे के डॉक्टर से जरूर सलाह लें। क्योंकि पीडियाट्रिशियन बेबी के हेल्थ कंडिशन (Health Condition) और एक्टिविटी (Activity) को ध्यान में रखकर सलाह देते हैं।   

क्राई इट आउट मेथड इसलिए अपनाई जाती है, क्योंकि इस मेथड की मदद से बच्चों को खुद से सोने का मौका दिया जाता है, जिससे बच्चे खुद से सोना सीख जाते हैं। दरअसल बच्चों को सोने से पहले उन्हें फीड करवाने के बाद पेरेंट्स उसे झूलने लगते हैं या उन्हें लोरी सुनाने लगते हैं जो बच्चों के सोने पहले समझने लगते हैं। प्रायः बच्चे इसी प्रक्रिया के साथ सोना शुरू करते हैं और यह उनकी आदत बनने लगती है। नवजात बच्चों के लिए तो ऐसा करना जरूरी है, लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगते हैं उन्हें खुद से सोने के लिए पेरेंट्स को तैयार करना चाहिए। ऐसे में अगर बच्चा सोने से पहले अगर 10 से 20 मिनट रोए तो माता-पिता को परेशान नहीं होना चाहिए। कुछ रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार जिन बच्चों को स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method Of Sleep Training) से सोने की आदत लगवाई गई, तो वे बच्चे सोने के दौरान जागने पर खुद से कुछ देर में सोना सीख जाते हैं। बच्चों को स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड के शुरुआती दिनों में थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन ये मेथड बाद में बेहद कारगर होते हैं। इसलिए आर्टिकल में आगे समझेंगे कि क्राई इट आउट मेथड के लिए टिप्स क्या अपनाये जा सकते हैं।

और पढ़ें : Tummy Time: आप बेबी का टमी टाइम इग्नोर तो नहीं कर रहीं? जानिए क्यों है जरूरी टमी टाइम!

क्राई इट आउट मेथड के लिए टिप्स क्या है? (Tips for Cry It Out Method Of Sleep Training)

क्राई इट आउट मेथड के लिए के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो किये जा सकते हैं। जैसे:

  1. बेबी स्लीप ट्रेनिंग (Baby sleep training) अपनाने से पहले स्लीप ट्रेनिंग और टाइप या पैटर्न को समझें। स्लीप ट्रेनिंग हर बच्चों के लिए अलग-अलग होता है। 
  2. कभी-कभी बच्चे सोने से पहले भूख लगने, किसी तरह के दर्द या डायपर गिला होने के वजह से तो नहीं हो रहा है। क्योंकि ऐसी स्थिति में बच्चे रोते रहेंगे और सो नहीं पाएंगे। 
  3. स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड या किसी भी बेबी स्लीप ट्रेनिंग (Baby sleep training) को शिशु के 6 महीने के होने के बाद ही फॉलो करें। 
  4. अगर शिशु किसी हेल्थ कंडिशन से पीड़ित हो या बुखार, सर्दी-जुकाम जैसी तकलीफों से परेशान हो, तो उन्हें स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड से दूर रखें। 
  5. बेबी स्लीप ट्रेनिंग या बेबी स्लीप पैटर्न को अपनाने में वक्त लग सकता है। इसलिए परेशान ना हों।

इन पांच बातों को ध्यान में रखकर स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method Of Sleep Training) शुरू करें। 

और पढ़ें : Babies Sleep: शिशु की रात की नींद टूटने के कारण और रात भर शिशु सोना कब कर सकता है शुरू?

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड कब से शुरू करना चाहिए? (When to start Cry It Out Method Of Sleep Training)

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method Of Sleep Training)

कुछ रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार शिशु के 6 महीने के होने पर स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड की शुरुआत की जा सकती है। वैसे अगर आप चाहें तो शिशु के 3 से 4 महीने के शिशु के साथ शुरू की जा सकती है और इस दौरान टाइम ड्यूरेशन कम रखना चाहिए जैसे 3 से 5 मिनट। कुछ केसेस में स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड शिशु के वजन को भी ध्यान में रखकर फॉलो करने की सलाह दी जाती है। 

और पढ़ें : 5-Month-Old & Sleep Schedule: 5 महीने के शिशु का स्लीप शेड्यूल कैसा होना चाहिए?

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड के फायदे क्या हैं? (Benefits of Cry It Out Method Of Sleep Training)

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड के फायदे निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे: 

  • शिशु रहता है स्ट्रेस फ्री- स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड अपनाने से शिशु में स्ट्रेस हॉर्मोन लेवल में कमी देखी गई है और तनाव ना होने की वजह से शिशु को अच्छी नींद आती है। 
  • पेरेंट्स में भी तनाव होता है कम- शिशु के रात के वक्त बार-बार जागने और उनके साथ पेरेंट्स के भी जागने पर उनमें भी कम सोने या नींद पूरी ना होने की स्थिति में तनाव बढ़ता है। वहीं अगर शिशु अच्छी तरह सोता है, तो माता-पिता को भी कम तनाव होता है।  
  • बेबी जल्द सो जाता है- स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड की सहायता से बच्चे 15 मिनट में सो जाते हैं। अगर शिशु कुछ खुद से सोने लगे तो यह उनके विकास में अत्यधिक सहायक होता है। 

नोट: अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (American Academy of Pediatrics) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार क्राई इट आउट मेथड स्लीप ट्रेनिंग (Cry It Out Method Of Sleep Training) बच्चों के लिए सुरक्षित मानी गई है और इस बेबी स्लीप ट्रेनिंग को पेरेंट्स और फिजिशियन को फॉलो करने की सलाह भी दी है। हालांकि अगर ध्यान ना दिया जाए, तो क्राई इट आउट मेथड की वजह से नुकसान भी हो सकते हैं।   

और पढ़ें : Low Amniotic Fluid During Pregnancy: प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना क्या दर्शाता है?

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड के नुकसान क्या हैं? (Side effects of Cry It Out Method Of Sleep Training)

नैशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बच्चे अपनी मां से सबसे ज्यादा अटैच होते हैं और अगर रात के वक्त शिशु को ज्यादा देर तक अकेले अंधेरे कमरे में रोता हुआ छोड़ दिया जाए तो यह शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड को ठीक तरह से फॉलो करना जरूरी है। अगर बेबी स्लीप पैटर्न को इग्नोर किया जाए, तो शिशु में निम्नलिखित परेशानी देखी जा सकती है। जैसे:  

  • शिशु में हाइपरसेंसिटिविटी (Hypersensitivity) की समस्या देखी जा सकती है। 
  • बच्चों में ज्यादा रोने की वजह से स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल लेवल (Cortisol Level) बढ़ सकता है। 
  • शिशु माता-पिता से अलग महसूस कर सकता है। 
  • सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden Infant Death Syndrome) का खतरा बढ़ सकता है। 

इन परेशानियों के अलावा और भी अन्य शारीरिक परेशानी या मानसिक परेशानी देखी जा सकती है। 

स्लीप ट्रेनिंग के लिए क्राई इट आउट मेथड (Cry It Out Method Of Sleep Training) सभी बच्चे या पेरेंट्स के लिए सही हो यह जरूरी नहीं है। इसलिए अगर आप अपने बेबी के लिए क्राई इट आउट मेथड फॉलो करना चाहते हैं, तो डॉक्टर से कंसल्ट करें। डॉक्टर बच्चे के सेहत को अच्छी तरह मॉनिटर कर बेबी के लिए क्राई इट आउट मेथड फॉलो बेहतर होगा या नहीं इसकी सलाह देते हैं। वहीं अगर आप बेबी के लिए क्राई इट आउट मेथड फॉलो कर रहें, तो इसकी जानकारी भी डॉक्टर को जरूर दें। 

प्रेग्नेंसी के अलग-अलग स्टेज और ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए नीचे दिए वीडियो लिंक पर क्लिक करें और एक्क्सपर्ट दिव्या देशवाल से समझें कैसे प्रेग्नेंसी पीरियड 🤰🏻को हेल्दी बनाया जा सकता है और ब्रेस्फीडिंग 🤱🏻 को आसान। 👇

[embed-health-tool-vaccination-tool]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Discussion of Extinction-Based Behavioral Sleep Interventions for Young Children and Reasons Why Parents May Find Them Difficult/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5078709/Accessed on 22/02/2022

From Safe Sleep to Healthy Sleep: A Systemic Perspective on Sleep In the First Year/
https://depts.washington.edu/nwbfch/infant-safe-sleep-development/Accessed on 22/02/2022

Behavioral Interventions for Infant Sleep Problems: A Randomized Controlled Trial/https://publications.aap.org/pediatrics/article-abstract/137/6/e20151486/52401/Behavioral-Interventions-for-Infant-Sleep-Problems?redirectedFrom=fulltext/Accessed on 22/02/2022

Nighttime maternal responsiveness and infant attachment at one year/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3422632/Accessed on 22/02/2022

Helping baby sleep through the night/
https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/infant-and-toddler-health/in-depth/baby-sleep/art-20045014/Accessed on 22/02/2022

Current Version

22/02/2022

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


संबंधित पोस्ट

फीटल बोन स्केलेटन सिस्टम: जानिए, कैसे होता है गर्भ में शिशु की हड्डियों का विकास

शिशु के साथ को-स्लीपिंग के क्या हो सकते हैं फायदे?


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/02/2022

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement