विकास और व्यवहार
शिशु का विकास कैसा होना चाहिए?
इस चरण में 30 सप्ताह के शिशु के अंदर समझ विकसित होने लगती है और वे बातों को समझते भी हैं। इसलिए आप उन्हें अच्छी आदत सिखाएं। कई बच्चे सामान फेंकते हैं, मारते हैं या बाल खींचने जैसी हरकते करते हैं। आप उन्हें समझाएं कि फोन, खिलौना या कोई भी समान फेंकते नहीं है और ऐसा करने पर किसी को चोट भी लग सकती है। इसके अलावा, आप ये भी समझाएं कि किसी के उपर हाथ नहीं उठाना चाहिए। इन सब बातों के साथ आपको एक बात का और खास ध्यान रखना होगा कि आप बच्चे को प्यार से समझाएं। उन्हें डाटें या मारें नहीं, नहीं तो बच्चा इससे जिद्दी हो सकता है।
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30 सप्ताह का शिशु ये सब करने लगेगा:
- बिना किसी सहारे के खुद से बैठने लगेगा
- जब आप उन्हें खड़ा करें तो थोड़ा सा सहारा जरूर दें
- आप उनके खिलौने लेंगे तो वे आपसे उसे वापस मांगेंगे
- अपना खिलौना खुद लेना पसंद करेंगे
- गिरी हुई चीजें खुद ढूढेंगे
- उंगलियों का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे
- जहां से आवाज आएगी उस तरफ मुड़ेंगे
- लुका छुपी खेलेंगे
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30 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
30 सप्ताह के शिशु की देखभाल करते वक्त यह बात जान लीजिए कि वह आपकी कही हुई हर बात को याद नहीं रख सकता है और न ही पूरी तरह से उसका मतलब समझ सकता है। इसलिए उसे कुछ भी समझाने के लिए सरल भाषा का इस्तेमाल करें, जैसे कि किसी काम को करने के लिए आपको उसे मना करना है, तो आप “नहीं’ या “नो ‘ शब्द बोलें और इशारे से समझाएं। इससे आप जब भी नहीं शब्द बोलेंगी तो शिशु समझ जाएगा कि उसे ये काम नहीं करना है।
स्वास्थ्य और सुरक्षा
30 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए मुझे डॉक्टर से क्या बात करनी चाहिए?
ज्यादातर डॉक्टर्स इस महीने में आपको चेकअप के लिए नहीं बुलाएंगे। इसका यह मतलब हो सकता है कि आपका बच्चा एकदम फिट है, लेकिन आपको बच्चे के स्वास्थ्य में कोई परेशानी लग रही है तो आप तुरंत डॉक्टर से मिलें।
30 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए मुझे किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
एनीमिया (Anemia)
एनीमिया में शरीर में रेड ब्लड सेल्स कम होने लगते हैं, जिसकी वजह से शरीर में हीमोग्लोबिन की भी मात्रा भी कम हो जाती है। इस समस्या का कारण शरीर में आयरन की कमी और खून का ज्यादा बह जाना आदि हो सकता है। समय से पहले जन्में बच्चों में भी एनीमिया की दिक्कत होती है। पहले छह महीनों में ही उनके बॉडी का आयरन लेवल कम हो जाता है और उन्हें सप्लिमेंट्स देने पड़ते हैं। इसलिए डॉक्टर हमेशा बच्चों का समय-समय पर हीमोग्लोबिन का लेवल चेक करते हैं।
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एनीमिया के लक्षण थकान, बेचैनी, पीली त्वचा और सांस लेने में दिक्कत आदि हो सकते हैं। यह सभी लक्षण बच्चे को कमजोर बना देते हैं। अगर ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट में आयरन की मात्रा बहुत कम आती है तो डॉक्टर अक्सर बच्चे की डायट में बदलाव की सलाह और साथ में कुछ सप्लिमेंट भी देते हैं। ध्यान रहे कि हमेशा वही सप्लिमेंट्स अपने बच्चे को दें, जो डॉक्टर लिखकर दे। ज्यादा मात्रा में आयरन भी बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। आप अपने बच्चे को एनीमिया से बचा सकते हैं, इसके लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखें।
- समय-समय पर बच्चे के हीमोग्लोबिन की जांच करवाते रहें।
- जितना हो सके बच्चे को स्तनपान करवाएं, क्योंकि मां के दूध से बच्चे को पर्याप्त आयरन की मात्रा प्राप्त होती है।
- एक साल के पहले गाय का दूध बच्चे को न पिलाएं। गाय के दूध में आयरन की मात्रा कम पाई जाती है।
- बच्चे का अगर आयरन लेवल कम है तो आप उन्हें बींस, पालक,अंडे का पीला भाग,मीट या मच्छी जैसे खाद्य पदार्थ उनकी डायट में शामिल करें।
- आपके बच्चे को विटामिन सी से भरपूर चीजे जैसे कि पपीता, ब्रोकली, स्ट्रॉबेरीज और संतरा खिलाएं, क्योंकि ये सभी भी आयरन के अच्छे स्रोत हैं।
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30 सप्ताह के शिशु की देखभाल: बच्चों को दें हेल्दी स्नैक्स
आप बच्चों को स्नैक्स खाने दें। कुछ माताओं को लगता है कि बच्चे के स्नैक्स खाना सही नहीं होता है, लेकिन, ऐसा नहीं है, बस कम मात्रा में दें। ध्यान रहे कि आप हेल्दी स्नैक्स ही चुनें। स्नैक्स में भी उन्हें कई तरह के आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। स्नैक्स आप उन्हें नाश्ते या शाम के समय दें, खाने के समय न दें। स्नैक्स बच्चो को पसंद भी होते हैं और बिना नाटक किए हुए वे खा भी लेते हैं।
महत्वपूर्ण बातें
30 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए मुझे किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
बच्चे कुछ अलग हरकते करते हैं:
बहुत बार ऐसा भी होता है कि आप अपने बच्चे के व्यवहार में बदलाव भी महसूस कर पाएंगे, जैसे कि जब वे आपके साथ रहता होगा तो काफी खुश होता होगा, लेकिन जब आप उसे केयर टेकर के सहारे छोड़कर जाते होंगे तो उसके व्यवहार में आपको वो खुशी देखने को नहीं मिलती होगी। ऐसा इसलिए होता है कि बच्चा आपके साथ कंफर्टेबल महसूस करता है और उसे आपके साथ रहना पसंद होता है। आपके साथ उन्हें खेलना और मस्ती करना भी अच्छा लगता है। जब बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है या रोने लगता है तो इसका मतलब है कि उसे भूख लग गई है।
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बच्चे को गोद में न लेकर रखें। ऐसे वो खुद से खेलना नहीं सिखेगा। उन्हें एक बार आदत हो गई गोद में रहने की तो वो आसानी से नहीं हटेगी। कई बार वह बिना किसी वजह से रोने लगेंगे। यह इस बात का इशारा होगा कि आप उन्हें गोद में लें, लेकिन आप उन्हें उनके खिलौने देकर ध्यान हटाने की कोशिश करें। ऐसा भी हो सकता है उन्हें भूख लगी हो तो एक बार यह देखें कि कहीं उन्हें भूख तो नहीं लगी। कई बार उन्हें डायपर परेशान कर सकता है।
30 सप्ताह के शिशु की देखभाल में बच्चे को किसी प्रकार की दिक्कत तो नहीं है इस बात का पता लगाने के लिए आप कुछ चीजें कर सकते हैं, जैसे कि
- आप घर जाने से पहले केयर टेकर से कहकर बच्चे को अपने सामने ही कुछ खिलवा दें। इससे वे आराम से खाना खा लेगा और दिनभर आराम से खेलेगा भी।
- आपको कुछ रिलैक्स करने वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए,ताकि आप बच्चे की हरकतों से चिड़चिड़े न हो जाएं।
- 30 सप्ताह के शिशु की देखभाल में ध्यान दें कि बच्चे को साथ में बैठा लें और उससे बात करें। जितना समय वे आपके साथ रहेगा, उसे अच्छा लगेगा।
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अगर आप 30 सप्ताह के शिशु के विकास या उनके पालन-पोषण से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इस लेख से जुड़ा यदि आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
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