विकास और व्यवहार
36 हफ्ते के बच्चे का विकास कैसा होना चाहिए?
36 हफ्ते के बच्चे में काफी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस उम्र के आस -पास परिचित और अजनबियों में फर्फ करना शुरू कर देते हैं। आप यह देखकर चौंक सकते हैं कि आपका तीन चार महीने के बच्चा जो सभी के साथ अच्छे से प्रतिक्रिया देता और सहज महसूस करता था वह अब अजनबियों के सामने डरा हुआ महसूस कर सकता है। इसके अलावा आपका 36 हफ्ते का बच्चा इस उम्र में कई नई चीजें करना शुरू कर सकता है। जैसें:
- तालियां बजाना सीख सकता है, बाय-बाय कहने के लिए हाथ हिला सकता है|
- 36 हफ्ते के बच्चे फर्नीचर के सहारे चलने की कोशिश कर सकते हैं
- शिशु अब सहारे के बिना खड़ा होना सीख चूका है
- 36 हफ्ते के बच्चे “नहीं’ का मतलब तो जान चूके होते हैं पर हमेशा आपकी न का पालन नहीं करते हैं
अपने 36 हफ्ते के बच्चे को सहारा कैसे दें?
अब जबकि आप के बच्चे ने थोड़ा-बहुत चलना शुरू कर दिया है आप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि कहीं उसे जूतों की जरूरत तो नहीं! कई बच्चों के डॉक्टर्स का मनना है कि अपने बच्चे को जूते तभी पहनाना शुरू करें जब वह घर के बाहर फुर्ती से दौड़ने लगे, उससे पहले जूतों की कोई खास जरूरत नहीं होती है।
नंगे पांव चलने से पितरों में मजबूती आती है और जमीन महसूस करके चलने से उनका संतुलन बना रहता है। आप अपने बच्चे को चलने में उंगली पकड़ा कर मदद कर सकते हैं। लड़खड़ा कर चलने वाले बच्चों को इससे काफी सहायता मिलती है।
शुरू में दरवाजे पर रुकावटें लगा दें, जिससे बच्चा बाहर न जा सके। इसके अलावा आप सफाई की सभी चीजें और जहरीली चीजें बच्चे की पहुंच से दूर ऊपर कहीं रख दें। बच्चे का क्रीब या पालना भी बहुत ऊंचा न हो, बच्चे के ऊंचाई से गिरने का खतरा हो सकता है।
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Health and safety
मुझे डॉक्टर से अपने 36 हफ्ते के बच्चे के बारे में क्या बात करनी चाहिए?
ज्यादातर डॉक्टर 36 हफ्ते के बच्चे को किसी रुटिन चेक-अप के लिए नहीं बुलाते हैं। यह एक अच्छा आईडिया है क्योंकि इस उम्र में बच्चे डॉक्टर के पास जाना बिलकुल पसंद नहीं करते। अगर ऐसी कोई बात हो जिसमें अगले महीने के चेक-अप का इंतजार किए बिना फौरन डॉक्टर के पास जाना जरुरी हो तो जरूर जाएं|
इन बातों की जानकारी रखें:
बच्चों का टकराना
बच्चों की टक्कर होना आम बात है। अगर आपके बच्चे का सिर बहुत बुरी तरह टकरा गया हो, तो बहुत ज्यादा रिएक्ट करने के बजाय उससे तसल्ली देने की कोशिश करें। अक्सर यह चोट मामूली होती है, जो कुछ देर बर्फ से सिकाई के बाद नॉर्मल हो जाती है। बच्चे को खाने या पीने के लिए कुछ देने या खिलौना दे कर बहलाने की कोशिश करें ताकि वह बर्फ लगाने में परेशान न करे।
वहीं अगर चोट लगने पर आपका बच्चा बेहोश हो जाए या सांस न ले रहा हो, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा अगर लंबे समय तक रो रहा हो, उलटी-चक्कर के लक्षण सामने आ रहे हों या बहुत ज्यादा सुस्त हो गया हो, इन स्तिथियों में भी फौरन डॉक्टर के पास जाना जरुरी होगा।
चोट लगने के कारण आप बच्चे के सिर, कान के पीछे या सिर के तालू पर कट देख सकते हो जिसमें से खून बह रहा हो। इसके अलावा काले-नीले धब्बे, आंखों की पुतलियों में खून या मुंह, नाक या कान से खून निकलता हुआ देख सकते हैं।
आप बच्चों को टक्कर या चोट लगने से बचाने के लिए यह सावधानियां बरत सकते हैं:
- लाइट के लैम्प्स जो हिलते हैं और आसानी से गिर सकते हैं, बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
- बच्चे फर्नीचर पर हरकत कर रहे हों तो उनपर खास ध्यान रखें।
- फर्नीचर के कोनों पर सेफ्टी पैड्स लगा लें।
- अपने बच्चे पर हर समय कड़ी नजर रखें ताकि वह गिर कर अपने आप को चोट न पहुंचा दे।
36 हफ्ते के बच्चे के लिए क्रिब :
बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, कई नए खतरे सामने आने लगते हैं। क्रिब आपके नन्हें बच्चे को सुरक्षा प्रदान कर सकता है| कुछ बच्चे कभी क्रिब से बाहर निकलने की कोशिश ही नहीं करते जबकि कुछ हमेशा बाहर निकलने के बहाने खोजते रहते हैं। ऐसे में यह सावधानियां बरतें:
- गद्दा जितना हो सके उतना नीचे रखें, आस-पास की सलाखों पर ध्यान दें कि वह कहीं ढीली तो नहीं हो गई हैं|
- चोट लगने के सभी कारण हटा दें|
- बड़े-बड़े खिलौने क्रिब में डालने से परहेज करें वरना उनकी मदद से बच्चा बाहर निकलने की कोशिश कर सकता है|
- बच्चे के आस-पास से मोबाइल फोन हटा दें|
- बच्चों के लिए तकिया इस्तेमाल न करें|
- क्रिब के नीचे जमीन पर कम्बल रख दें जिससे बच्चा अगर कूदेगा तब भी उसे गंभीर चोट नहीं लगेगी|
- बच्चे की हाइट 90 सेंटीमीटर होने के बाद बेड बदल लें|
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किन बातो का रखे ख़याल
36 हफ्ते के बच्चे दाएं या बाएं हाथ का इस्तेमाल करते हों तो:
अक्सर माता-पिता इस बात से चिंतित रहते हैं कि उनका बच्चा हर काम में बाएं हाथ का इस्तेमाल करता है जिस आदत को छुड़ाने के लिए वह बहुत कोशिश में लगे रहते हैं| एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस तरह का प्रेशर बच्चों के सीखने के विकास में बाधा डाल सकती है| बच्चों का किसी एक हाथ का ज्यादा इस्तेमाल करना प्रकृतिक होता है और यह दिमाग के दाएं या बाएं हेमिस्फीयर के विकास पर निर्भर करता है|
कुछ बच्चे शुरुआत में दोनों हाथों का बराबरी से इस्तेमाल करते हैं लेकिन कुछ महीने बाद किसी एक हाथ का ज्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं| ध्यान रखने वाली बात यह है कि आप बच्चे को उस हाथ का इस्तेमाल करने दें जिसमें वह खुद ज्यादा सहज महसूस करे।
36 हफ्ते के बच्चे में भावनात्मक बदलाव
36 हफ्ते के बच्चे या उसकी उम्र के आस-पास के बच्चों के व्यवहार में बदलाव आपके पालन-पोषण की शैली के कारण नहीं बल्कि इसलिए होते हैं क्योंकि वह इस उम्र में पहली बार परिचित और अपरिचित स्थितियों के बीच अंतर बताने में सक्षम हो पाते हैं। अजनबियों के आस-पास बच्चों को होने वाली चिंता आमतौर पर आपके बच्चे के लिए पहला भावनात्मक मील के पत्थरों में से एक हो सकता है। आपको लगता है कि इसमें कुछ गलत हो सकता है क्योंकि आपका बच्चा जो तीन महीने के उम्र में लोगों के साथ शांत रहता था और उनकी गतिविधियों पर प्रतिक्रिया देता था या उनके साथ खेलता था। वह अब अजनबियों के सामने घबराने लगा है।
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