शिशु के जन्म के बाद के पहले साल वो बहुत तेजी से बढ़ता है। शिशु के वजन, लेंथ और हेड सरकमफेरेंस में भी बदलाव आता है। देखते ही देखते आपका छोटा सा शिशु कुछ ही समय में चलना और बोलना शुरू कर देता है। यही नहीं, पांच ही महीने में शिशु का वजन डबल तक हो सकता है। आज हम बात करने वाले हैं बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) के बारे में। यह वो शार्ट पीरियड होता है जिसमें शिशु में बहुत तेजी से ग्रोथ होती है। यह बेबी के डेवलपमेंट का सामान्य हिस्सा है। आइए जानें बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) के बारे में विस्तार से।
बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) किसे कहा जाता है?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि यह वो समय होता है जब शिशु को ग्रोथ तेजी से होती है। इस समय के दौरान उन्हें बार-बार भूख लगेगी, उनके स्लीप पैटर्न में बदलाव होता है और हो सकता है कि शिशु अधिक असहज महसूस करें। यह भी हो सकता है कि बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) के यह लक्षण तब तक रहें जब तक आप इससे डील कर रहे हों। लेकिन, ग्रोथ स्पर्ट्स (Growth Spurts) आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक ही रहते हैं।
इस बात का भी ध्यान रखें कि पहले साल में शिशु की ग्रोथ केवल साइज में नहीं होती, बल्कि उनकी पूरी डेवलपमेंट होती है। ग्रोथ स्पर्ट से पहले हो सकता है कि आपके शिशु के वजन में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही हो। लेकिन, ग्रोथ स्पर्ट के दौरान आप इसमें तेजी से बढ़ोतरी का अनुभव करेंगे। इस पीरियड में जब आपका शिशु नए स्किल्स पर काम करना शुरू करता है, आप इसकी कुछ इंडिकेशन का अनुभव भी कर सकते हैं। अब जानते हैं बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) शिशु में कब होती है?
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बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) शिशु में कब होती है?
शिशु के पहले साल में ग्रोथ स्पर्ट्स (Growth Spurts) कभी भी हो सकती है। लेकिन, हर शिशु यूनिक होता है, इसलिए हो सकता है कि आप अपने बच्चे में कुछ ही ग्रोथ सपर्ट्स का अनुभव करें। आमतौर पर आप अपने शिशु में इस समय ग्रोथ सपर्ट्स का अनुभव कर सकते हैं:
- उम्र के पहले और तीसरे हफ्ते
- तीसरे महीने
- छठे महीने में
- नौवें महीने
लेकिन यह केवल आम रेंज हैं। आपका बच्चा इस समय के बाद या पहले भी स्पर्ट्स का अनुभव कर सकता है। कई बच्चों में कम ड्रैमेटिक और नोटिसेबल सपर्ट्स होते हैं। अगर आपका शिशु सही से खा रहा है, सही से मूत्र और मल त्याग कर रहा है और एक्टिव है, तो निश्चिन्त रहें क्योंकि आपका शिशु सही से बढ़ रहा है। बेबी ग्रोथ सपर्ट्स के लक्षणों के बारे में जानकारी होना भी जरूरी है। आइए जानें इनके बारे में।
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बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) के क्या हैं लक्षण?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि शिशु के व्यवहार में बदलाव से ही आप इस बात को समझ जाएंगे कि शिशु की ग्रोथ हो रही है। इसके अलावा इन लक्षणों से भी आप जान सकते हैं कि इस दौरान शिशु अच्छे से ग्रो कर रहा है और उसकी डेवलपमेंट हो रही है। यह लक्षण इस प्रकार हैं:
अतिरिक्त फीडिंग Additional feedings.
अगर आपके शिशु की फीडिंग की मांग बढ़ गयी है या जितनी फीड वो पहले ले रहा था, उससे उसकी जरूरत पूरी न हो रही हो, तो हो सकता है कि बढ़ते शरीर की मांगों को पूरा करने के लिए शिशु की भूख बढ़ गयी हो। यह ग्रोथ स्पर्ट का एक लक्षण हो सकता है।
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बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) और नींद में बदलाव Change in sleep.
एक्स्ट्रा फीडिंग के साथ ही आपको शिशु की नींद में भी बदलाव नजर आ सकता है। इसका अर्थ यह है कि हो सकता है कि आपका शिशु नैप से जल्दी जाग जाए या रात में भी जाग जाए या यह भी संभव है कि वो लंबी और फ्रीक्वेंट नैप ले।
चिड़चिड़ापन (Crankiness)
अगर आप बच्चा नटखट और खुशमिजाज है, तो हो सकता है कि बेबी ग्रोथ सपर्ट्स के दौरान वो अधिक चिड़चिड़ा हो जाए। बढ़ती भूख, स्लीप पैटर्न में बदलाव और बढ़ती दर्द आदि इसका कारण हो सकते हैं। अब जानते हैं कि इस कंडिशन में माता-पिता को क्या करना चाहिए?
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बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) की कंडिशन में आप क्या कर सकते हैं?
शिशु के व्यवहार में बदलाव आपके लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। लेकिन, ध्यान रखें कि यह एक नेचुरल और जरूरी प्रोसेस है। इस दौरान शिशु को होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
शिशु को पर्याप्त मात्रा में फीड कराएं
इस दौरान शिशु को जब भी भूख लगे, उसे फीड करें। अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो फीड के बीच में तीन घंटों का अंतर रखें। लेकिन, अगर आपको लगता है कि इस दौरान शिशु भूखा है तो उसे तुरंत दूध पिलाएं। बेबी ग्रोथ सपर्ट्स केवल कुछ ही दिनों तक रहता है और एक्स्ट्रा फीड्स से शिशु की जरूरतें पूरी हो सकती है। अगर आप अपने शिशु को फॉर्मूला मिल्क दे रही हैं, तो उसे भी देने के समय में सही बदलाव करें, ताकि शिशु भूखा न रहे।
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बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts): शिशु की सोने में मदद करें
अगर शिशु को अतिरिक्त रेस्ट की जरूरत है तो उसे रेस्ट करने दें। अगर शिशु सही से नहीं सोएगा, तोरात को बार-बार उठेगा। इससे आपको भी परेशानी होगी। इसके साथ ही रोजाना उसका बेडटाइम रूटीन और शेड्यूल एक जैसा रखें। इससे आपको और आपके शिशु को बेबी ग्रोथ सपर्ट्स या इसके बाद परेशानी नहीं होगी।
सब्र रखें
इस समय को शिशु के लिए आवश्यक मानें और इस दौरान सब्र रखें। इसके साथ ही शिशु को भरपूर प्यार दें और उसका पूरा ख्याल रखें। अधिक प्यार और दुलार से आपका शिशु अपनी हर परेशानी भूल जाएगा। जब भी वो चिड़चिड़ा हो उसे बिजी रखने या उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करें जैसे उसके लिए गाना गाएं, रीड करें, उसे वॉक कराने ले जाए आदि। यानी, वो हर चीज करें जो शिशु को पसंद हो।
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बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts): खुद का भी ख्याल रखें
केवल आपका शिशु ही बदलाव से नहीं गुजर रहा होता है। यह समय आपके लिए भी हार्ड हो सकता है। ऐसे में आप खुद का भी ख्याल रखें और पर्याप्त आराम करें। अधिक से अधिक समय शिशु के साथ बिताएं और किसी परिवार के सदस्य या दोस्तों से अन्य कामों के लिए मदद लें।
शिशु के संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान दें
एक साल तक का शिशु बहुत छोटा होता है और वो इस दौरान क्या महसूस कर रहा , यह नहीं बता पाता। ऐसे में आपके लिए उसे संपूर्ण स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी जरूरी है। आपका शिशु कुछ अन्य लक्षणों का अनुभव कर सकता है, जो ग्रोथ सपर्ट्स से अलग हों। अगर आपके शिशु में आपको किसी बीमारी के लक्षण नजर आएं जैसे फीवर, रैशेज, डिहायड्रेशन आदि, तो डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।
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यह तो थी जानकारी बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) के बारे में। हर माता-पिता अपने शिशु को सही से ग्रो होते हुए देखना चाहते हैं। ऐसे में आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर आप अपने शिशु में जल्दी-जल्दी बदलाव होता हुआ देखें। इसके लक्षणों को पहचाननें जैसे शिशु का चिड़चिड़ापन, उसे सामान्य से अधिक भूख लगना, उनके स्लीप सायकल में बदलाव आदि। शिशु के जीवन की यह प्रक्रिया पूरी तरह से सामान्य और नेचुरल है। इसके चिंता करने की कोई भी जरूरत नहीं है। लेकिन, अगर आप इन लक्षणों के अलावा कुछ अन्य समस्याओं को नोटिस करें, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। आपके मन में बेबी ग्रोथ स्पर्ट्स (Baby Growth Spurts) के बारे में कोई भी सवाल है, तो उसे भी डॉक्टर से पूछना न भूलें।
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