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बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट कैसे है मुमकिन? जानिए इस टेकनीक से जुड़ी बातें!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/10/2021

    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट कैसे है मुमकिन? जानिए इस टेकनीक से जुड़ी बातें!

    बढ़ते बच्चों के सही विकास के लिए उन्हें स्कूल में अलग-अलग तरह के सीख दी जाती है। यह शिक्षाएं भविष्य में बच्चों को आगे बढ़ने में मदद करती है। यही वजह है कि समय के साथ शिक्षा पद्धति में कई बदलाव किए गए हैं। यह बदलाव बच्चों की जरूरत के अनुसार किए जाते हैं, जिससे बच्चे आसानी से और बेहतर शिक्षा हासिल कर सकें। आज हम बात करने जा रहे हैं बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development) के बारे में। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट बेहद जरूरी माना जाता है, जो बच्चों के भविष्य में उनकी मदद कर सकता है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट एक तरह की शिक्षा पद्धति कहलाती है, जिससे बच्चे बेहतर रूप से चीजें समझ सकते हैं और खुद में बदलाव ला सकते हैं। इस आर्टिकल में आज हम बात करने जा रहे हैं बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) से जुड़ी जरूरी बातों के बारे में। आइए जानते हैं क्या है बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट।

    क्या है बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट? (Proximal Development in kids)

    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट जोन ऑफ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development)  के आधार पर होता है। इसे जोन ऑफ पोटेंशियल डेवलपमेंट के नाम से भी जाना जाता है। यह बच्चों में स्किल डेवलपमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह की शिक्षा पद्धति है, जिसे बच्चों को क्लास रूम में सिखाया जाता है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट की शिक्षा पद्धति का लक्ष्य बच्चों में ज्ञान को बढ़ाना है और बच्चों की सीखने की क्षमता को बढ़ावा देना है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) तब होता है, जब इस शिक्षा पद्धति के जरिए बच्चों की एबिलिटी से ज्यादा उन्हें सीखने में मदद की जाती है। इससे विद्यार्थी किसी पर भी निर्भर नहीं रहता और खुद अपने डेवलपमेंट के लिए प्रयास करता है। जोन आफ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट एक ऐसी पद्धति है, जिसका रशियन साइकोलॉजिस्ट लिव वाइगोत्सकी (Lev Vygotsky) ने सन 1900 के शुरुआती सालों में आविष्कार किया था। इस थ्योरी के मुताबिक हर व्यक्ति में स्किल डेवलपमेंट के दो स्टेज होते हैं –

  • पहला स्टेज : जब वे खुद से चीजें अचीव कर सकता है
  • दूसरा स्टेट : जहां उन्हें लक्ष्य को अचीव करने के लिए किसी मेंटोर या टीचर की जरूरत पड़ती है
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    जोन ऑफ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development)  के अंतर्गत उन्होंने उस लेवल की बात की है , जिसमें व्यक्ति खुद का लक्ष्य अचीव सके। बच्चों के प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए इस थेयोरि का इस्तेमाल अब किया जाने लगा है। जब बच्चों के लिए इस शिक्षा पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है, तो इसे स्कैफोल्डिंग का नाम से जाना जाता है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट का कांसेप्ट स्कैफोल्डिंग से प्रभावित होता है। जो स्कैफोल्डिंग (Scaffolding) परफॉर्म करता है, वह टीचर, पेरेंट्स या मेंटोर कोई भी हो सकता है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए स्कैफोल्डिंग बेहद कारगर मानी जाती है। स्कैफोल्डिंग और जोन ऑफ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट यह दोनों ही शिक्षाएं आमतौर पर प्रीस्कूल और एलिमेंट्री क्लास रूम में बच्चों को सिखाई जाती है। लेकिन बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) के लिए इसका इस्तेमाल स्कूल के अलावा घर पर भी किया जा सकता है। बच्चों के प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए स्कैफोल्डिंग का इस्तेमाल किस तरह किया जाता है, आइए जानते हैं।

    क्या हैं बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के अलग-अलग जोन? (Zone of Proximal Development in kids)

    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) के 3 स्टेज होते हैं।

    असिस्टेंस के साथ काम न करना : इस कैटेगरी में बच्चा किसी भी एक्सपीरियंस्ड व्यक्ति के बगैर अपने काम को कर सकता है।

    असिस्टेंस के साथ काम करना : इस कैटेगरी में व्यक्ति अपने काम के लिए किसी एक्सपीरियंस्ड व्यक्ति की मदद ले सकता है।

    असिस्टेंस के बगैर काम न कर पाना : इस कैटेगरी में उन कामों को रखा गया है, जो किसी भी इंस्ट्रक्टर के बिना नहीं किए जा सकते। उदाहरण के तौर पर कोई भी बच्चा अपना नाम आसानी से लिख सकता है। लेकिन दूसरों के नामों को लिखने के लिए उन्हें किसी व्यक्ति की जरूरत पड़ती है। यह काम उनकी स्किल लेवल से ज्यादा माना जाता है। इसलिए इन कामों को जोन आफ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development)  के बाहर का काम माना जाएगा।

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    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) को समझने के लिए आपको स्कैफोल्डिंग (Scaffolding) के कांसेप्ट को बेहतर रूप से समझना होता है, आइए अब जानते हैं बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए स्कैफोल्डिंग का इस्तेमाल किस तरह किया जा सकता है।

    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए स्कैफोल्डिंग का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है? (Scaffolding for Proximal Development in kids)

    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids)

    बच्चों के लिए इंस्ट्रक्शनल स्कैफोल्डिंग एक ऐसा मेथड माना जाता है, जो बच्चों को नई स्किल्स को समझने में मदद करता है। इस मेथड के अंतर्गत बच्चों को उनके स्किल सेट से आगे निकलकर कामों को करना सिखाया जाता है। इसके लिए उन्हें किसी मेंटोर की जरूरत पड़ती है, जो उनके स्किल्स को इंप्रूव कर सके और उनकी स्थिति को समझते हुए उन्हें नई चीजें सिखा सके। यह मेथड क्लास रूम में अलग-अलग विषयों के साथ अपनाई जा सकती है, जिसमें भाषा, गणित और विज्ञान की मदद भी ली जा सकती है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) के लिए स्कैफोल्डिंग (Scaffolding) क्लास के बाहर भी इस्तेमाल की जा सकती है। इसमें स्पोर्ट्स और एथलीट मोटर स्किल्स का इस्तेमाल किया जाता है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए स्कैफोल्डिंग अलग-अलग तरह के वातावरण का निर्माण करती है, जिसमें बच्चा अपने सवालों के जवाब बेहतर रूप से पा सकता है। आइए अब जानते हैं क्लासरूम के अंतर्गत बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development) के क्या उदाहरण पाए जा सकते हैं और इसका इस्तेमाल बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए किस तरह किया जा सकता है।

    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए स्कैफोल्डिंग (Scaffolding) का इस्तेमाल ऐसे किया जा सकता है –

    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट को ठीक ढंग से परफॉर्म करने के लिए स्कैफोल्डिंग टेक्निक अपनाई जाती है, जिससे बच्चों की उन प्रॉब्लम्स का निदान किया जा सके, जो उनकी कैपेबिलिटी के बाहर हो। आइए जानते हैं बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) के लिए स्कैफोल्डिंग किस तरह अपनाई जा सकती है।

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    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) में स्कैफोल्डिंग के उदाहरण –

    आमतौर पर किंडरगार्डन में बच्चों को दो नंबरों को जोड़ना सिखाया जाता है। यह नंबर यदि 10 की गिनती से छोटे हो, तो बच्चे आसानी से इन्हें जोड़ पाते हैं। लेकिन 10 की गिनती से ज्यादा वाले नंबर जोड़ना बच्चों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। इस मुश्किल को आसान करने के लिए टीचर बच्चों को बड़े नंबरों को जोड़ना सिखा सकते हैं। इसके लिए वे बच्चों को बड़े नंबर जोड़ने के लिए दे सकते हैं और जहां बच्चा मुश्किल में आता है, वहां उसे हिंट दे कर गणित को सॉल्व करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

    इसका दूसरा उदाहरण है – जब प्रीस्कूल के दौरान बच्चा त्रिकोण बनाना सीखना है, तो टीचर बच्चे को इसकी पूरी प्रक्रिया 2 से 3 भाग में सिखा सकते हैं। सबसे पहले वे उन्हें दो सीधी लकीरें खींचना सिखाते हैं, उसके बाद इन्हीं लकीरों को वर्टिकल लाइन में तब्दील करना सिखाते हैं और इस तरह हिंट देकर वे बच्चों को त्रिकोण बनाने में मदद कर सकते हैं। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development)  के लिए स्कैफोल्डिंग (Scaffolding) का इस्तेमाल आमतौर पर आसानी से किया जा सकता है। लेकिन कई मामलों में इसमें टीचर्स को चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। आइए जानते हैं बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) के लिए स्कैफोल्डिंग के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में।

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    बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए स्कैफोल्डिंग के दौरान आ सकती हैं ये चुनौतियां (Proximal Development in kids)

    भले ही बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट के लिए स्कैफोल्डिंग का इस्तेमाल बेहतर माना जाता है, लेकिन क्लास रूम में इसे प्रैक्टिस करने के लिए कई चुनौतियों का सामना टीचर्स को करना पड़ सकता है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) के लिए स्कैफोल्डिंग के इस्तेमाल के दौरान टीचर्स को हर स्टूडेंट के रोल ऑफ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट को समझना होता है। जिससे उनके लेवल को समझ कर वह उन्हें सिखा सके. स्कैफोल्डिंग (Scaffolding) उन बच्चों में आसानी से काम करती है जो अपने स्किल लेवल के अंदर काम कर पाते हैं। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development)  के लिए स्कैफोल्डिंग के कई अन्य चैलेंज भी हो सकते हैं, जैसे – इसमें टीचर को ज्यादा टाइम देना पड़ता है, हर बच्चे के लिए एक अलग इंस्ट्रक्टर की जरूरत पड़ती है, इंस्ट्रक्टर को ठीक तरह से ट्रेनिंग लेनी पड़ती है, जोन ऑफ़ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट को समझने में गड़बड़ी हो सकती है। 

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    स्कैफोल्डिंग (Scaffolding) और जोन आफ प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट ऐसे तरीके हैं, जो बच्चों की लर्निंग स्किल को बेहतर बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए इंस्ट्रक्टर का पूरी तरह से एक्सपीरियंस होना बेहद जरूरी है। बच्चों में प्रॉक्सिमल डेवलपमेंट (Proximal Development in kids) के लिए स्कैफोल्डिंग बेहतर मानी जाती है, लेकिन यह टीचर्स के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इसलिए इसमें काबिलियत के साथ-साथ धीरज की भी जरूरत पड़ती है।

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