स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children) उन्हें कई रोगों से बचाती है। उनमें से एक चिकनपॉक्स है। चिकनपॉक्स (Chicken Pox) आमतौर पर माइल्ड होता है, लेकिन यह कभी-कभी गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। चिकनपॉक्स से फफोले संक्रमित हो सकते हैं, और कुछ बच्चों को इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) हो जाता है। यदि 1 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं में, जिन्हें यह बीमारी होती है, 2,50,000 में से लगभग 1 की मृत्यु हो जाती है। आंकड़ों के अनुसार यदि यह बीमारी बड़े बच्चों को होती है तो लगभग 100,000 में से 1 की मृत्यु हो जाती है।
यदि किसी महिला को बच्चे के जन्म से ठीक पहले या बाद में चिकनपॉक्स हो जाता है, तो उसका बच्चा बहुत बीमार हो सकता है, और यदि उसका इलाज जल्द ही नहीं किया जाता है तो लगभग 3 में से 1 बच्चे की मृत्यु हो जाती है। किसी व्यक्ति को चिकनपॉक्स होने के बाद वायरस शरीर में रहता है। वर्षों बाद यह हर्पीस जोस्टर, या शिंगल्स (shingles) नामक एक दर्दनाक बीमारी का कारण बन सकता है।
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स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन: डोज (Dose)
चिकनपॉक्स की वैक्सीन वैरिकाला-जोस्टर वायरस (Varicella-zoster virus) के संक्रमण से बचाती है। यह वही वायरस है जो कि चिकनपॉक्स का कारण बनता है। जब बच्चे 12 से 15 महीने के होते हैं, तब उन्हें वैरीसेला वैक्सीन (Varicella vaccine) लगाई जाती है। इसके बाद 4 से 6 साल की उम्र में उन्हें एक बूस्टर शॉट लगाया जाता है जो भविष्य में उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करता है। जिन बच्चों की उम्र 6 वर्ष से अधिक है, लेकिन 13 वर्ष से कम है, लेकिन उन्हें चिकनपॉक्स नहीं हुआ है, उन्हें भी वैक्सीन लगाई जा सकती है, जिसमें 2 डोज 3 महीने के अंतराल पर दी जाती हैं।
13 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे जिन्हें या तो चिकनपॉक्स नहीं हुआ है या वैक्सीन की जरूरत है, उन्हें 1 से 2 महीने के अंतराल में 2 वैक्सीन डोज की जरूरत होती है।कभी-कभी चिकनपॉक्स की वैक्सीन मीजल्स, मम्प्स और रूबेला की वैक्सीन के साथ दी जाती है, जिसे एमएमआरवी वैक्सीन (MMRV Vaccine) कहा जाता है। 13 साल तक के बच्चे यह वैक्सीन लगवा सकते हैं।
स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन: हेपेटाइटिस बी वैक्सीन (Hepatitis B Vaccine)
हेपेटाइटिस बी वायरस (Hepatitis B Virus) लिवर को प्रभावित करता है। इसमे बुखार, मतली, उल्टी और पीलिया हो सकता है जो कुछ हफ्तों तक रहता है। या फिर इस संक्रमण का सामना आजीवन करना पड़ सकता है। इस वायरस से बाद में आपको लिवर की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे सिरोसिस (स्कार्डेड और डैमेज्ड लिवर) या लिवर कैंसर (Liver cancer)।
डोज (Dose)
आपके बच्चे को पूरी तरह से सुरक्षित रहने के लिए हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन (Hepatitis B Vaccine) की कम से कम 3 डोज की आवश्यक है। हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन लगवाने के लिए अनुशंसित समय हैं:
- जन्म के समय
- 1 से 2 महीने की उम्र में
- 6 से 18 महीने की उम्र में
नवजात शिशुओं को जन्म के पहले 24 घंटों के भीतर वैक्सीन की पहली डोज लगनी चाहिए। जिन नवजात शिशुओं को किसी मेडिकल या अन्य कारण से जन्म के समय वैक्सीन नहीं लगी है, उन्हें उनकी पहली डोज जल्द से जल्द लगनी चाहिए, और सभी 3 डोज अनुशंसित अंतराल में लग जानी चाहिए। यदि एक गर्भवती महिला प्रसव पूर्व जांच के दौरान या प्रसव के समय एचबीवी (HBV) पॉजिटिव पाई जाती है, तो उसके बच्चे को जन्म के 12 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन की पहली डोज लग जानी चाहिए। दूसरी डोज 1 महीने की उम्र में और अंतिम डोज 6 महीने की उम्र में दी जानी चाहिए।
बड़े बच्चे या किशोर जिनका वैक्सिनेशन नहीं हुआ है और वे ऐसे व्यक्ति के साथ रह रहे है जो एचबीवी से संक्रमित है, ऐसी स्थिति में बच्चे को संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन की 3 डोज लगना आवश्यक है।