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स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए ये वैक्सीन हैं जरूरी, बचा सकती हैं जानलेवा बीमारियों से!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/09/2021

    स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए ये वैक्सीन हैं जरूरी, बचा सकती हैं जानलेवा बीमारियों से!

    बचपन में लगी वैक्सीन बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि बीमारियां बच्चों को जल्दी अपनी चपेट में ले लेती हैं। वैक्सीन डिजीज एंटीजेन (Disease antigen) के साथ बनाई जाती हैं, जिससे बच्चे का इम्यून सिस्टम (Immune system) ट्रिगर होता है और उसके शरीर में एंटीबॉडी बनने लगती हैं। जिससे इम्यूनिटी बढ़ जाती है, वो भी बीमार हुए बिना।बच्चों का ज्यादातर वैक्सिनेशन प्रॉसेस जन्म से 6 वर्ष के भीतर पूरा हो जाता है। स्कूल जाने वाले बच्चा अन्य बच्चों के संपर्क में आता है। कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो एक-दूसरे के कॉन्टैक्ट में आने से फैलती हैं। ऐसे में स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children) बेहद जरूरी है ताकि वे गंभीर बीमारियों जैसे टेटनस (Tetanus), एचपीवी (HPV), पोलियो (Polio), खसरा, मेनिनजाइटिस और काली खांसी जैसी बीमारियों की चपेट में आने से बच सकें।

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children)

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children) जरूरी है। इन्हें किसी भी हालत में मिस नहीं करना चाहिए। इसलिए, यहां स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन के बारे में जानकारी दी गई है।

    1. ह्यूमन पेपिलोमावायरस वैक्सीन (Human Papillomavirus Vaccine)

    HPV प्रिवेंशन

    11 से 12 वर्ष की आयु की लड़कियों और लड़कों को ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन लगाई जाती है। हालांकि 11-12 साल के बच्चों को भी वैक्सीनेट किया जाता है पर सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार एचपीवी वैक्सीन 9 साल की उम्र में दी जा सकती है ताकि उन्हें एचपीवी संक्रमण और एचपीवी के कारण होने वाले कैंसर से बचाया जा सके। एचपीवी वैक्सीन एचपीवी (HPV) के कारण होने वाले कैंसर से बचाने में मदद करती है। इसलिए स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children) जरूरी है। इसके साथ ही यह निम्लिखित बीमारियों की भी रोकथाम करती है।

    • सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer)
    • मुंह और गले (सिर और गर्दन) के कैंसर
    • एनल और जेनिटल के कुछ कैंसर
    • यह जेनिटल वार्ट्स (Genital warts) से बचाने में मदद करती है

    और पढ़ें: लंग कैंसर वैक्सीन : क्या कैंसर को मात देने में सक्षम है?

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन: डोज (Dose)

    सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार सभी 11 और 12 वर्ष के बच्चों को कम से कम 6 महीने के अंतराल पर एचपीवी वैक्सीन की 2 डोज दी जाएं ना कि पहले की तरह 3 डोज दी जाए। 9 और 10 वर्ष की आयु के छोटे बच्चों और 13 और 14 वर्ष के किशोरों को भी अपडेटेड दो डोज दी जाए। एक शोध से पता चला है कि 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए दो डोज प्रभावी है।

     चिकनपॉक्स (वेरिसेला) वैक्सीन (Chicken Pox (Varicella) Vaccine)

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children) उन्हें कई रोगों से बचाती है। उनमें से एक चिकनपॉक्स है। चिकनपॉक्स (Chicken Pox) आमतौर पर माइल्ड होता है, लेकिन यह कभी-कभी गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। चिकनपॉक्स से फफोले संक्रमित हो सकते हैं, और कुछ बच्चों को इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) हो जाता है। यदि 1 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं में, जिन्हें यह बीमारी होती है, 2,50,000 में से लगभग 1 की मृत्यु हो जाती है। आंकड़ों के अनुसार यदि यह बीमारी बड़े बच्चों को होती है तो लगभग 100,000 में से 1 की मृत्यु हो जाती है।

    यदि किसी महिला को बच्चे के जन्म से ठीक पहले या बाद में चिकनपॉक्स हो जाता है, तो उसका बच्चा बहुत बीमार हो सकता है, और यदि उसका इलाज जल्द ही नहीं किया जाता है तो लगभग 3 में से 1 बच्चे की मृत्यु हो जाती है। किसी व्यक्ति को चिकनपॉक्स होने के बाद वायरस शरीर में रहता है। वर्षों बाद यह हर्पीस जोस्टर, या शिंगल्स (shingles) नामक एक दर्दनाक बीमारी का कारण बन सकता है।

    और पढ़ें: क्या बच्चों के लिए फ्लू और कोविड वैक्सीन एक ही है : जानें इस पर एक्सपर्ट की राय

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन:  डोज (Dose)

    चिकनपॉक्स की वैक्सीन वैरिकाला-जोस्टर वायरस (Varicella-zoster virus) के संक्रमण से बचाती है। यह वही वायरस है जो कि चिकनपॉक्स का कारण बनता है। जब बच्चे 12 से 15 महीने के होते हैं, तब उन्हें वैरीसेला वैक्सीन (Varicella vaccine) लगाई जाती है।  इसके बाद 4 से 6 साल की उम्र में उन्हें एक बूस्टर शॉट लगाया जाता है जो भविष्य में उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करता है। जिन बच्चों की उम्र 6 वर्ष से अधिक है, लेकिन 13 वर्ष से कम है, लेकिन उन्हें चिकनपॉक्स नहीं हुआ है, उन्हें भी वैक्सीन लगाई जा सकती है, जिसमें 2 डोज 3 महीने के अंतराल पर दी जाती हैं।

    13 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे जिन्हें या तो चिकनपॉक्स नहीं हुआ है या वैक्सीन की जरूरत है, उन्हें 1 से 2 महीने के अंतराल में 2 वैक्सीन डोज की जरूरत होती है।कभी-कभी चिकनपॉक्स की वैक्सीन मीजल्स, मम्प्स और रूबेला की वैक्सीन के साथ दी जाती है, जिसे एमएमआरवी वैक्सीन (MMRV Vaccine) कहा जाता है। 13 साल तक के बच्चे यह वैक्सीन लगवा सकते हैं।

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन: हेपेटाइटिस बी वैक्सीन (Hepatitis B Vaccine)

    हेपेटाइटिस बी वायरस (Hepatitis B Virus) लिवर को प्रभावित करता है। इसमे बुखार, मतली, उल्टी और पीलिया हो सकता है जो कुछ हफ्तों तक रहता है। या फिर इस संक्रमण का सामना आजीवन करना पड़ सकता है। इस वायरस से बाद में आपको लिवर की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे सिरोसिस (स्कार्डेड और डैमेज्ड लिवर) या लिवर कैंसर (Liver cancer)।

    डोज (Dose)

    आपके बच्चे को पूरी तरह से सुरक्षित रहने के लिए हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन (Hepatitis B Vaccine) की कम से कम 3 डोज की आवश्यक है। हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन लगवाने के लिए अनुशंसित समय हैं:

    • जन्म के समय
    • 1 से 2 महीने की उम्र में
    • 6 से 18 महीने की उम्र में

    नवजात शिशुओं को जन्म के पहले 24 घंटों के भीतर वैक्सीन की पहली डोज लगनी चाहिए। जिन नवजात शिशुओं को किसी मेडिकल या अन्य कारण से जन्म के समय वैक्सीन नहीं लगी है, उन्हें उनकी पहली डोज जल्द से जल्द लगनी चाहिए, और सभी 3 डोज अनुशंसित अंतराल में लग जानी चाहिए। यदि एक गर्भवती महिला प्रसव पूर्व जांच के दौरान या प्रसव के समय एचबीवी (HBV) पॉजिटिव पाई जाती है, तो उसके बच्चे को जन्म के 12 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन की पहली डोज लग जानी चाहिए। दूसरी डोज 1 महीने की उम्र में और अंतिम डोज 6 महीने की उम्र में दी जानी चाहिए।

    बड़े बच्चे या किशोर जिनका वैक्सिनेशन नहीं हुआ है और वे ऐसे व्यक्ति के साथ रह रहे है जो एचबीवी से संक्रमित है, ऐसी स्थिति में बच्चे को संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन की 3 डोज लगना आवश्यक है।

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    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन : मेनिंगोकोकल क्वाड्रीवेलेंट वैक्सीन (Meningococcal quadrivalent vaccine)

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children)

    मेनिंगोकोकल वैक्सीन मेनिंगोकोकल डिजीज से बचाती हैं, जिससे बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस (Bacterial meningitis) और अन्य गंभीर संक्रमण हो सकते हैं। यह वैक्सीनेशन मेनिंगोकोकल डिजीज का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से बचाता है। यह आपके बच्चे को मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के संक्रमण, लॉन्ग टर्म डिसेबिलिटी और ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन से बचाता है। स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children) लगाना जरूरी है।

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children):  डोज (Dose)

    सेंटर ऑफ डिजीज कंट्राेल एंड प्रिवेशन (CDC) प्री टीन्स, टीन्स और कुछ अन्य लोगों के लिए मेनिंगोकोकल वैक्सीन का सुझाव देता है

    • 11 से 12 साल की उम्र के सभी बच्चे
    • 16 साल के सभी बच्चे
    • 16 साल की उम्र में बच्चों को बूस्टर डोज दी जाए जो उन्हें निरंतर सुरक्षा प्रदान करती है जब वे सबसे अधिक जोखिम में होते हैं।

    किशोर और युवा वयस्कों (16 से 23 वर्ष के बच्चों) को भी मेन-बी वैक्सीन लग सकती है:

    • 16 से 18 वर्ष के बच्चों को यह वैक्सीन लगनी चाहिए
    • ज्यादा सेफ्टी के लिए कई डोज की आवश्यकता होती है
    • सभी डोज एक ही ब्रांड की होनी चाहिए

    बड़े बच्चों और वयस्कों को आमतौर पर मेनिंगोकोकल वैक्सीन की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, सीडीसी उन लोगों के लिए एक या दोनों प्रकार के मेनिंगोकोकल वैक्सीन का सुझाव देता है

    • कुछ मेडिकल कंडिशन्स में
    • उन क्षेत्रों की यात्रा की योजना जहां यह रोग सामान्य है
    • उन क्षेत्रों में काम करना जहां बैक्टीरिया का संक्रमण अधिक हो
    • मेनिंगोकोकल रोग के प्रकोप के कारण बढ़ा हुआ जोखिम

    नोट: यदि कोई भी किशोर मैनएसीडबल्यूवाई (MenACWY) लेने से चूक गया है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में जल्द से जल्द बात कर के वैक्सीन लगवाएं। 

    टिटनेस, डिप्थीरिया, पर्टुसिस (टीडीएपी) वैक्सीन (Tetanus, Diphtheria, Pertussis (Tdap) Vaccine)

    स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children) टीडीएपी वैक्सीन टेटनस, डिप्थीरिया और पर्टुसिस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। ये बीमारियां गंभीर और कभी-कभी घातक भी हो सकती हैं।

    डोज (Dose)

    डिप्थीरिया और टेटनस (यानी, डीटी और टीडी) के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आधुनिक वैक्सीन कभी-कभी काली खांसी या पर्टुसिस (यानी, डीटीएपी और टीडीएपी) से भी सुरक्षा प्रदान करती है। 7 साल से कम उम्र के बच्चों को डीटीएपी या डीटी की वैक्सीन लगाई जाती है, जबकि बड़े बच्चों और वयस्कों को टीडीएपी और टीडी लगाया जाता है। सीडीसी सभी के लिए डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी (पर्टुसिस) वैक्सीनेशन का सुझाव देता है।

    11 से 12 साल की उम्र के बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए टीडीएपी के शॉट दिए जाने चाहिए। जिन किशोरों को किशोरावस्था में टीडीएपी की डोज नहीं लगी, उन्हें अगली बार अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल से मिलने पर वैक्सिनेशन करवा लेना चाहिए।

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    क्रोनिक हेल्थ कंडिशन्स वाले बच्चों को अतिरिक्त टीकों या वैक्सीन की एक्स्ट्रा डोज की जरूरत हो सकती है। अपने डॉक्टर्स से बात करें कि आपके बच्चे को कौन से एक्स्ट्रा वैक्सीन लगने की आवश्यकता है। इसके साथ ही बच्चों को सभी टीके निर्धारित समय पर ही लगवाएं। ये टीके बच्चों को उन बीमारियों से बचाते हैं जो गंभीर बीमारी, विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकती हैं। आपके बच्चे के लिए टीकों में देरी या स्किप करने का कोई लाभ नहीं है, केवल जोखिम है। उम्मीद है कि स्कूल के बच्चों के लिए वैक्सीन (Vaccines for school children) से संबंधित जानकारियां आपको मिल गईं होगी। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें।

    डिस्क्लेमर

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