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बच्चों के लिए एबीए थेरिपी कैसे करती है काम, क्या ये बच्चों के व्यवहार में लाती है बदलाव?

Written by डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


अपडेटेड 16/10/2021

    बच्चों के लिए एबीए थेरिपी कैसे करती है काम, क्या ये बच्चों के व्यवहार में लाती है बदलाव?

    एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस (Applied Behavioral Analysis) एक प्रकार की थेरिपी है, जो बच्चों में सोशल (Social),  कम्युनिकेशन (Communication), लर्निंग स्किल्स (Learning skills) आदि को सुधारने का काम करती है। कई एक्सपर्ट का मानना है कि जो बच्चे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism spectrum disorder) से पीड़ित है, उन्हें इस थेरिपी से बहुत से फायदे पहुंचते हैं। सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर (Substance use disorder), कॉग्निटिव इंपेयरमेंट आफ्टर ब्रेन इंज्युरी (Cognitive impairment after brain injury), डिमेंशिया (Dementia), ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorders) आदि में एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस (Applied Behavioral Analysis) लाभदायक साबित होता है।

    आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही ये भी बताएंगे कि ये किस तरह से फायदे पहुंचाती है।

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    बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis)

    अगर आपका बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है और सही प्रकार से कम्युनिकेशन नहीं कर पाता है, तो आप बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) की मदद ले सकती है। इसके लिए आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी पड़ेगी। बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) में विभिन्न प्रकार के फेज होते हैं। जिसमें बच्चों को विभिन्न प्रकार की चीजें सिखाई जाती हैं। आइए जानते हैं कि बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) के लिए कौन से फेस होते हैं।

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    कंसल्टेशन (Consultation)

    बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) के लिए आपको सबसे पहले थेरेपिस्ट से कंसल्ट करना होगा. जो कि एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस (Applied Behavioral Analysis) की जानकारी रखते हो। इस कंसल्टेशन को फंक्शनल बिहेवियर एसेसमेंट (Functional behavior assessment) के नाम से भी जाना जाता है। सबसे पहले थेरेपिस्ट आपसे बच्चे की स्ट्रेंथ और एबिलिटीज के बारे में जानकारी लेंगे और साथ ही ये जानने कि कोशिश करेंगे कि आखिरकार भविष्य में किन चैलेंज का सामना बच्चे को करना पड़ सकता है।

    थेरेपिस्ट बच्चे के साथ कुछ समय व्यतीत करेंगे ताकि वह उसके बिहेवियर के बारे में जान सके। बच्चों से बातें करने में उनके कम्युनिकेशन लेवल (Communication level) और स्किल्स की जानकारी मिलती है। थेरेपिस्ट आपके घर के साथ ही बच्चे के स्कूल में भी जा सकते हैं, ताकि वह बच्चों की एक्टिविटी और बिहेवियर पर नजर रख सकें। सभी बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) अलग हो सकती है। आपको बच्चे के बारे में कुछ ऐसी बातों के बारे में भी बताया जाएगा, जो शायद अब तक आपको पता ना हो और साथ ही कुछ स्ट्रेटजी भी बनाई जाती है।

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    बच्चों के लिए एबीए थेरिपी:  प्लान डेवलप करना!

    जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि सभी बच्चों का केस एक जैसा नहीं होता है। सभी बच्चों को एक जैसी थेरिपी की जरूरत भी नहीं होती है। बच्चे से बात करने के बाद और उनकी जरूरतों को जानने के बाद ट्रेनिंग दी जाती है। उसके लिए थेरेपिस्ट एक प्लान तैयार करते हैं। ऑब्जर्वेशन के बाद एक फॉर्मल प्लान बनाया जाता हैं। थेरिपी की मदद से बच्चों के बिहेवियर में सुधार आता है। कुछ बच्चों को अपने आप को चोट पहुंचाने या बात करने में दिक्कत होने या फिर किसी भी नई चीज को सीखने में दिक्कत होती है। थेरिपी की मदद से सुधार आने के साथ ही वह चीजों को जल्दी सीखने लगते हैं। बच्चे के साथ जो भी रह रहा है, उसको भी इस प्लान में शामिल किया जाता है, ताकि वह बच्चों की जरूरत के हिसाब से उसे चीजें मुहैया करा सके।

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    केयरगिवर ट्रेनिंग (Caregiver training)

    बच्चों के व्यवहार को सुधारने के लिए थेरेपिस्ट अपनी ओर से पूरा प्रयास करते हैं, लेकिन वह बच्चों के साथ दिन भर नहीं रह सकते हैं। थेरेपिस्ट बच्चों के साथ रहने वाले पेरेंट्स या फिर टीचर को भी थेरिपी के अहम हिस्सों के बारे में जानकारी देते हैं। ऐसा करने से बच्चों को ना सिर्फ कुछ समय के लिए बल्कि हमेशा के लिए एक गाइडेंस मिल जाता है। यह थेरेपी का मुख्य हिस्सा होता है। इसे केयरगिवर ट्रेनिंग (Caregiver training) कहते हैं।

    मूल्यांकन भी है जरूरी (Frequent evaluation)

    थेरिपी के दौरान कुछ स्ट्रेटजी अपनाई जाती है। स्ट्रेटजी को अपनाने के बाद बच्चों के बिहेवियर या फिर उसके समझने की पावर कितनी तेज हुई है, इस बारे में मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन करने से पता चलता है कि थेरिपी का कितना असर हो रहा है। थेरिपी के दौरान मूल्यांकन का कार्य समय- समय पर किया जाता रहता है।

    एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस (Applied Behavioral Analysis) से बच्चों में क्या होता है असर?

    बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) सकारात्मक प्रभाव लेकर आती है। थेरिपी लेने के बाद बच्चों के व्यवहार में अंतर महसूस किया जा सकता है। बच्चा पहले से अधिक दूसरे लोगों से घुलने-मिलने लगता हैं। साथ ही वो आसानी से अन्य लोगों से बात करना शुरू कर देते हैं। उन्हें जिस भी चीज की जरूरत होती है, वह पेरेंट्स (Parents) या टीचर्स से मांगने में हिचकिचाते नहीं है। स्कूल में लोगों से उनका इंटरेक्शन बढ़ जाता है साथ ही वह खुद को या अन्य लोगों को हानि पहुंचाना भी बंद कर देते हैं। इन सब बातों से यह पता चलता है कि बच्चों में थेरिपी का बहुत अच्छा असर देखने को मिलता है।

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    बच्चों के लिए एबीए थेरिपी घर पर है संभव?

    अगर आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) घर पर उपलब्ध हो सकती है या नहीं, तो इसका जवाब है हां! बच्चों को घर पर भी यह थेरिपी दी जा सकती है। बच्चों को सबसे ज्यादा कंफर्टेबल घर पर ही महसूस होता है। बच्चों के लिए आसान होता है कि वह घर पर ही रह कर कई चीजों को सीखे। कुछ आदतें जैसे कि सुबह समय पर उठना, अपने कपड़ों को खुद पहनना, बाथरूम का इस्तेमाल करना आदि। यह सब ऐसी आदतें हैं, जो घर पर रहकर आसानी से सीखी जा सकती हैं। अगर आप घर पर थेरेपिस्ट को बुलाना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि लाइसेंस थेरेपिस्ट को ही बुलाएं। आप डॉक्टर से या हॉस्पिटल से इस बारे में जानकारी ले सकते हैं।बच्चों के लिए एबीए थेरिपी ऑनलाइन माध्यम से दी जा सकती है या फिर नहीं, इस बारे में भी आप डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं।

    अगर आपको थेरेपिस्ट नहीं मिल रहा है, तो आप बच्चों के डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। आप उनसे थेरेपिस्ट की फीस के बारे में भी जानकारी ले सकती हैं। अगर आपको डॉक्टर की सहायता से भी थेरेपिस्ट नहीं मिल पाता है, तो आप ऑनलाइन भी सर्च कर सकती हैं। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि लाइसेंस थेरेपिस्ट को ही घर पर आने दें। आप चाहे तो इस बारे में उस ऑर्गेनाइजेशन से बात कर सकते हैं।

    अगर बच्चे को ऑटिज्म की समस्या नहीं है लेकिन फिर भी वो सही बोल नहीं पा रहा है या फिर चीजों को सीखने में दिक्कत होती है, तो आपको इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। थेरपी मददगार साबित होती है, इसलिए आपको अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। आपको डॉक्टर की राय मानते हुए बच्चे के स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान देना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

    इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों के लिए एबीए थेरिपी (Applied Behavioral Analysis) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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