इसके अलावा भी बच्चे में अन्य कई लक्षण नजर आ सकते हैं, जो शायद ऊपर नहीं दिए गए होंगे। इस तरह के लक्षणों के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसी स्थिति में बिना देरी किए, बच्चे को तत्काल इलाज की जरूरत है। तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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बच्चों में स्ट्रोक के संकेत : FAST इन 4 अल्फाबेट्स फॉर्मुला
पेरेंट्स ये FAST इन 4 अल्फाबेट्स फॉर्मुले से अपने बच्चे में स्ट्रोक के संकेतों को समझ सकते हैं, जो है:
F : एफ यानि कि फेस ड्रॉपिंग, इसमें आपके बच्चे की मुस्कराहट सामान्य से अलग लगेगी। इसमें ये ध्यान देना होगा कि जब आपका बच्चा मुस्कुरा रहा हो, लेकिन उसकी हंसी या चेहरा कुछ असमान सा महसूस हो रहा हो, तो समझ जाएं कि यह खतरे की घंटी का संकेत है।
A : ए यानि कि आर्म्स वीकनेस, इसमें बच्चा अपने हाथों को सुन्न महसूस करने लगता है या शरीर के एक हिस्से से काम नहीं कर पाता है।
S : एस का मतलब है स्पीच डिफिकल्टी होना, यानि कि बच्चे की बोली सामान्य महसूस न होना। यदि आपका बच्चा बोलने की कोशिश करता है, लेकिन बोल नहीं पाता है और उसे बोलने में कठिनाई हो रही है, तो अलर्ट हो जाएं।
T : टी यानि कि टाइम टू कॉल डॉक्टर, इन सब लक्षणों के नजर आने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इससे आप बच्चे को स्ट्रोक की गंभीर स्थिति से बचा सकते हैं।
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बच्चों में स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक (Risk factors for stroke in children)
बच्चों में स्ट्रोक होने का कोई सामान्य कारक नहीं होते हैं, यहां बच्चों में स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ कारक दिए गए हैं, जिस पर पेरेंट्स का ध्यान देना आवश्यक है:
- बच्चे में दिल की बीमारियां या कोई हृदय संबंधी समस्या का होना।
- बच्चे को सिकल-सेल डिजीज (SCD) की समस्या होना।
- सिर में चोट लगना।
- माइग्रेन की समस्या का होना।
- बच्चों में हाय ब्लड प्रेशर की समस्या का होना।
- बच्चे के शरीर में खून के थक्के का बनना।
- बच्चें में कोई गंभीर इंफेक्शन का होना।
- बच्चे में मेटाबॉलिक डिसऑर्डर आदि।
बच्चों में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाने वाले, इनके अलावा और भी कई रिस्क फैक्टर हो सकते हैं। अधिकांश मामलों में स्ट्रोक के तुरंत बाद उसके लक्षण नजर आने लगते हैं। लेकिन कुछ बच्चों में स्ट्रोक के खतरे के एक से दो घंटे बाद लक्षण नजर आते हैं। जिसे मिनी स्ट्रोक कहा जाता है। ऐसे में, स्ट्रोक की गंभीर स्थिति को रोकने के लिए, इन संकेतों के नजर आते हीं तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे बच्चें की स्थिति को गंभीर होने से बचाया जा सकता है।
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बच्चों में स्ट्रोक का निदान (Diagnosis of stroke in children)
बच्चों में स्ट्रोक का निदान आपके बच्चे के वर्तमान लक्षणों और हेल्थ हिस्ट्री के साथ शुरू होगा। जिसमें डॉक्टर आपसे बच्चे की हेल्थ हिस्ट्री, स्वास्थ्य देखभाल, कहीं कोई पुरानी चोट, संक्रमण, कभी कोई रक्तस्राव की समस्या हुई हो, आदि के बारे में पूछ सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर बच्चों में मौजूद स्ट्रोक के लक्षण जैसे कि कमजोरी, सुन्नता या स्ट्रोक के अन्य लक्षणों के अनुसार ही इलाज तय करेंगे। निदान करने में सहायता के लिए डॉक्टर कुछ परीक्षण करवा सकते हैं :