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इस न्यूरोलॉजिकल बीमारी के कारण बदल सकता है बच्चों का बिहेवियर!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/06/2022

    इस न्यूरोलॉजिकल बीमारी के कारण बदल सकता है बच्चों का बिहेवियर!

    एंजाइम शरीर की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एंजाइम बायोलॉजिकल कैटालिस्ट (Biological catalysts) होते हैं। कैटालिस्ट कैमिकल रिएक्शन में तेजी लाने का काम करते हैं। एंजाइम एक प्रकार के प्रोटीन हैं, जो शरीर में किसी पदार्थ को ब्रेक डाउन, मेटाबोलाइज करने सहायता करता है। अगर एंजाइम शरीर में ही उपस्थित न हों, तो पदार्थ शरीर में ही रहेगा और हेल्थ कॉम्प्लीकेशंस भी खड़ी हो सकती है। मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy) की समस्या भी एंजाइम की अनुपस्थिती के कारण ही पैदा होती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy) यानी एमएलडी (MLD) के बारे में जानकारी देंगे और बताएंगे कि इस बीमारी के लक्षण क्या हैं और कैसे इसका ट्रीटमेंट किया जाता है।

    मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy) क्या है?

    मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy)

    एमएलडी (MLD) की शुरुआत शरीर में तब होती है जब एरिलसल्फेटस ए (Arylsulfatase A) या एआरएसए एंजाइम शरीर में अनुपस्थित होता है। एआरएसए एंजाइम का काम फैट यानी सल्फाटाइड्स (Sulfatides) को तोड़ना है। जब शरीर में एआरएसए एंजाइम नहीं होता है, तो सेल्स में फैट जमने लगता है। मुख्य रूप से नर्वस सिस्टम की सेल्स में फैट बढ़ने के कारण कई ऑर्गन को क्षति पहुंचने लगती है। इसमें किडनी, नर्वस सिस्टम शामिल हैं, जो ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड से भी जुड़े हैं। नर्वस सिस्टम (Nervous system) को नुकसान पहुंचने से इलेक्ट्रॉनिक इम्पल्स पहुंचाने में भी समस्या होने लगती है। इस कारण से मसल्स में कंट्रोल कम होने या फिर खोने लगता है। ये बीमारी रेयर है और पूरे विश्व में लगभग एक लाख लोगों में केवल एक व्यक्ति को ये डिसऑर्डर होता है। ये तीन प्रकार के होते हैं। पहला होता है लेट इंफेंटाइल जो छह से 24 महीने के बच्चों को होता है। वहीं जुवेनाइल एमएलडी (MLD) तीन से 16 साल की उम्र में दिखता है। एडल्ट एमएलडी एडल्ट या टीनएजर्स की एज में दिखाई पड़ता।

    एमएलडी (MLD) एक ऑटोसोमल रिसेसिव जेनेटिक डिसऑर्डर (Autosomal recessive genetic disorder) है। जब जीन की दोनो कॉपीज इस डिसऑर्डर से प्रभावित होती है, तो बीमारी के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। अगर बच्चे को ये बीमारी है, तो जरूरी नहीं कि बच्चे के माता-पिता को भी वो बीमारी हो। माता-पिता कैरियर के रूप में भी काम कर सकते हैं। अगर माता-पिता दोनों ही कैरियर हैं, तो 25 परसेंट संभावना है कि बच्चे को मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy) डिसऑर्डर हो।

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    मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy) के लक्षण

    मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy) की समस्या नर्वस सिस्टम से जुड़ी हुई है। यानि जिन बच्चों को इस डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है, उन्हें एक साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जानिए एमएलडी (MLD) डिसऑर्डर होने पर कौन-से लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

  • मसल्स टोन में कमी (Decreased muscle tone)
  • चलने में कठिनाई (Difficulty walking)
  • खाने में कठिनाई
  • बार-बार गिरना (Frequent falls)
  • एब्नॉर्मल मसल्स मूवमेंट (Abnormal muscle movement)
  • व्यवहार में समस्याएं (Behavior problems)
  • मेंटल फंक्शन में कमी
  • इंकॉन्टिनेंस (Incontinence)
  • मसल्स कंट्रोल में लॉस (A loss of muscle control)
  • सीजर्स (Seizures)
  • बोलने में कठिनाई (Difficulty speaking)
  • निगलने में दिक्कत (Difficulty swallowing)
  • एमएलडी को कैसे किया जाता है डायग्नोज? (Metachromatic Leukodystrophy Diagnosis)

    गर आपके बच्चे को उपरोक्त लक्षण दिखते हैं, तो आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। डॉक्टर बीमारी के लक्षणों के बारे में पूछेंगे और फिर शारीरिक जांच भी करेंगे। इसके बाद डॉक्टर मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy) का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट (Blood test) करेंगे, ताकि एंजाइम डिफिसिएंसी का पता लगाया जा सके।

    डॉक्टर सल्फाइड के निर्माण को जांचने के लिए यूरिन टेस्ट (Urine tests) भी कर सकते हैं। इस डिसऑर्डर का जीन बच्चों को माता-पिता से मिलता है। इसकी जांच करने के लिए डॉक्टर जेनेटिक टेस्ट कर सकते हैं। चूंकि इस डिसऑर्डर के दौरान इलेक्ट्रॉनिक इम्पल्स नर्व और मसल्स तक सही तरह से नहीं पहुंच पाती है, इसलिए नर्व कंडक्शन स्टडी ( nerve conduction study) जरूरी हो जाता है। इससे नर्व डैमेज के बारे में जानकारी मिलती है। एमआरआई ( MRI) की हेल्प से ब्रेन में बनने वाले सल्फाटाइड्स (sulfatides) के बारे में जानकारी मिलती है।

    एमएलडी का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है? (Metachromatic Leukodystrophy treatment)

    मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy) का ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है। यानी इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। इस बीमारी के लक्षणों को कुछ दवाओं की सहायता से कम किया जा सकता है। वहीं थेरिपी की हेल्प से स्पीच, मसल्स मूवमेंट और जीवन की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है। कुछ लोगों को बोन मैरो (Bone marrow) या कॉर्ड ब्लड ट्रांसप्लांट की सहायता भी किया जा सकता है। थेरिपी की हेल्प से एंजाइम शरीर में पहुंचाया जाता है, जो शरीर में उपलब्ध नहीं होता है। ये भविष्य में नर्वस सिस्टम में होने वाले डैमेज को कम करता है।

    बोन मैरो ट्रांसप्लांट (bone marrow transplant) के साथ ही कुछ रिस्क भी जुड़े होते हैं। कई बार ट्रांसप्लांट सेल्स का रिजेक्शन भी हो जाता है। कुछ लोगों में ट्रांसप्लांट की गई कोशिकाएं अटैक करने की कोशिश करती हैं। ऐसे में फीवर (Fever), रैश, डायरिया (Diarrhea), लिवर डैमेज, लंग डैमेज आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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    एमएलडी (MLD) एक प्रोग्रेसिव डिजीज है। अगर बीमारी का सही समय पर इलाज न काराया जाए, तो लक्षण समय के साथ बढ़ते जाते हैं। जिन लोगों को ये बीमारी होती है, वो समय के साथ मसल्स लॉस के साथ ही मेंटल फंक्शन से संबंधित परेशानियां शुरू हो जाती हैं। अर्ली एज में होने पर ये बीमारी तेजी से बढ़ती है। देर से बीमारी का निदान होने पर मौत का खतरा बढ़ जाता है। अगर किसी बच्चे या एडल्ट में इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं, तो डायग्नोज के बाद करीब 20 से 30 साल तक जीने की संभावना होती है। आपको इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए।

    क्या मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी से बचा जा सकता है?

    जैसा कि आपको पहले बताया गया कि ये बीमारी रेयर होती है और फैमिली में किसी सदस्य या फिर माता-पिता से ये बीमारी बच्चे को मिलती है। इस बीमारी से बचना मुश्किल है लेकिन अगर फैमिली में किसी को एमएलडी (MLD) की समस्या है, तो ऐसे में जेनेटिक टेस्ट कराना जरूरी है। अगर कोई इस बीमारी का कैरियर है, तो आगे आने वाले बच्चे में इस बीमारी के संबंध में जानकारी मिल सकती है। आपको इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए।

    हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Metachromatic Leukodystrophy)  के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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