मैस्टाइटिस स्तन के ऊत्तकों में होने वाली सूजन है। यह कभी भी गंभीर इंफेक्श का रूप ले सकती है। जिसका समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। नहीं तो यह इंफेक्शन ब्रेस्फीड के दौरा शिशु को भी हाे सकता है।
मैस्टाइटिस के लक्षण
- स्तनों का हेवी महसूस होना
- स्तनों में दर्द महसूस होना
- स्तनों में सूजन होना
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दूध कम मात्रा में बनना
रिलैक्टेशन के समय कई मांओं को यह समस्या आती है कि उनमें दूध की सही मात्रा नहीं बन पाती है। जिस कारण भी शिश अच्छे से फीड नहीं कर पाता है। कुछ महिलाओं में पर्याप्त दूध न बन पाने का कारण हॉर्मोनल प्रॉब्लम होता है। कुछ ऐसी भी मां होती हैं, जिन्होंने कुछ कारणों से प्रेग्नेंसी के बाद स्तनपान करवाया ही न हो और उनमें मिल्क डक्ट्स डेवलप ही नहीं हए हों। इसलिए उन महिलाओं के स्तनों से कम मात्रा में दूध बनता है। वैसे स्तनों से दूध कम आना कोई गंभीर समस्या या बीमारी का संकेत नहीं है। रिलैक्शन के समय यह परेशानी आती ही है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि एक अंतराल में स्तनपान रुका हुआ है। इसके मां के कम दूध बनने का एक कारण यह है कि उन्हें उचित मात्रा में दूध पोषक युक्त आहार नहीं लेना। मां के शरीर में किसी मात्रा में दूध बन रहा है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उनकी डायट कैसी है।
ब्रेस्टफीडिंग के टिप्स (Breastfeeding Tips)

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मांओं को कुछ बाताें का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे कि:
रिलैक्टेशन के लिए आप तैयार हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि आपका बच्चा भी तैयार हो। तो एकदम से उससे यह उम्मीद न रखें कि वो बॉटल फीड छोड़कर ब्रेस्टफीड करने लगेगा। उसे धीरे-धीरे तैयार करें।
ब्रेस्टफीड कराने से पहले हाइजीन का पूरा ध्यान रखें।
मां अपने डायट में उन सभी फूड्स को शामिल करें। जिसके सेवन से आपके शरीर में दूध अच्छी मात्रा में बनें और शिशु को सभी जरूरी पोषक तत्व भी मिले।
- मां से दूध से शिशु के लिए कई हेल्थ बेनेफिट्स हैं, जैसे कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। इसके अलावा ब्रोंकाइटिस,एक्जिमा और निमोनिया जैसी बीमारी से बचाव होता है।
- मां के दूध में पाया जाने वाला पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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ब्रेस्ट पम्प (Breast Pump)की सहायता लें
अगर मां दोबारा से रिलैक्टेशन यानी कि ब्रेस्टफीड शुरू करना चाहती हैं और आपका शिशु इसके लिए नहीं तैयार है, तो आप ब्रेस्ट पम्प (Breat Pump) की सहायता ले सकती हैं। ब्रेस्ट पम्प से दबाव यानी कि वैक्यूम की साहयता से ब्रेस्ट मिल्क को एकत्रित कर के बाॅटल फीड कराया जा सकता है। ब्रेस्ट पम्प, दो प्रकार के होते हैं, मैन्युअल और इलैक्ट्रीक ब्रेस्ट पम्प। अगर आपके पास समय की कमी है, तो आप इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पम्प का चुनाव करें।