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शिशुओं में फोड़े फुंसी का ऐसे करें इलाज

शिशुओं में फोड़े फुंसी का ऐसे करें इलाज

शिशुओं में फोड़े फुंसी का दर्द किसी से छुपा नहीं है। कई बार इस समस्या से छोटे बच्चे भी काफी परेशान होते हैं। बड़ों से ज्यादा फोड़े और फुंसियां बच्चे को होती हैं। ऐसे में माता-पिता शिशुओं में फोड़े फुंसी को लेकर परेशान होते हैं। इस बारे में डफरिन हॉस्पिटल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा.सलमान ने हैलो स्वास्थ्य को बताया, “शिशुओं में फोड़े फुंसी की समस्या एक साल से ऊपर के बच्चों में ज्यादातर देखी गई है। इसके होने के बाद उस जगह पर खुजली और जलन के साथ दर्द भी होता है। बच्चे जब फुंसियों को खुजली कर देते हैं तो वह और भी ज्यादा फैलने लगता है।  हम आपको बताते हैं कि शिशुओं में फोड़े फुंसी किन कारणों से होती हैं और इनका इलाज क्या है?

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शिशुओं में फोड़े फुंसी क्या है?

फोड़े या फुंसी एक प्रकार का बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial Infection)है, जो स्टेफिलोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बैक्टीरिया को स्टैफ भी कहते हैं। आपको पता है कि इंसानी शरीर पर बाल और रोम होते हैं। यह बैक्टीरिया रोम छिद्रों में पहुंच कर संक्रमण फैलाता है। फोड़े-फुंसी होने में सबसे पहले छोटे लाल दाने निकलते हैं। जो धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं। इसके बाद लाल दाने का मुंह पीला या सफेद होने लगता है। यह सफेद या पीला द्रव्य पस (Pus) कहा जाता है। पस कुछ समय बाद फोड़े-फुंसियों से रिसने लगता है।

शिशुओं में फोड़े फुंसी होने के कारण?

अमूमन शिशुओं में फोड़े फुंसी स्टैफ बैक्टीरिया के कारण होते हैं। लेकिन, फोड़े होने के और भी कई कारण हैं।

  • बच्चे के गालों को अगर कोई भी किस करता है तो उसे संक्रमण हो सकता है। जिससे बच्चे को फोड़े-फुंसियां निकल जाते हैं।
  • बच्चे के गालों को अगर खुरदुरे कपड़े से साफ किया जाता है तो भी फोड़े-फुंसियां हो जाती हैं।
  • कई बार बच्चे के कपड़ों को स्ट्रांग डिटर्जेंट पाउडर से धुला जाता है तो बच्चे को इससे एलर्जी हो जाती है। जिससे उसे फोड़े-फुंसियां निकलने लगती है।
  • बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो सकता है बच्चों में फोड़े फुंसियों का कारण
  • लंबे समय तक अस्पताल में रहने से भी बच्चों को फोड़े फुंसियों की समस्या हो सकती है
  • गंदगी से रहना भी है फोड़ फुंसियों की समस्या का बड़ा कारण
  • इंफेक्शन वाले लोगों के संपर्क में आना

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शिशुओं में फोड़े फुंसी होने के लक्षण?

शरीर में जहां पर भी फोड़े या फुंसी होने होंगे उस स्थान पर शुरू में दर्द होगा। फिर लाल रंग के छोटे दाने हो जाते हैं। इसके बाद, वह दाने धीरे-धीरे बड़े हो जाते हैं। फिर उनमें पस भर जाता है। जिस वजह से फोड़े-फुंसियों में जलन और खुजली होने लगती है।

शिशुओं में फोड़े फुंसी का इलाज

बच्चे को ज्यादा फोड़े-फुसियां होने पर डॉक्टर को दिखाएं। लेकिन, फोड़े-फुंसियों के आप घरेलू इलाज भी कर सकते हैं, जिससे न सिर्फ दर्द से राहत मिलती है बल्कि फोड़े-फुंसियां ठीक भी जल्दी होते हैं। नीचे कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में बताया गया है।

नीम

नीम को एक एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक माना जाता है । नीम की पत्तियों को पानी में उबाल कर ठंडा कर के छान लें। उस पानी को बच्चे के नहाने वाले पानी में मिला कर नहलाएं। ऐसा करने से बच्चों को फोड़े फुंसियों की समस्या में निजात मिलता है और साथ ही त्वचा की अन्य समस्याएं भी दूर हो सकती है।

चंदन

चंदन की तासीर ठंडी होती है । चंदन और मां के दूध को मिला कर लेप बना लें और फोड़े से प्रभावित स्थान पर लगाएं। फोड़े में होने वाले जलन से राहत मिलेगी। इसके अलावा चंदन के इस्तेमाल से भी त्वचा को कई फायदे होते हैं। चंदन से त्वचा की रंगत में निखार आता है और साथ ही त्वचा का पोषण भी मिलता है।

एलोवेरा

फुंसियों (Acne) के लिए एलोवेरा को रामबाण के समान माना गया है । एलोवेरा के जेल को निकाल कर उसमें थोड़ी हल्दी मिला लें। इस मिश्रण को गर्म कर के बच्चे के प्रभावित स्थान पर लगा लें। इससे फुंसियों में दर्द से राहत के साथ उनके निशान भी मिटाने में मदद मिलती है।

अमरूद की पत्तियां

अमरूद की पत्तियां फोड़े को अपने आप पक कर फूटने में मदद करती है। अमरूद की पत्तियों को पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फोड़े पर लगाएं।

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शिशुओं में फोड़े फुंसी के इलाज के लिए चीरा लगाने की जरूरत कब पड़ती है

फोड़े फुंसियां यूं तो बहुत आम समस्या है और इसके लिए ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है। अधिकांश मामलों में यह खुद ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन, कई बार फोड़े फुंसियों की समस्या बढ़ जाएं, तो इनका इलाज कराने की भी जरूरत पड़ सकती है। आम तौर पर कुछ समय के बाद खुद ही इनका मवाद निकल जाता है और ये ठीक होना शुरू हो जाती हैं। लेकिन, कई बार इसके लिए चीरा लगाने की भी जरूरत हो सकती है। चीरा देने की जरूरत तब होती है जब फोड़े फुंसियों में दर्द काफी बढ़ जाता है और साथ ही मवाद भी भरने के साथ-साथ सूजन भी हो जाती है। ऐसे में मरीज को एनेस्थीसिया देने के बाद प्रभावित जगह पर चीरा लगाया जाता है।

होम ट्रीटमेंट के जरिए मिल सकती है शिशुओं में फोड़े फुंसी से राहत

अगर बच्चे को फुंसी से राहत नहीं मिल रही है तो आपको होम ट्रीटमेंट के दौरान ही कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए ताकि बच्चा जल्द ठीक हो जाए।

नहलाते वक्त रखें ध्यान

बच्चे को नहलाते वक्त आपको बहुत ध्यान रखने की जरूरत है। बच्चे की स्किन बहुत सॉफ्ट होती है। अक्सर लोग बच्चे की स्किन में वहीं सोप लगाते हैं जो खुद यूज करते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। बच्चे को नहलाते वक्त या तो आप बिल्कुल भी सोप न लगाएं और अगर सोप का यूज कर रहे हो तो माइल्ड सोप का प्रयोग करें। आप चाहे तो सोप फ्री क्लीजनर का यूज भी कर सकते हैं। आप इस बारे में बाल रोग विशेषज्ञ से भी राय ले सकते हैं।

कुछ प्रोडक्ट को करें अवॉइड

बच्चों को नहलाने के बाद उन्हें अच्छे से ड्राई होने पर ही कपड़े पहनाएं। कपड़ों या फिर स्किन में गीलापन नहीं रहना चाहिए। ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमास बिल्कुल न करें जिसमे रेटिनोइड्स हो। आपको समझने चाहिए कि जो प्रोडक्ट एडल्ट यूज करते हैं,वो बच्चों की स्किन के अनुसार नहीं बनाएं जाते हैं। अगर आप उन्हें यूज करेंगी तो बच्चे को समस्या हो सकती है।

न करें स्क्रब

बच्चों की स्किन को ड्राई करने के लिए हल्के हाथों से स्किन का पानी पोछें। स्किन को स्क्रब न करें वरना फुंसी में दर्द हो सकता है। स्किन में बेहतर होगा कि आप लोशन न लगाएं वरना समस्या बढ़ भी सकती है। आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करें कि स्किन में क्या लगाना चाहिए और क्या नहीं। शिशुओं में फोड़े फुंसी की समस्या अपने आप कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है। अगर आपको कुछ दिनों बाद भी कोई फर्क न दिखे तो डॉक्टर से जांच जरूर कराएं।

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शिशुओं में फोड़े फुंसी होने पर रखें इन बातों का ध्यान

  • फोड़े-फुंसियां शरीर में गंदगी के कारण होती है। इसलिए बच्चे के शरीर के साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • नहाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी में एंटीसेप्टिक लिक्विड या नीम की पत्तियों को उबाल कर मिला लें। इसी पानी से बच्चे को नहलाएं।
  • आप तैलीय भोजन ना खिलाएं। इसके साथ ही बाहर की चीजें भी ना खाएं।
  • आप ज्यादा मात्रा में फल खाएं।
  • बच्चे के चेहरे पर कोई भी कॉस्मेटिक प्रोडक्ट ना इस्तेमाल करें।
  • जहां पर भी फोड़े-फुंसियां हुई है, वहां पर ना तो रगड़ें और ना ही उसे दबाएं।
  • फोड़े-फुंसियों को ठीक होने में वक्त लगता है। इसलिए धैर्य बना कर रखें और उसे ठीक होने दें।

इन सभी बातों को अपना कर आप अपने बच्चे को होने वाले फोड़े-फुंसियों से बचा सकते हैं। घरेलू नुस्खों को अपनाने के साथ ही आप डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं। शिशुओं में फोड़े फुंसी होने पर डॉक्टर बच्चे को इंजेक्शन लगाने के साथ खाने के लिए दवाएं भी देते हैं। जिसके बाद बच्चे को राहत होती है।उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको शिशुओं में फोड़े से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

28/08/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar

Updated by: Bhawana Awasthi


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr. Shruthi Shridhar


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/08/2020

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