विकास और व्यवहार
मेरे 8 सप्ताह के शिशु का विकास कैसा होना चाहिए?
जैसा कि अब शिशु आठ सप्ताह का हो गया है, तो अब उसके मस्तिष्क का विकास भी होने लगा होगा। ये आकार के मामले में पहले तीन महीनों की अपेक्षा पांच सेमी तक बढ़ सकता है।
आप इस चरण में शिशु में कई तरह बदलाव देख सकते हैं, जैसे कि वह कई बार खेलते—खेलते अचानक गुमसुम हो जाता है। लेकिन, ये चिंता की बात नहीं है क्योंकि ये सामान्य है। आपका शिशु बढ़ने के साथ अपने आसपास के वातारण और लोगों को समझने की भी कोशिश कर रहा होता है, जब उसे अचानक से सब कुछ नया लगने लगता है, तो ऐसा होना स्वाभाविक है। इसलिए आप उससे बातें करें। भले ही वो आपकी बातें न समझ पाएं, लेकिन, वे आपकी आवाज और इशारों को समझने की कोशिश करेगा।
- इस सप्ताह आप शिशु में इस तरह के बदलाव नोटिस कर सकती हैं, जैसै कि:
- वह पेट के बल लेटकर सिर को 90 डिग्री तक उठा सकता है ।
- वह अपने सिर को स्थिर रख सकता है।
- वह दोनों हाथों को एक साथ उठा सकता है।
- कई बार वह अचानक गुमसुम हो सकता है। वास्तव में ऐसा तब होता है जब बच्चे कुद देख और सीख रहे होते हैं।
मुझे 8 सप्ताह के शिशु के विकास के लिए क्या करना चाहिए?
यह समय आपके शिशु के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस समय का उपयोग आप शिशु को नई—नई चीजें सिखाने के लिए करना चाहिए। आप उसे बोलना, गाना या तस्वीरों को पहचानने जैसी चीजें सीखा सकती हैं। आप डायपर बदलते समय शिशु से बातें करें, उसे बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। यह बहुत ही आसान और प्रभावशाली तरीका है, इससे आपके शिशु में संवाद की क्षमता विकसित होगी।
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स्वास्थ्य और सुरक्षा
मुझे डॉक्टर से क्या बात करनी चाहिए?
इस सप्ताह डॉक्टर शिशु की कुछ इस तरह की जांचे कर सकते हैं, जैसे कि:
- स्टेथोस्कोप के माध्यम से दिल की धड़कन चेक कर सकते हैं।
- पैर, पेट और हिप्स की जांच कर सकते हैं।
- हाथ और पैर के सही विकास की जांच कर सकते हैं।
- पीठ और रीढ़ की जांच कर सकते हैं।
- मुंह और गले में होने वाले संक्रमणों की जांच कर सकते हैं।
- बगल और मांथे की त्वचा की जांच कर सकते हैं।
- सांस लेने में शिशु को कोई दिक्कत तो नहीं, इसकी जांच कर सकते हैं।
- शिशु की त्वचा का रंग, चकत्तों और बर्थ मार्क्स की जांच कर सकते हैं।
- इसके अलावा शिशु के विकास और इससे जुड़े शारीरिक और मानसिक बदलावों की भी जांच कर सकते हैं।
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मुझ किन बातों की जानकारी होनी चाहिए?
यहां दी गई कुछ जानकारियों का आपको विशेष ख्याल रखना होगा, जैसे कि:
खतना
आजकल शिशुओं को कुछ संक्रमणों से बचाने के लिए डॉक्टर शिशु की खतना करने की सलाह देते हैं। इस दौरान शिशु को कुछ मात्रा में रक्तस्राव और दर्द हो सकता है। इस स्थिति में आपको शिशु का खास ध्यान रखना होगा, जैसे की खतना के पहले दिन डबल डायपर का इस्तेमाल करें। यह शिशु के लिंग को पैरों के दबाव से बचाए रखेगा। शिशु के उस हिस्से को साफ़ रखें और जब तक जख्म न भरे पानी से दूर रखें।
हिचकी
कुछ शिशुओं में जन्मजात से हिचकी की समस्या हो सकती है। इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि स्तनपान के दौरान कुछ शिशु दूध मुंह से गिराते हुए पीते हैं, और इसकी जगह यह दूध के साथ हवा भी निगलते हैं, जो कि हिचकी का कारण बनता है।
छींक आना
कुछ एमनियोटिक द्रव और श्वसन में अतिरिक्त बलगम होना शिशुओं में एक बहुत ही सामान्य समस्या है। बार-बार छींकने के साथ नवजात शिशु के अंदर जमा बलगम भी शरीर से बाहर निकल जाता है। कुछ शिशुओं को धुप के संपर्क में आने से भी छींक आ सकती है।
बच्चे की आँखें
कई बार यदि आपको यह लगे कि आपके शिशु की आंखे पलट गई हैं, तो चिंता न करें। दरअसल, ज्यादातर मामलों में, यह शिशु की आंखों के अंदरूनी कोनों पर त्वचा की अतिरिक्त लेयर है, जो शिशुओं को क्रॉस-आइड लुक देती है। जैसे—जैसे शिशु बढ़ता है यह त्वचा पीछे होती जाती है और समय के साथ सामान्य हो जाती हैं।
शुरूआती कुछ महीनों के दौरान आपको यह भी महसूस हो सकता है कि शिशु की आँखे हर समय सही ढंग से काम नहीं कर रही हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आंखो की मासपेशियां कमजोर होती हैं और शिशु के आंखों की क्षमता विकसित हो रही होती है। शुरुवाती तीन महीनों के दौरान यह प्रक्रिया चलती रहती है। लेकिन अगर हमेशा आपको शिशु की आँखे बाहर की और दिखाई दें, तो एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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महत्वपूर्ण बातें
मुझे किन बातो का ख्याल रखना चाहिए?
स्तनपान कराने की अवधि को कम करने के लिए पैसिफायर का उपयोग किया जाता है। जब आप किसी काम में व्यस्त हों और स्तनपान करने की स्थिति में न हो, तब पैसिफायर आपका काम आसान कर सकता है। कई माताओं को यह भ्रम है की पैसिफायर स्तनपान की आदत छुड़ा देता है,लेकिन कई अध्ययन बताते की यह धारणा गलत है। यह पूरी तरह से आपके नियंत्रण में है। लेकिन फिर भी शिशु को इसका आदि न होने दें, क्योंकि अगर शिशु को इसकी आदत हो जाए, तो छुड़ाना काफी मुश्किल होता है।
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जब भी आप अपने शिशु को बाहर ले जाने की तैयारी कर रहीं हों, तो उसे मौसम के अनुसार कपड़े पहनाएं। मौसम में बदलाव की संभावना होने पर शिशु को अच्छे से ढांक लें। ज्यादा गर्म या ठंडे मौसम में शिशु के साथ बाहर कम निकलें। शिशु को सीधे धुप के संपर्क में न लाएं और कार में सफर करते समय शिशु की सीट पर सही से बैठने की व्यवस्था करें। आप शिशु बेल्ट का उपयोग भी कर सकती है,जिससे शिशु के गिरने या अन्य हादसे की संभावना को कम किया जा सकता है।
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