क्या मुझे रात में बच्चे का डायपर बदलना चाहिए?
रात के समय डायपर न बदलने से बच्चे और आपकी दोनों की नींद प्रभावित हो सकती है। इसके साथ ही रात भर बच्चे की त्वचा पेशाब में गीली रहने के कारण संक्रमित भी हो सकती है जिसके कारण बेबी रैश होने का खतरा बढ़ जाता है। डायपर रैश के कारण शिशु के कूल्हों की त्वचा पर जलन, खुजली, लालिमा और दर्द होने लगता है। इसके विपरीत अगर रात के समय आप बच्चे का डायपर बदलते हैं तो उससे डायपर रैश होने की आशंका कम हो जाती है। लेकिन इसके कारण आपकी और आपके बच्चे दोनों की नींद खराब भी हो सकती है।
यानी की यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है की आप रात के समय बच्चे के डायपर बदलना चाहते हैं या नहीं। ऐसा करने के लिए सभी फायदों और नुकसान के बारे में अच्छे से सोच लें। अगर शिशु को सोते हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है तो आप उसके डायपर को बदल सकते हैं। ज्यादातर पेरेंट्स डायपर रैशेज होने के डर से रात के समय बच्चे का डायपर जरूर बदलते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे को बेबी रैश से बचाना चाहते हैं तो नियमित रूप से उसके डायपर को रात व दिन दोनों समय बदलते रहें।
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रात के समय बच्चे का डायपर कितनी बार बदलना चाहिए?
रात के समय बच्चे का डायपर केवल तभी बदलना चाहिए जब वह पूरी तरह से गीला या पॉटी से भर गया हो। इसके अलावा बच्चे के डायपर बदलने की अवधि इस बात पर भी निर्भर करती है की आप किस प्रकार के डायपर का इस्तेमाल कर रहे हैं। रात के समय अधिक सोखने वाले डायपर का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होता है। इसके साथ ही बच्चे के सोने से पहले उसे फ्रेश और नया डायपर पहनाएं।
डायपर बदलने की प्रक्रिया
बच्चों के डायपर बदलना कुछ लोगों को बेहद मुश्किल लगता है। हालांकि, अगर सही तरिके से किया जाए तो यह एक आसान प्रक्रिया है। बच्चे को डायपर पहनाने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें –