परिचय
एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) क्या है?
एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) देखने में तो ऑटिज्म जैसा होता है लेकिन ये उससे थोड़ा अलग है। यह सिंड्रोम बच्चों में देखा जाता है। जिन बच्चों को एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) होता है, वे समाज में घुलना-मिलना ज्यादा पसंद नहीं करते। उन्हें दूसरों से बात करने में परेशानी होती है। ऐसे बच्चे किसी एक ही चीज को करते रहते हैं। वे एक ही बात को बार-बार दोहराते हैं। हालांकि दिखने में ये आम बच्चों जैसे ही होते हैं। साल 2013 में, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि यह एक मेंटल डिसऑर्डर है। जिसके अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं।
एस्पर्जर को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर भी कहा जाता है। एस्पर्जर से पीड़ित कुछ बच्चों को बोलने और लिखने में परेशानी हो सकती है। लेकिन सामान्य बुद्धि होती है। अगर बचपन में ही इस बीमारी का इलाज नहीं करवाया गया तो यह युवावस्था तक बनी रहती है। ऐसे लोगों को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
और पढ़ें : एड्स पीड़ित व्यक्ति की स्थिति बता सकता है CD 4 टेस्ट
एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) का नाम ऑस्ट्रियाई बाल रोग विशेषज्ञ डॉ हंस एस्पर्जर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने पहली बार 1944 में इस बीमारी के बारे में बताया था। एक प्रसिद्ध इंजीनियर, लेखक, और प्रोफेसर डॉ टेंपल ग्रैंडिन एस्पर्जर सिंड्रोम से पीड़ित हैं। उनका कहना है कि इस बीमारी ने उनके पेशेवर जीवन को बेहतरीन बना दिया। उनके जीवन की कहानी को एक फिल्म में दिखाया गया था, जो 2010 में प्रदर्शित हुई थी। इस बीमारी को कुछ डॉक्टर सकारात्मक रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि यह बीमारी जीवन के कई क्षेत्रों में आपको सफलता दिला सकती है। क्योंकि इस बीमारी से पीड़ित लोग जुनूनी होते हैं।
कारण
एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger’s Syndrome) का कारण क्या है?
एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) ऑटिस्टिक बीमारी जैसी ही होती है। इसके कारण भी ऑटिज्म के कारणों के समान होते हैं। ऑटिस्टिक और एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) के कारणों के पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। डॉक्टर्स का मानना है कि यह बीमारी आनुवांशिक होती है। पैदा होते ही बच्चों में एस्पर्जर के लक्षण देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि बच्चों को एस्पर्जर सिंड्रोम, गर्भावस्था के समय होने वाले जोखिमों से हो सकता है।
और पढ़ें : गर्भावस्था में चिया सीड खाने के फायदे और नुकसान
बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) के लक्षण को कम करने के लिए परिवार उनकी मदद कर सकता है। इसमें वो डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। कुछ डॉक्टर का मानना है कि ये बीमारी वैक्सीन यानी टीका लगवाने से ठीक हो सकती है। जैसे खसरे के टीके और थिमेरोसल के टीके का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
परिवार के माहौल का भी बच्चों के दिमाग पर असर पड़ता है। अगर वो किसी तरह के नकारात्मक माहौल में रह रहा है तो उसकी ये बीमारी बढ़ सकती है। आगे चलकर ये बीमारी एंग्जाइटी और डिप्रेशन में बदल सकती है। बच्चे को एंग्जाइटी न हो, इसके लिए आपको बचपन में ही इलाज करवाना जरूरी है। एस्पर्जर सिंड्रोम, लड़कियों की तुलना में लड़कों में पांच गुना ज्यादा देखा गया है। हाल के सालों में, अमेरिका में एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) से पीड़ित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वृद्धि का कारण पूरी तरह से साफ नहीं है। एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) हर 1,000 बच्चों में से ढाई को प्रभावित करता है।
और पढ़ें : गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम की समस्या से कैसे बचें?
लक्षण
एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
- एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण बचपन में ही दिखने लगते हैं। इस बीमारी के लक्षण ऑटिस्टिक बीमारी जैसे हो सकते हैं। अगर आपके बच्चे को एस्पर्जर सिंड्रोम है तो आप देख पाएंगे कि वो किसी से नजरें मिलाकर बात करने में घबराएगा।
- वो सामाजिक गतिविधियों में भाग नहीं लेगा। उसे ये भी नहीं पता होता कि अगर कोई उससे बात करता है तो उसे क्या कहना है।
- एस्पर्जर सिंड्रोम से जूझ रहे बच्चे लोगों की बॉडी लैंग्वेज या उनके चेहरे के हाव-भाव को नहीं समझ पाते हैं। जैसे अगर कोई गुस्सा कर रहा है या खुशी जता रहा है तो उन्हें दोनों में फर्क नहीं समझ आएगा।
और पढ़ें : गर्भावस्था में मतली से राहत दिला सकते हैं 7 घरेलू उपचार
- एक और लक्षण यह है कि आपका बच्चा कुछ ही भावनाओं यानी फीलिंग को दिखा सकता है। जब अपनी खुशी नहीं दिखा पाएगा और न ही किसी के मजाक पर उसे हंसी आएगी।
- इसके अलावा उसके बोलने का तरीका भी रोबोटिक होगा। वो बिना भावों के अपनी बात रखेगा।
- एस्पर्जर सिंड्रोम वाले बच्चे बहुत देर तक किसी एक ही टॉपिक पर बात कर सकते हैं। साथ ही वो बार—बार एक ही बात खुद से बोलता रहेगा। खासकर उस विषय पर, जिसमें उसकी रुचि हो।
- ऐसे बच्चों को बदलावा बिल्कुल नहीं पसंद है। बदलाव होने पर वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। जैसे वह हर दिन नाश्ते में एक ही खाना खा सकते हैं। या स्कूल के दिनों में एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने में उन्हें परेशानी हो सकती है।
- ऐसे बच्चे औरों से अलग होने के साथ बुद्धिमान भी होते हैं। हालांकि उनके लिए जूतों के फीते बांधना भी मुश्किल हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि वे चलते समय अपने हाथों को बिल्कुल न हिलाएं।
- ऐसा भी हो सकता है कि उनकी म्यूजिक, मैथ और कंप्यूटर साइंस जैसे मुश्किल विषयों में उनकी बहुत दिलचस्पी हो। वो इन क्षेत्र में अपना नाम बना सकते हैं।
और पढ़ें : कितना सामान्य है गर्भावस्था में नसों की सूजन की समस्या? कब कराना चाहिए इसका ट्रीटमेंट
इलाज
एस्पर्जर सिंड्रोम का इलाज क्या है?
- एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) के इलाज दवाओं से नहीं किया जा सकता है। हालांकि बच्चे को ठीक करने में डॉक्टर आपकी मदद जरूर कर सकते हैं। एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) के लक्षणों को कम करने के लिए मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
- अगर बच्चा चिंता या अवसाद में है तो सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRI) दवाओं का उपयोग किया जाता है। बच्चों के लक्षण के हिसाब से डॉक्टर इलाज शुरू करते हैं।
- वे माता-पिता से कह सकते हैं कि बच्चों को ऐसे माहौल में रखें जहां शांति हो। साथ ही उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।
- डॉक्टर, पैरेंट्स की मदद से बच्चे को कुछ कौशल भी सिखा सकते हैं। जैसे लोगों से बात करने का तरीका, भाषा का ज्ञान, लोगों की बॉडी लैंग्वेज को समझना आदि।
और पढ़ें : गर्भावस्था में राशि के अनुसार खाएं फूड, ये होंगे फायदे
- भाषा के सुधार में बच्चा सीखता है कि कैसे फ्लैट टोन के बजाय अपनी भाषा में भावनाओं को व्यक्त किया जाए। साथ ही बॉडी का भी इस्तेमाल करना सिखाते हैं।
- कुछ थेरेपी में बच्चे को सोचना भी सिखाया जाता है। इससे वह एक ही बात को बार-बार दोहराए जाने वाली अपनी आदत को बदल पाएगा।
- परिवार बच्चे का सबसे अच्छा काउंसलर होता है। वे उसे सिखाने के घर पर ही उस माहौल को बना सकते हैं। बच्चे की मानसिक स्थिति को समझकर उसका हौसला बढ़ाना चाहिए।
- एफडीए की ओर से एस्पर्जर सिंड्रोम के लिए कोई भी दवा नहीं बताई गई है। कुछ दवाओं से अवसाद और चिंता जैसे लक्षणों को कम कर सकते हैं।
- सही उपचार के साथ, आपका बच्चा अपने सामने आने वाली कुछ सामाजिक चुनौतियों को नियंत्रित करना सीख सकता है। वह स्कूल में अच्छा कर सकता है और जीवन में सफल हो सकता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। इस आर्टिकल में हमने आपको एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंग।
[embed-health-tool-vaccination-tool]