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मनोरोग आपको या किसी को भी हो सकता है, जानें इसे कैसे पहचानें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/10/2020

    मनोरोग आपको या किसी को भी हो सकता है, जानें इसे कैसे पहचानें

    मनोरोग (Mental Illness) जिन्हें मानसिक विकार और दिमाग की बीमारी भी कहा जाता है, आपकी भावनाओं, व्यवहार, मूड और सोचने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। इनकी वजह से धीरे-धीरे आपकी दैनिक दिनचर्या पर असर पड़ता है और यहां तक कि एक दिन आपकी जिंदगी को यह बहुत बड़े पैमाने पर नियंत्रित करने लगता है। मनोरोग इतना खतरनाक हो सकता है, कि यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। मनोरोग को मेंटल डिसऑर्डर (Mental Disorder) भी कहा जाता है। इस आर्टिकल में आप मनोरोग से जुड़ी जरूरी बातें और मनोरोग या मानसिक विकार को कैसे पहचाना जाए यह भी जानेंगे।

    कौन-कौन सी दिमाग की बीमारी मनोरोग या मानसिक विकार (Mental Disorder) होती हैं?

    मनोरोग या मानसिक विकार कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनकी उत्पत्ति या परेशानी अलग-अलग हो सकती है। आमतौर पर, मनोरोग में असामान्य विचारों, नजरियों, भावनाओं, व्यवहारों और संबंधों का मेल होता है। आजकल के व्यस्त जीवनशैली और कामकाजी दबाव की वजह से किसी को भी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि कोई भी मानसिक समस्या मनोरोग या मेंटल डिसऑर्डर कब बनती है? दरअसल, जब किसी भी मानसिक समस्या के संकेत या लक्षण आपकी दैनिक कार्यक्षमता में कमी और तनाव का कारण बन जाते हैं, तो वो मनोरोग बन जाते हैं। दिमाग की बीमारी के कारण आपकी जिंदगी में कई समस्याएं आ सकती हैं और ऑफिस में काम या किसी भी रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

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    मनोरोग के प्रकार और उदाहरण के बारे में जानते हैं…

    • मूड डिसऑर्डर – डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर आदि
    • एंग्जाइटी डिसऑर्डर – पैनिक डिसऑर्डर या फोबिया आदि
    • ईटिंग डिसऑर्डर – बिंज ईटिंग डिसऑर्डर, बुलिमिया नर्वोसा आदि
    • पर्सनालिटी डिसऑर्डर – एंटी-सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर, पैरानॉयड पर्सनालिटी डिसऑर्डर आदि
    • इंपल्स कंट्रोल एंड एडिक्शन डिसऑर्डर – पैरोमेनिया, क्लेप्टोमेनिया (kleptomania) आदि
    • साइकोटिक डिसऑर्डर – सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia), डिल्यूशनल डिसऑर्डर (Delusional Disorder) आदि
    • ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) – कीटाणुओं के अकारण डर से बार-बार हाथ धोना आदि
    • डिसोसिएटिव डिसऑर्डर (Dissociative Disorder) – मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, स्प्लिट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर आदि
    • स्ट्रेस रिस्पाॅन्स सिंड्रोम/एडजस्टमेंट डिसऑर्डर – किसी निश्चित तनावग्रस्त स्थिति में व्यवहारात्मक और भावनात्मक बदलाव
    • पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) – किसी निश्चित अनहोनी के बाद भावनाहीन हो जाना
    • फैक्टिशस डिसऑर्डर (Factitious Disorder) – जानबूझकर खुद को मनोरोग से ग्रसित व्यक्ति दिखाना
    • सोमेटिक सिंपटम डिसऑर्डर (Somatic Symptom Disorder) – किसी बीमारी के शारीरिक लक्षण या दर्द से अत्यधिक परेशान होना, हो सकता है कोई बीमारी हो ही न।
    • सेक्शुअल एंड जेंडर डिसऑर्डर – सेक्शुअल डिस्फंक्शन, जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर आदि।
    • टिक डिसऑर्डर (Tic Disorder) – टॉरेट सिंड्रोम (Tourette syndrome)

    हमने ऊपर मनोरोग के प्रकारों और उनके एक-दो बीमारियों के उदाहरणों के बारे में जाना। आइए, अब कुछ मुख्य मानसिक विकारों के बारे में जानते हैं। जैसे-

    डिप्रेशन (Depression) या अवसाद मनोरोग

    डिप्रेशन या अवसाद मनोरोग सबसे आम दिमागी बीमारी है। जो न सिर्फ आपको व्यवहारत्मक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है, बल्कि आपकी दैनिक कार्यक्षमता के ऊपर भी बुरा असर डालता है। आजकल इस मनोरोग से महिलाओं, पुरुष या बच्चे कोई भी अछूता नहीं रहा है। इस बीमारी ग्रसित व्यक्ति उदास, आत्मगिलानी, दिलचस्पी में कमी, खुद को कम आंकना, अपर्याप्त नींद, थकान और ध्यान में कमी की समस्याओं का सामना करता है। डिप्रेशन किसी भी स्थिति या व्यक्ति के कारण हो सकता है, जो कि आपको कई शारीरिक समस्याओं का भी शिकार बना सकता है। इसकी अवधि लघु व दीर्घ दोनों हो सकती है। अवसाद मनोरोग के उपचार के लिए कई थेरेपी मौजूद हैं, जिनकी मदद से इसे कम या खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा, एक्सरसाइज करने से भी डिप्रेशन से राहत मिलती है।

    डिमेंशिया (Dimentia) मेंटल डिसऑर्डर/ भूलने की दिमागी बीमारी

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    डिमेंशिया या भूलने का मनोरोग काफी लंबे समय से हो रहा या प्रगतिशील मानसिक विकार है। जिसमें, व्यक्ति की याद्दाश्त बहुत कमजोर हो जाती है और वह चीजें भूलने लगता है। कई बार, डिमेंशिया से ग्रसित व्यक्ति की हालत इस स्तर तक भी पहुंच सकती है कि, वह अपने परिवार के लोगों का नाम व शक्ल या फिर खुद का नाम व अस्तित्व भी भूल सकता है। इसके अलावा, इस दिमाग की बीमारी में सोचने, गणित करने, याद करने, बोलने आदि की क्षमता भी कम हो सकती है। यह मनोरोग अल्जाइमर या स्ट्रोक जैसी कई बीमारी या दिमाग पर चोट लगने की वजह से हो सकता है। हालांकि, इसका अभी कोई प्रामाणिक उपचार नहीं मिल पाया है, लेकिन कुछ थेरेपी के द्वारा इससे ग्रसित व्यक्ति की जिंदगी को सुरक्षात्मक बनाने की कोशिश की जाती है।

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    ऑटिज्म (Autism) जैसे विकासात्मक विकार

    Mental Illness- मनोरोग

    ऑटिज्म जैसे विकासात्मक विकार भी मनोरोग में आते हैं, जिसकी वजह से बच्चों या किसी व्यक्ति की ज्ञानात्मक व दिमागी क्षमता कम रह जाती है। यह मेंटल डिसऑर्डर आमतौर, पर बच्चों में शुरू होता है, जो कि व्यक्ति के जवान होने या जिंदगीभर तक रह सकता है। सेंट्रल नर्वस सिस्टम के मैच्योर होने में कमी या देरी होना इस मनोरोग का कारण हो सकता है। ऑटिज्म जैसे विकासात्मक विकार में व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार, बात करने की क्षमता या भाषा या कार्यक्षमता या दिलचस्पी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस दिमाग की बीमारी में परिवार द्वारा की गई देखभाल काफी जरूरी और महत्वपूर्ण होती है।

    बायपोलर डिसऑर्डर

    वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में बाइपोलर डिसऑर्डर से 4 करोड़ 50 लाख लोग प्रभावित हैं। इस मनोरोग में मूड के मुताबिक मैनिक और डिप्रेसिव एपिसोड देखने को मिल सकते हैं। जिसमें, चिड़चिड़ापन, ओवर एक्टिविटी, रैपिड स्पीच, इंफ्लेटेड सेल्फ एस्टीम और नींद की कमी शामिल हो सकती है। जिन लोगों को सिर्फ मैनिक अटैक ही आते हैं, उन्हें भी बायपोलर डिसऑर्डर हो सकता है। हालांकि, इस मनोरोग को शुरुआती चरण में ही संयमित व उपचारित करने के लिए प्रभावी दवाएं और थेरेपी है। इस मनोरोग को ठीक करने के लिए आपको मनोचिकित्सक की मदद की भी जरूरत पड़ सकती है।

    स्किजोफ्रेनिया या अन्य साइकोटिक डिसऑर्डर

    वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक स्किजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है, जिसने दुनियाभर में करीब 2 करोड़ लोगों को शिकार बना रखा है। इस बीमारी में व्यक्ति के नजरिए, भावनाओं, भाषा, व्यवहार और सेल्फ सेंस से संबंधित विकृतियां हो जाती हैं। इसके अलावा, स्किजोफ्रेनिया जैसे मनोरोग में भ्रम व जो चीज नहीं है, उन्हें सुनने, देखने या महसूस करना आम लक्षण होता है। यह व्यक्ति को किसी भी जगह सामान्य नहीं रहने देता। इस समस्या में दवाइओं के साथ साइकोसोशल सपोर्ट प्रभावशाली होता है। ऐसे मनोरोग किशोरावस्था के आखिरी चरण से लेकर शुरुआती जवानी के दौरान होने का ज्यादा खतरा होता है।

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    सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर

    सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर को सोशल फोबिया भी कहा जाता है, जो कि सामाजिक स्थितियों की वजह से होने वाला डर होता है। इस मनोरोग से ग्रसित व्यक्ति को भीड़ में या दूसरे लोगों के सामने जाने से डर लगता है। उन्हें लगता है कि, लोग उनके प्रति कोई गलत राय न बना लें या लोगों ने उनके प्रति पहले से ही कोई गलत राय बना रखी है। ऐसे लोगों को नए लोगों से मिलने या कहीं काम करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

    मनोरोग का खतरा किसे होता है और यह किस वजह से होता है?

    मनोरोग या मानसिक विकार होना बिल्कुल सामान्य है। यह किसी भी उम्र, लिंग और वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, मनोविकार या मनोरोग होने का खतरा किसी को भी हो सकती है। हालांकि, बच्चों या कम उम्र के लोगों को इसके होने का खतरा ज्यादा होता है। इसके साथ ही आपको एक साथ दो या उससे ज्यादा मनोरोग भी हो सकते हैं। आइए, जानते हैं कि मनोरोग होने के मुख्य कारण क्या हैं।

    मनोरोग का अनुवांशिक कारण

    जिन लोगों की फैमिली में या मां-बाप को पहले कोई मनोरोग हुआ होता है, तो उन्हें इसके होने का खतरा ज्यादा होता है। कुछ निश्चित जीन आपमें मनोविकारों की आशंका बढ़ा सकते हैं और आपकी जिंदगी पर बुरा असर डाल सकते हैं।

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    जन्म से पहले पर्यावरणीय जोखिम के कारण मानसिक विकार

    जन्म से पहले अर्थात गर्भ में पर्यावरणीय स्ट्रेसर्स, टोक्सिन, एल्कोहॉल, ड्रग्स आदि के संपर्क में आने से भी मनोरोग हो सकता है।

    ब्रेन कैमिस्ट्री की वजह से मेंटल डिसऑर्डर

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    हमारे दिमाग में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर नेचुरल ब्रेन कैमिकल होते हैं, जो शरीर और दिमाग के अन्य भागों तक संकेत पहुंचाते हैं। जब इन न्यूरल नेटवर्क में खराबी आ जाती है, तो मनोरोग उत्पन्न हो सकते हैं।

    अन्य कारण-

    • दिमाग पर चोट लगने से
    • बचपन में कोई अनहोनी, शोषण या हिंसा का सामना करने से
    • कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की वजह से
    • अकेलापन या बहुत कम दोस्त होने की वजह से
    • एल्कोहॉल और ड्रग्स का सेवन करने से
    • किसी करीबी की मौत या आर्थिक समस्या जैसी किसी तनावग्रस्त स्थिति से गुजरने की वजह से

    किसी में मनोरोग या मनोविकार को कैसे पहचानें?

    मनोरोग या मनोविकार के लक्षण भी बाकी दूसरी बीमारियों की तरह उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा, बीमारी की गंभीरता के साथ मनोरोग के लक्षण बदल भी सकते हैं और पैदा भी हो सकते हैं। हालांकि, मनोरोग या मेंटल डिसऑर्डर के कुछ लक्षण सामान्य होते हैं, जो कि हर किसी प्रकार में दिख सकते हैं। इनकी मदद से आप किसी भी व्यक्ति या खुद में मनोरोग होने की आशंका या उससे जरूरी चिकित्सा लेने की जरूरत को पहचान सकते हैं। आइए, हम मनोरोग के सामान्य लक्षणों के बारे में जानते हैं।

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    बच्चों में दिखने वाले मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण-

    1. बच्चों को मनोरोग होने की वजह से लंबे समय तक चलने वाली उदासी या चिड़चिड़ापन हो सकता है।
    2. मनोविकार के कारण बच्चे की सोच काफी उलझी हुई हो सकती है।
    3. बच्चे का मूड एकदम काफी उत्सुक और एकदम काफी गंभीर हो सकता है।
    4. जिन बच्चों को मेंटल डिसऑर्डर होता है, उनके किसी भी चीज या बात को लेकर डर, चिंता या परेशानी का स्तर काफी अधिक हो सकता है।
    5. दिमाग की बीमारी होने की वजह से बच्चे समाज या भीड़ के बीच जाना छोड़ देते हैं।
    6. मनोविकार की वजह से बच्चों के खाने और सोने की आदत में अचानक परिवर्तन आने लगता है।
    7. मनोरोग से ग्रसित बच्चा अत्यधिक गुस्सा करने लगता है।
    8. मनोविकृतियों की वजह से बच्चे को किसी ऐसी चीज को महसूस या उसे देखने या उसे सुनने का आभास होता है, जो कि असल में नहीं है।
    9. मनोरोग के शिकार बच्चों में आत्महत्या करने के विचार आ सकते हैं।
    10. रोजाना की समस्याओं और दैनिक गतिविधियों का सामना करने की क्षमता में कमी भी मनोरोग की वजह से आती है।
    11. दिमागी विकारों से ग्रसित बच्चों को कई ऐसी शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जिनके बारे में वो किसी को समझा नहीं सकते।
    12. मनोरोग होने की वजह से बच्चों को शराब या ड्रग्स का सेवन करने की आदत पड़ सकती है।

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    किशोर या वयस्कों में दिखने वाले मनोरोग के लक्षण

    1. मनोरोग की वजह से किशोरों की स्कूल और वयस्कों की ऑफिस में परफॉर्मेंस में गिरावट आ सकती है।
    2. मानसिक विकारों की वजह से किशोरों या वयस्कों में भी खाने और सोने की आदत में कमी या बढ़ोतरी हो सकती है।
    3. मनोविकार होने की वजह से किशोरों या वयस्कों को आम और दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में दिक्कत हो सकती है।
    4. दिमागी समस्याओं के शिकार किशोरों या वयस्कों को कई शारीरिक समस्याओं की शिकायत हो सकती है।
    5. स्कूल या ऑफिस की जगह पर नुकसान या तोड़फोड़ कर सकते हैं।
    6. इस समस्या का सामना करने वाले किशोरों या वयस्कों में अपने वजन के बढ़ने या घटने का डर हो सकता है।
    7. मनोरोग से ग्रसित व्यक्तियों को आत्महत्या करने के खतरनाक विचार भी आ सकते हैं।
    8. मानसिक समस्या का सामना करने वाले लोगों के गुस्से का स्तर काफी बढ़ जाता है।
    9. दिमाग की बीमारी से ग्रसित किशोर या वयस्क दोस्त या परिवार वालों से दूर और अकेले रहने लगते हैं।
    10. ऐसे लोगों का व्यवहार लंबे समय तक नकारात्मक रह सकता है और आमतौर पर उनकी भूख कम हो सकती है।
    11. मनोरोग और मनोविकार की शिकायत वाले किशोरों या वयस्कों को शराब या ड्रग्स का सेवन करने की लत पड़ सकती है।
    12. इस समस्या की वजह से किशोरों या वयस्कों को खतरनाक और डराने वाले सपने में भी आ सकते हैं।
    13. मनोरोग की वजह से किशोरों या वयस्कों को हायपरएक्टिविटी की शिकायत भी हो सकती है।

    हालांकि, जरूरी नहीं कि इनमें से कोई लक्षण होने से ही किसी व्यक्ति में मनोरोग को पहचाना जा सकते है। हो सकता है कि मनोरोग से ग्रसित व्यक्ति में ऊपर बताए गए लक्षणों में एक से ज्यादा या इनमें से कोई भी लक्षण न दिखें। इसके अलावा, मानसिक विकार के शिकार बच्चों, किशोरों या वयस्कों में ऊपर बताए गए लक्षणों से अन्य लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं। लेकिन सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही सबकुछ नहीं बाताया जा सकता है। एक्सपर्ट या डॉक्टर पूरी एग्जामिनेशन करके आपको सही जानकारी देंगे। इसके लिए आपको उचित और प्रामाणिक विशेषज्ञ के पास जाकर परामर्श करना होगा। वो आपकी मदद करेगा और जरूरी होगा तो आपको दवाइयों की भी सलाह देगा।

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