ऑटिज्म का दिमाग पर असर को समझने के दौरान कई शोधकर्ताओं ने ऑटिज्म रोगियों में न्यूरोट्रांसमिटर्स खासकर दिमाग में संदेश भेजने वाले तत्व सेरोटॉनिन (Serotonin) की अधिकता देखी। इसके अलावा ऑटिज्म पर एक नए लेख में बताया गया है कि ऐसे मामलों में दिमागी सेल्स में उर्जा की कमी देखी गई, जो माइटोकॉन्ड्रिया के असामान्य व्यवहार की वजह से होती है।
ये थ्योरी जानवरों पर एक एक्सपेरिमेंट पर आधारित है, जिसमें सिद्ध किया गया कि एपीटी मेडियेटर की मदद से ऑटिज्म के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसमें 17 तरह की दवाईयों को चिन्हित किया गया, जो कई तरह के मनोविकार, बोल-चाल में पेरशानी, सामाजिक व्यवहार, डर आदि जैसे ऑटिज्म के लक्षणों को ठीक कर सकती हैं। हालांकि, अब तक इन दवाईयों का प्रयोग इंसानों पर नहीं किया गया है।
ऑटिज्म का दिमाग पर असर को लेकर एक और खोज
अब तक माना जाता था कि दिमाग के सेरेब्रल कॉर्टेक्स (Cerebral cortex) में बनी धारियां जन्म के वक्त तक पूर्ण रूप से विकसित हो जाती है। पर इस रिसर्च में यह अद्भुत खोज हुई जिसमें साइंटिस्ट्स ने पाया कि सेरेब्रल कॉर्टेक्स में बनी धारियां ऑटिज्म प्रभावित लोगों में समय के साथ-साथ गहरी होती चली जाती हैं।