ग्रोथ हॉर्मोन डिफेशिएंसी (Growth hormone deficiency) होने पर
अगर आपके बच्चे में ग्रोथ हॉर्मोन डेफिशिएंसी है तो डॉक्टर जीएच का इंजेक्शन दे सकता है। इंजेक्शन घर में पेरेंट्स के द्वारा दिन में एक बार दिया जाता है। यह इंजेक्शन कई वर्षों तक दिया जाता है जब तक बच्चे का विकास जारी रहता है। डॉक्टर ट्रीटमेंट के प्रभाव पर नजर रखते हैं और उसके अनुसार डोज को घटाते या बढ़ाते हैं।
हायपोथायरॉडिज्म (Hypothyroidism) के कारण शिशु के विकास में देरी होने पर
शिशु के लिए डॉक्टर थायरॉइड हॉर्मोन रिप्लेसमेंट ड्रग्स देते हैं जो कि शिशु के अंडरएक्टिव थायरॉइड ग्लैंड के साथ कंपनसेट करते हैं। ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर शिशु के हॉर्मोन लेवल को रेगुलरली मॉनिटर करते हैं। कुछ बच्चे इस डिसऑर्डर से कुछ समय में ओवरकम कर लेते हैं, लेकिन कुछ बच्चों को जीवनभर ये ट्रीटमेंट लेना पड़ता है।
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टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome) के कारण शिशु के विकास में देरी होने पर
टर्नर सिंड्रोम होने पर भी शिशुओं में ग्रोथ हॉर्मोन का प्रोडक्शन नैचुरली होता है, लेकिन इंजेक्शन के जरिए जीएच दिए जाने पर बॉडी इसका उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से करती है। 4-6 साल तक के बच्चे को डॉक्टर रोज एक इंजेक्शन देने की सलाह दे सकते हैं ताकि वह व्यस्क होने तक सामान्य हाइट तक पहुंच जाएं।
इसके अलावा भी कई अन्य कारण हो सकते हैं जो कि शिशु के विकास में देरी के लिए जिम्मेदार हो। उनके आधार पर डॉक्टर ट्रीटमेंट सजेस्ट करते हैं। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें। चूंकि अर्ली ट्रीटमेंट आपके बच्चे को नॉर्मल हाइट तक पहुंचाने में मदद कर सकता है। इसलिए अगर शिशु में डिलेड ग्रोथ के लक्षण नजर आते हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और शिशु के विकास में देरी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।