चार साल की उम्र में बच्चों का सुबह जल्दी उठना और फिर स्कूल के लिए रेडी होना वाकई बड़ा काम होता है। अक्सर बच्चे स्कूल जाने में आनाकानी करते हैं और उन्हें टाइम का ख्याल भी नहीं रहता है। आपको बच्चे को टाइम मैनेजमेंट (Time Management) के बारे में जानकारी देनी होगी। बच्चे के सुबह स्कूल जाने से लेकर रात में सोने तक का टाइम टेबल बनाएं। इसके बारे में बच्चे को भी जानकारी दें ताकि उसे पता रहे कि उसे एक निर्धारित समय में कोई काम खत्म करना है। इस तरह से आप बच्चे में काम को समय पर खत्म करने की आदत डालवा सकते हैं। अगर आप बच्चे को टाइम को मैनेज करने के तरीके के बारे में जानकारी नहीं देंगे, तो वो किसी भी काम को समय पर खत्म नहीं करेंगे।
मील प्रिपरेशन की दें जानकारी
प्रीस्कूलर्स को खाना कैसे बनाया जाता है, ये बिल्कुल न सिखाएं। जी हां! हम बात कर रहे हैं खाने से संबंधित कुछ बेसिक बातों की। मान लीजिए कि आप किसी काम में व्यस्त हैं और बच्चे को भूख लगी है। ऐसे में आप बच्चे को सिखा सकती हैं कि कैसे ब्रेड में बटर या जैम लगाकर वो अपने आप खा सकते हैं। अगर आप बच्चे को फ्रीज से फ्रूट्स निकालने और उन्हें धुलकर खाने की सलाह देंगे, तो भी बच्चा अपने लिए मील का अरेंजमेंट आसानी से कर सकेगा। बच्चों को स्कूल में अपने आप खाना होता है, तो ऐसे में उन्हें खाने के सही तरीके के बारे में भी जरूर बताएं। कुछ बच्चे अपने आप खाना नहीं खा पाते हैं, इसलिए आपको उन्हें खाने के तरीके के बारे में भी बताना होगा।
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क्लीनिंग को करें ‘हां’ और गंदगी को कहें ‘न’
पेरेंट्स क्लीनिंग से लेकर घर के सभी कामों को खुद ही करते हैं। बच्चे सफाई के स्थान में अगर गंदगी मचा दें, तो पेरेंट्स के लिए मुसीबत बढ़ जाती है। आप बच्चे को खुद के खिलौने की सफाई करने के लिए कह सकती हैं। बच्चे को एक स्पॉन्ज या कपड़ा दें ताकि वो अपने खिलौनों को रोजाना साफ कर सके। बच्चे कपड़े भी ज्यादा गंदे करते हैं, ऐसे में उन्हें गंदे कपड़ों को इकट्ठा कर मशीन में डालने के लिए कहें। ऐसा करने से बच्चों को समझ में आ जाएगा कि गंदगी नहीं मचानी चाहिए और सफाई रखनी चाहिए। अगर कमरे में बच्चे के खिलौने या फिर उनका सामान फैला दिखे, तो उनसे ही उठाने को कहें। अगली बार से बच्चे अपने सामान को व्यवस्थित ढंग से रखना सीख जाएंगे।